सुप्रीम कोर्ट ने यूपी गैंगस्टर एक्ट पर राज्य के दिशा-निर्देशों को किया स्वीकार

Shahadat

31 May 2025 10:08 AM

  • सुप्रीम कोर्ट ने यूपी गैंगस्टर एक्ट पर राज्य के दिशा-निर्देशों को किया स्वीकार

    सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश गैंगस्टर और असामाजिक क्रियाकलाप (रोकथाम) अधिनियम, 1986 (UP Gangster Act) के लागू होने के संबंध में यूपी राज्य द्वारा तैयार दिशा-निर्देशों को अपनाया।

    गोरख नाथ मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश के बाद राज्य द्वारा ये दिशा-निर्देश तैयार किए गए।

    SHUATS यूनिवर्सिटी के निदेशक विनोद बिहारी लाल से संबंधित एक अन्य मामले पर विचार करते हुए न्यायालय ने इन दिशा-निर्देशों को लागू करने का निर्णय लिया।

    न्यायालय ने कहा,

    "पूर्वगामी के आलोक में हम संबंधित अधिकारियों को उपरोक्त दिशा-निर्देशों का पालन करने और चेकलिस्ट का अक्षरशः और भावना से अनुपालन करने का निर्देश देते हैं।"

    जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने 23 मई को विनोद बिहारी लाल के खिलाफ UP Gangster Act के मामलों को इस आधार पर रद्द कर दिया कि FIR कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के अलावा और कुछ नहीं थी।

    ऐसा करते हुए न्यायालय ने गोरख नाथ मिश्रा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य में इस न्यायालय की समन्वय पीठ के निर्णय की ओर अपना ध्यान आकर्षित किया, जिसमें 19 अप्रैल, 2024 के आदेश के माध्यम से न्यायालय ने उत्तर प्रदेश राज्य को 1986 के अधिनियम को लागू करने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया था।

    इस आदेश के अनुसरण में उत्तर प्रदेश सरकार ने 2 दिसंबर, 2024 को कुछ निर्देश और चेकलिस्ट पेश की।

    आगे कहा गया,

    "वर्तमान मामले के तथ्यों को देखते हुए हम 02.12.024 के दिशानिर्देशों में जोर देना चाहते हैं और दिशानिर्देशों के निम्नलिखित भागों को भी इस निर्णय के एक भाग के रूप में शामिल करना चाहते हैं।"

    वर्तमान निर्णय में न्यायालय द्वारा पुनरुत्पादित कुछ दिशा-निर्देश इस प्रकार हैं:

    (1) अधिनियम के प्रावधान केवल तभी लागू होंगे जब गैंगस्टर हिंसा, धमकी या हिंसा का प्रदर्शन या धमकी या जबरदस्ती आदि द्वारा अकेले या समूह में अपराध करता है, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक व्यवस्था को बाधित करना या अपने या किसी अन्य व्यक्ति के लिए कोई अनुचित लौकिक, आर्थिक, भौतिक या अन्य लाभ प्राप्त करना हो।

    (3) पुलिस थाने में संधारित गैंग रजिस्टर की सत्यापित प्रति भी गैंग-चार्ट के साथ संलग्न की जाए। साथ ही डीसीआरबी और सीसीटीएनएस/आईसीजेएस द्वारा एकत्रित आपराधिक विवरण भी संलग्न किया जाए।

    (8) पुलिस आयुक्त/जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में केस फाइल प्राप्त होने पर सभी तथ्यों का पुनः गहन अध्ययन किया जाए और नियम 2021 के नियम 5(3)(ए) के अनुसार यह सुनिश्चित किया जाए कि सीनियर पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक के साथ संयुक्त बैठक करके संतुष्ट होने के बाद ही पुलिस आयुक्त/जिला मजिस्ट्रेट द्वारा गैंगचार्ट को अनुमोदित किया जाए।

    (9) गैंग चार्ट तैयार करने तथा उसे स्वीकृत कराने के पश्चात तथा गहन जांच, विधिक जांच के पश्चात तथा अन्य सुसंगत कार्यवाहियों के संबंध में उपर्युक्त शासनादेशों का पूर्ण अनुपालन करने के साथ-साथ नियमावली 2011 के नियम 5(3)(क) के अनुसार जिला मजिस्ट्रेट/पुलिस आयुक्त/सीनियर पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक की संयुक्त बैठकों के प्रस्तावों की प्रविष्टि हेतु रजिस्टर का संधारण करना भी सुनिश्चित किया जाए। उपरोक्त के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त/वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक तथा जिला मजिस्ट्रेट एवं नोडल अधिकारी गैंग चार्ट पर अपने हस्ताक्षर करते समय अपने हस्ताक्षर के नीचे दिनांक का भी उल्लेख करना सुनिश्चित करेंगे।

    (10) सक्षम प्राधिकारियों की संतुष्टि के लिए यह दर्शाया जाना चाहिए कि उन्होंने न केवल गैंग चार्ट पर बल्कि गैंग चार्ट के साथ संलग्न दस्तावेजों/कागजातों पर भी अपना दिमाग लगाया।

    (13) नियम 2021 के नियम 16(1) में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक द्वारा गैंग चार्ट अग्रेषित करने का प्रावधान है। अतः नियमानुसार नियम 16(1) के अन्तर्गत अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (नोडल अधिकारी) को चार्ट के सम्बन्ध में अपनी संतुष्टि लिखित रूप में दर्ज करनी चाहिए।

    (14) नियम, 2021 के नियम 16(2) के अनुसार जिला पुलिस अधिकारी, सीनियर पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक, नियम 16(1) के अन्तर्गत अपर पुलिस अधीक्षक के प्रस्तुतीकरण का अध्ययन करने के पश्चात् उसे जिला मजिस्ट्रेट या पुलिस आयुक्त को गैंग चार्ट के अनुमोदन के लिए उनकी संतुष्टि के सम्बन्ध में भेजेंगे।

    (15) नियम, 2021 के नियम 17(2) के अनुसार, रबर स्टाम्प पर पूर्व-मुद्रित गैंग चार्ट पर हस्ताक्षर निषिद्ध हैं। तदनुसार, सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वतंत्र विचार के समुचित उपयोग के पश्चात ही गैंग चार्ट पर अनुमोदन दर्ज किया जाएगा तथा पूर्व-मुद्रित रबर स्टाम्प का उपयोग नहीं किया जाएगा।

    (17) यदि अभियोजन अधिकारी द्वारा जांच के संचालन में या जांच कार्यवाही के दौरान एकत्रित दस्तावेजों के निष्कर्ष के संबंध में कोई अवैधता/अनियमितता इंगित की जाती है तो उसका निस्तारण करने के पश्चात, जब अभियोजन अधिकारी को यह विश्वास हो जाए कि कोई अवैधता/अनियमितता शेष नहीं है, तभी अपर पुलिस अधीक्षक उक्त अभिलेखों को नियम 2021 के नियम 20(4) के अंतर्गत अनुमोदन हेतु सीनियर पुलिस अधीक्षक या पुलिस अधीक्षक को अग्रेषित करेंगे।

    (18) नियम 2021 के नियम 26(1) के अंतर्गत, जैसा भी मामला हो, जब भी उपरोक्त आरोप-पत्र आयुक्त/सीनियर पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक के समक्ष नियम 20 के अंतर्गत आवश्यक अनुमोदन प्रदान करने के लिए भेजा जाता है तो वे अपरिहार्य रूप से संपूर्ण अभिलेखों की समीक्षा करेंगे।

    (19) नियम 2021 के नियम 36 के अनुसार गिरोह की चल-अचल सम्पत्तियों तथा उसके अधिग्रहण के स्रोत के सम्बन्ध में गहन जांच की जानी चाहिए। यदि गिरोह द्वारा किसी भूमि पर कब्जे से सम्बन्धित साक्ष्य एकत्रित करना आवश्यक हो तो जांच अधिकारी राजस्व अभिलेखों तथा राजस्व अधिकारी से साक्ष्य एकत्रित कर सकते हैं।

    (26) जिला पुलिस प्रभारी जांच के दौरान एकत्रित सभी तथ्यों तथा साक्ष्यों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करें तथा उसके पश्चात ही सम्बन्धित न्यायालय में आरोप-पत्र/अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने की स्वीकृति दी जाए।

    Case Details: VINOD BIHARI LAL Versus THE STATE OF UTTAR PRADESH AND ANR., Crl.A. No. 000777 - 000778 / 2025 (and connected matters)

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