गोवा में कांग्रेस के 10 बागी विधायकों की अयोग्यता पर जल्द फैसला लेने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध किया
LiveLaw News Network
4 Jan 2021 12:49 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने गोवा विधानसभा स्पीकर को कांग्रेस के 10 बागी विधायकों की अयोग्यता पर जल्द फैसला लेने वाली याचिका पर सुनवाई को फरवरी के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध किया है। ये विधायक जुलाई 2019 में भाजपा में शामिल हो गए थे।
बीजेपी में शामिल हुए 10 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए गोवा कांग्रेस प्रमुख ने शीर्ष अदालत का रुख किया है।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि डेढ़ साल बीत चुके हैं और स्पीकर को अयोग्य ठहराने की कांग्रेस की याचिका पर फैसला करना बाकी है।
देश के मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे ने इस पर कहा,
"कोई भी जानबूझकर देरी कर अपना हित नहीं साध सकता। हम फरवरी के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करेंगे"
इससे पहले 16 जून 2020 को सुप्रीम कोर्ट ने गोवा विधानसभा स्पीकर को एक महीने के भीतर कांग्रेस के 10 बागी विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया था।
गोवा के कांग्रेस अध्यक्ष गिरीश चोडणकर द्वारा दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने तीन सप्ताह के भीतर जवाब देने के लिए नोटिस जारी किया था।
याचिका में कहा गया है कि अयोग्य ठहराए जाने वाली याचिका अगस्त 2019 से पहले लंबित है, उस पर स्पीकर को शीघ्रता से फैसला करना चाहिए।
अतिरिक्त रूप से याचिका में 10 विधायकों को भाजपा विधायकों और मंत्रियों के रूप में कार्य करने से रोकने की मांग भी की गई है।
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल चोडणकर की ओर से पेश हुए और मामले को जल्द सूचीबद्ध करने की मांग की।
याचिका में कहा गया है कि स्पीकर ने अयोग्यता का फैसला करने के लिए 3 महीने की समयसीमा का उल्लंघन किया है जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर विधायक दलबदल के मुद्दे से संबंधित अपने हालिया फैसले में निर्धारित किया है।
जुलाई 2019 में, गोवा में 15 कांग्रेस विधायकों में से दस ने पार्टी छोड़ दी और भाजपा में विलय कर लिया, जिससे सत्तारूढ़ पार्टी की ताकत 27 से बढ़कर 40 हो गई।
विपक्षी दल द्वारा 10 विधायकों के खिलाफ दायर अयोग्यता याचिका अगस्त 2019 से विधानसभा स्पीकर राजेश पटनेकर के समक्ष लंबित है।
चोडणकर की याचिका में कांग्रेस के 10 विधायकों के भाजपा के साथ विलय को चुनौती दी गई है, क्योंकि पार्टी या गोवा इकाई में कोई "विभाजन" नहीं था।
याचिका सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों पर भी निर्भर करती है, जिसमें कहा गया था कि संसद को "पुनर्विचार" करना चाहिए कि क्या एक सदन के अध्यक्ष के पास विधायकों को अयोग्य ठहराने की शक्तियां जारी रखनी चाहिए क्योंकि वो "विशेष राजनीतिक दल के होते हैं।"
सुप्रीम कोर्ट,
"यह समय है कि संसद को इस बात पर पुनर्विचार करना है कि क्या अयोग्य ठहराए जाने वाली याचिकाओं को अध्यक्ष को एक अर्ध-न्यायिक प्राधिकारी के रूप में सौंपा जाना चाहिए, जबकि ऐसा अध्यक्ष किसी विशेष राजनीतिक दल से संबंधित होता है। संसद गंभीरता से संविधान में लोकसभा और विधानसभाओं के अध्यक्षों की बजाए अयोग्य ठहराए जाने के विवादों के मध्यस्थ के रूप में दसवीं अनुसूची के तहत एक स्थायी न्यायाधिकरण को नियुक्त कर सकती है, जिसकी अध्यक्षता किसी सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश करें या या कुछ स्वतंत्र मैंकेनिज्म पर विचार कर सकती है, जो ये सुनिश्चित करे कि इस तरह के विवादों को तेज़ी से और निष्पक्ष रूप दोनों तरह से तय किया जाए, इस प्रकार दसवीं अनुसूची में निहित प्रावधानों को वास्तविक दांत प्रदान किए जा सकते हैं, जो हमारे लोकतंत्र के समुचित कार्य में महत्वपूर्ण हैं।"
13 फरवरी 2020 को, गोवा विधानसभा स्पीकर राजेश पटनेकर ने कांग्रेस और 10 विधायकों के वकीलों की सुनवाई की थी।