सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और नीरज कौल ने सीजेआई चंद्रचूड़ और एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह के बीच तीखी बहस के बाद बार की ओर से माफी मांगी

Shahadat

2 March 2023 7:24 AM GMT

  • सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और नीरज कौल ने सीजेआई चंद्रचूड़ और एससीबीए अध्यक्ष विकास सिंह के बीच तीखी बहस के बाद बार की ओर से माफी मांगी

    सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और नीरज किशन कौल ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ और SCBA के अध्यक्ष विकास सिंह के बीच हुई तीखी बहस पर खेद व्यक्त किया।

    सिब्बल ने कहा,

    "आज सुबह जो हुआ उसके लिए मैं माफी मांगता हूं। मुझे नहीं लगता कि बार को मर्यादा लांघनी चाहिए। हम सभी माफी मांगते हैं।"

    यह घटना सुप्रीम कोर्ट में SCBA भूमि आवंटन मुद्दे का उल्लेख करने के दौरान हुई। सिंह ने शहरी विकास मंत्रालय को निर्देश देने की मांग वाली याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने पर जोर दिया। वकीलों के लिए सुप्रीम कोर्ट को आवंटित की गई 1.33 एकड़ जमीन को चैंबर ब्लॉक में बदल दिया गया।

    सिंह ने सीजेआई की कमजोर नस पर चोट करते हुए कहा,

    "मैं इसे न्यायाधीशों के निवास पर नहीं ले जाना चाहता।"

    सीजेआई ने इससे परेशान होकर टिप्पणी की,

    "मैं इस तरह से नहीं डरूंगा...कृपया अपनी आवाज मत उठाइए...मैं भारत का चीफ जस्टिस हूं। मैं लंबे समय तक बेंच में रहा हूं। मैंने कभी भी बार के सदस्यों से खुद को परेशान नहीं होने दिया। मैं इसे अपने जीवन के अंतिम 2 वर्षों में नहीं होने दूंगा।"

    सिब्बल जब अन्य मामले में पीठ के सामने पेश हुए तो उन्होंने सिंह के व्यवहार के लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों ने साझा किया कि वे हर दिन 70 से अधिक मामले सुनते हैं।

    सीजेआई ने कहा,

    "और इन बातों को सुनने के बाद हम बैठ जाते हैं। हालांकि शाम को तारीखें दे देते हैं।"

    एनके कौल ने कहा,

    "हम सभी संयुक्त रूप से माफी मांगते हैं। हम बहुत दुखी हैं। जो हुआ उससे हम समान रूप से पीड़ा और आहत महसूस करते हैं।"

    यह पहली बार नहीं है जब सिंह को बेंच के सदस्यों ने फटकार लगाई है।

    सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने पहले मौखिक रूप से टिप्पणी की थी,

    "मुझे प्रैक्टिस के बारे में मत बताओ, मैं तय करूंगा कि मेरे न्यायालय में क्या होता है।"

    जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने भी अदालत में मामलों की सुनवाई के आदेश के बारे में "अनावश्यक" आपत्ति जताने के उनके आचरण पर नाराजगी व्यक्त की थी।

    जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने भी सिंह के व्यवहार को लेकर नाखुशी व्यक्त की थी, जिसमें कहा गया था कि मिस्टर सिंह "अध्यक्ष हो सकते हैं", उन्हें "अपनी आवाज नहीं उठानी चाहिए" और "अदालत को धमकाने की कोशिश" नहीं करनी चाहिए।

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