BREAKING | नोएडा के कामकाज में खामियां उजागर होने पर सुप्रीम कोर्ट ने EIA और ग्रीन बेंच की पूर्व मंज़ूरी के बिना परियोजनाओं पर लगाई रोक
Shahadat
13 Aug 2025 12:02 PM IST

नोएडा प्राधिकरण के कामकाज में विभिन्न खामियों को उजागर करने वाली एक विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण आदेश पारित किया, जिसमें भूमि अधिग्रहण मुआवजे के अत्यधिक भुगतान और अधिकारियों व भू-स्वामियों के बीच कथित मिलीभगत के मुद्दे पर प्रारंभिक जांच दर्ज करने का निर्देश दिया गया।
न्यायालय ने पूर्व पर्यावरणीय प्रभाव आकलन और रिपोर्ट को न्यायालय की ग्रीन बेंच की मंज़ूरी के बिना नोएडा में परियोजना विकास पर भी रोक लगाने का आदेश पारित किया।
पूर्ववर्ती SIT के स्थान पर तीन आईपीएस अधिकारियों वाली एक नई SIT गठित करने का निर्देश दिया गया।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची खंडपीठ ने यह आदेश एक ऐसे मामले में पारित किया, जिसमें उसने नोएडा के एक विधि अधिकारी की अग्रिम ज़मानत याचिका पर सुनवाई करते हुए SIT जांच का आदेश दिया था। यह आदेश कुछ भूस्वामियों को "अधिक हक़दार" न होने के बावजूद ज़्यादा मुआवज़ा दिए जाने के आरोपों के बाद दिया गया था।
संक्षेप में मामला
SIT रिपोर्ट ने संकेत दिया कि 20 मामलों में भूस्वामियों को अत्यधिक मुआवज़ा दिया गया। इसमें नोएडा के दोषी अधिकारियों के नाम भी शामिल हैं। लाभार्थियों और नोएडा अधिकारियों के बीच मिलीभगत के सवाल पर SIT ने स्पष्ट किया कि संबंधित अवधि के दौरान अधिकारियों, उनके परिवार के सदस्यों, भूस्वामियों और अधिकारियों द्वारा अर्जित संपत्तियों के बैंक खातों के विवरण की जांच करना आवश्यक है।
रिपोर्ट में आगे उल्लेख किया गया कि नोएडा में शासन व्यवस्था कुछ ही व्यक्तियों के समूह के भीतर सत्ता को केंद्रीकृत करती है और निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव है। इसमें कहा गया कि महत्वपूर्ण निर्णय जनता की जांच के बिना लिए जाते हैं। इसमें आगे बताया गया कि सार्वजनिक परियोजनाओं पर नियमित सार्वजनिक रिपोर्टिंग का अभाव है और नीतियां डेवलपर्स के पक्ष में होती हैं।
इस प्रकार, खंडपीठ ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
(i) डीजीपी, उत्तर प्रदेश, पिछली SIT द्वारा चिन्हित मुद्दों, विशेष रूप से मुद्दा संख्या 3 और 4, की जांच के लिए आईपीएस संवर्ग के तीन पुलिस अधिकारियों वाली SIT का गठन करेंगे।
(ii) इस प्रकार गठित विशेष जांच दल (SIT) तत्काल प्रारंभिक जांच दर्ज करेगा और मुद्दा संख्या 3 पर पिछली विशेष जांच दल द्वारा उजागर किए गए बिंदुओं की जांच करेगा। इस संबंध में फोरेंसिक विशेषज्ञों के साथ-साथ राज्य पुलिस के आर्थिक अपराध विभाग (ईओडब्ल्यू) को भी शामिल किया जाएगा।
(iii) यदि विशेष जांच दल (SIT), प्रारंभिक जांच के बाद पाता है कि प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध किया गया तो वह मामला दर्ज करेगा और कानून के अनुसार आगे की कार्रवाई करेगा।
(iv) विशेष जांच दल (SIT) के परिणाम को विशेष जांच दल (SIT) के प्रमुख द्वारा स्थिति रिपोर्ट के माध्यम से रिकॉर्ड में रखा जाएगा, जो पुलिस आयुक्त के पद से नीचे का अधिकारी नहीं होगा।
(v) नोएडा के दैनिक कामकाज में पारदर्शिता और नागरिक-केंद्रित दृष्टिकोण लाने के लिए, विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट की एक प्रति उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के समक्ष रखी जाएगी, जो उचित निर्णय लेने के लिए इसे उपयुक्त एजेंडा मदों के साथ मंत्रिपरिषद के समक्ष रखेंगे। मुख्य सचिव नोएडा में मुख्य सतर्कता अधिकारी भी तैनात करेंगे, जो या तो आईपीएस संवर्ग से होना चाहिए या सीएजी से प्रतिनियुक्ति पर होना चाहिए। इसी प्रकार, मुख्य सचिव को मामले को सक्षम प्राधिकारी के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। साथ ही यह सुनिश्चित करना होगा कि नागरिक सलाहकार बोर्ड का गठन 4 सप्ताह के भीतर किया जाए। इसके अतिरिक्त, यह भी सुनिश्चित किया जाना है कि पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) और सुप्रीम कोर्ट की हरित पीठ द्वारा रिपोर्ट की स्वीकृति के बिना नोएडा में कोई भी परियोजना क्रियान्वित न हो।
(vi) जहां भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज करने से पहले अधिकारियों पर मुकदमा चलाने हेतु SIT को पूर्व अनुमति लेने की आवश्यकता होती है, हम सक्षम प्राधिकारी को आवेदन प्रस्तुत करने के 2 सप्ताह के भीतर अनुमति प्रदान करने का निर्देश देते हैं।
मामला 8 सप्ताह बाद भी लंबित है। SIT रिपोर्ट को कोर्ट मास्टर की अभिरक्षा में रखने का निर्देश दिया गया।
इससे पहले, न्यायालय ने पिछली SIT को निम्नलिखित मुद्दों पर विचार करने का निर्देश दिया था,
(i) क्या भूमि मालिकों को भुगतान किया गया मुआवज़ा समय-समय पर न्यायालयों द्वारा पारित निर्णयों के अनुसार उनके हक़ से अधिक था।
(ii) यदि हां, तो इतने अधिक भुगतान के लिए कौन से अधिकारी/कर्मचारी ज़िम्मेदार थे।
(iii) क्या लाभार्थियों और नोएडा के अधिकारियों/कर्मचारियों के बीच कोई मिलीभगत या मिलीभगत थी।
(iv) क्या नोएडा के समग्र कामकाज में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जनहित के प्रति प्रतिबद्धता का अभाव है।
Case Title: VIRENDRA SINGH NAGAR Versus STATE OF UTTAR PRADESH AND ANR., SLP(Crl) No. 1251/2023

