'हत्या के मामलों में से एक मामले में मरने वाला आदमी जिंदा है': कपिल सिब्बल ने पश्चिम बंगाल सरकार के लिए पोस्ट पोल हिंसा मामलों में सीबीआई जांच के खिलाफ याचिका दायर की
LiveLaw News Network
20 Sept 2021 4:01 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर याचिका की सुनवाई 28 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी।
याचिका में कलकत्ता हाईकोर्ट के हत्या, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों की जांच को सीबीआई से कराए जाने के लिए दिए गए निर्देश को चुनौती दी गई।
ये हत्या, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अपराध कथित तौर पर पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान हुए थे।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि मामले को अंतिम सुनवाई के लिए 28 सितंबर को सूची में पहले मद के रूप में सूचीबद्ध किया जाएगा।
पीठ ने कहा कि वह समय की कमी के कारण सोमवार को मामले की सुनवाई नहीं कर पाएगी।
वहीं पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उन्हें प्रस्तुतियां पूरी करने के लिए लगभग 2-3 घंटे की आवश्यकता होगी।
सोमवार को हुई संक्षिप्त सुनवाई में सिब्बल ने कहा कि तथ्यों की उचित जांच के बिना सीबीआई जांच का आदेश दिया गया।
सिब्बल ने प्रस्तुत किया,
"सामान्य परिस्थितियों में जब भी यह आरोप लगाया जाता है कि स्वतंत्र रूप से जांच नहीं की जा रही है, तो अदालत तथ्यों को ध्यान में रखती है और फिर प्रथम दृष्टया निष्कर्ष के बाद मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर देती है। इस मामले में मामलों को सामूहिक रूप से सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया गया।"
उन्होंने प्रस्तुत किया कि कथित हत्या के मामलों में से एक मामले में जिस व्यक्ति को पीड़ित बताया गया वह जीवित है।
वरिष्ठ वकील ने कहा,
"चौंकाने वाली चीजें हो रही हैं। हत्या के एक मामले में मरने वाला आदमी जिंदा है...।"
उन्होंने आगे तर्क दिया कि चुनाव बाद हिंसा के मामलों की जांच की आड़ में सीबीआई अब डकैती के मामलों की भी जांच कर रही है।
संक्षिप्त सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और महेश जेठमलानी भी उपस्थित थे।
पीठ ने कहा कि वह मामले को अंतिम सुनवाई के लिए 28 सितंबर के लिए पोस्ट करेगी।
राज्य सरकार ने विशेष अनुमति याचिका में आरोप लगाया कि सीबीआई केंद्र के इशारे पर काम कर रही है और इसलिए मामलों में निष्पक्ष जांच की संभावना नहीं है।
19 अगस्त को कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने चुनाव के बाद हत्या, बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अपराधों से संबंधित हिंसा के मामलों की सीबीआई जांच का आदेश दिया था।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल, न्यायमूर्ति आईपी मुखर्जी, न्यायमूर्ति हरीश टंडन, न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति सुब्रत तालुकदार की पांच सदस्यीय पीठ ने सत्तारूढ़ तृणमूल के सदस्यों द्वारा हिंसा के कथित कृत्यों के खिलाफ राज्य की निष्क्रियता का आरोप लगाने वाली याचिकाओं के एक समूह में फैसला सुनाया।