क्या आयुष डॉक्टरों को एलोपैथी डॉक्टरों के समान सेवा शर्तें मिलनी चाहिए? सुप्रीम कोर्ट ने मामला बड़ी बेंच को भेजा
Shahadat
17 Oct 2025 10:23 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस सवाल को बड़ी पीठ के पास भेज दिया कि क्या स्वदेशी चिकित्सा प्रणालियों (आयुष, यूनानी, आयुर्वेद, होम्योपैथी आदि) के तहत प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टरों को रिटायरमेंट की आयु और वेतनमान जैसी सेवा शर्तों के मामले में एलोपैथी डॉक्टरों के बराबर माना जा सकता है।
यह संदर्भ विभिन्न मेडिकल प्रणालियों के डॉक्टरों के लिए रिटायरमेंट की आयु और लाभ निर्धारित करने में राज्यों द्वारा किए जा रहे भेदभाव को चुनौती देने वाली अपीलों के एक समूह में दिया गया था।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मुद्दे पर परस्पर विरोधी फैसलों पर गौर किया और यह सवाल उठाया कि क्या आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी आदि जैसी एलोपैथी और स्वदेशी चिकित्सा पद्धतियों का अभ्यास करने वाले डॉक्टरों के साथ सेवा शर्तों, विशेष रूप से रिटायरमेंट की आयु निर्धारित करने के उद्देश्य से समान व्यवहार किया जा सकता है।
नई दिल्ली नगर निगम बनाम डॉ. राम नरेश शर्मा एवं अन्य मामले में 2021 के फैसले में कोर्ट की दो-जजों की पीठ ने कहा कि आयुष डॉक्टरों को एलोपैथिक चिकित्सकों को दी जाने वाली उच्च रिटायरमेंट आयु के लाभ से केवल इस आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता कि वे एक अलग मेडिकल पद्धति में अभ्यास करते हैं, जबकि उनका कार्य तुलनीय है। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल पद्धतियों के आधार पर वर्गीकरण, जिसका कार्य-कार्यों या जनहित से कोई तर्कसंगत संबंध न हो, अनुचित भेदभाव माना जा सकता है।
हालांकि, 2023 में गुजरात राज्य एवं अन्य बनाम डॉ. पी. ए. भट्ट एवं अन्य मामले में समन्वय पीठ ने माना कि शैक्षिक योग्यता और चिकित्सा विशेषज्ञता के आधार पर वर्गीकरण, जो एलोपैथिक डॉक्टरों को आयुष डॉक्टरों से अलग करता है, प्रशिक्षण और अभ्यास के दायरे में अंतर को देखते हुए अनुमेय है। वहां यह माना गया कि आयुष डॉक्टर एलोपैथिक डॉक्टरों के समान वेतन के हकदार नहीं हैं, क्योंकि उनके कार्य भिन्न हैं। डॉ. सोलामन ए. बनाम केरल राज्य एवं अन्य मामले में भी इसी दृष्टिकोण का अनुसरण किया गया, जिसमें कहा गया कि आयुष डॉक्टर चिकित्सा डॉक्टरों के साथ समानता का दावा नहीं कर सकते।
केंद्रीय आयुर्वेदिक विज्ञान अनुसंधान परिषद एवं अन्य बनाम बिकर्तन दास एवं अन्य मामले में दिए गए निर्णय का भी उल्लेख किया गया, जिसमें यह कहा गया कि आयुष मंत्रालय के CCRAS का कोई कर्मचारी, केवल इसलिए कि वह OPD और IPD रोगियों का इलाज करता है, आयुष डॉक्टरों के साथ रिटायरमेंट आयु में समानता की मांग करने का स्वतः हकदार नहीं है।
शुक्रवार को दिए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि समानता के तर्कों का मूल्यांकन "कार्यों की समानता, कार्य की समानता और तुलनीय कर्तव्यों" की कसौटी पर किया जाना चाहिए।
Case : State of Rajasthan and Ors. v. Anisur Rahman and connected cases.

