'क्या आपके भाषण UAPA के तहत 'आतंकी कृत्य' नहीं माने जा सकते?' शरजील इमाम से सुप्रीम कोर्ट का सवाल
Praveen Mishra
2 Dec 2025 5:31 PM IST

दिल्ली दंगों की कथित बड़ी साज़िश मामले में दायर जमानत याचिकाओं की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आरोपी शरजील इमाम के कुछ भाषणों पर सवाल उठाए और पूछा कि क्या इन भाषणों को उकसावे या UAPA के तहत आतंकवादी कृत्य नहीं माना जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजरिया की खंडपीठ उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा, मीरा हैदर, शिफा उर रहमान, मोहम्मद सलीम खान और शादाब अहमद की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिनकी जमानत दिल्ली हाई कोर्ट ने 2 सितंबर को खारिज कर दी थी।
पिछली सुनवाईयों में दिल्ली पुलिस ने इमाम के कुछ भाषणों के वीडियो क्लिप कोर्ट में चलाए थे, जिनमें वह नॉर्थ-ईस्ट के मुसलमानों से “चिकन-नेक” क्षेत्र को ब्लॉक कर असम को देश से अलग करने की अपील करते दिखे थे। उन्होंने देशभर में चक्का जाम और दिल्ली की सप्लाई रोकने जैसे आह्वान भी किए थे।
शरजील इमाम की दलील—“मैं आतंकी नहीं, नागरिक हूँ”
शरजील इमाम के लिए पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे ने कहा:
“मुझे आतंकी कहा गया, राष्ट्र-विरोधी कहा गया, लेकिन मैं इस देश का जन्म से नागरिक हूँ। मुझे किसी भी अपराध में दोषी नहीं ठहराया गया है, फिर भी मुझे 'इंटेलेक्चुअल टेररिस्ट' कहा जा रहा है, जो गहरी पीड़ा देता है।”
दवे ने कहा कि जिन भाषणों का हवाला अब 'साजिश' बताकर दिया जा रहा है, उन्हीं पर पहले ही FIR 22/2020 में उन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है।
“अगर उन्हीं भाषणों पर मुझे गिरफ्तार किया गया है, तो उसी भाषण के लिए इस नई FIR में मैं कैसे आरोपी बन गया?” उन्होंने पूछा।
उन्होंने यह भी कहा कि फरवरी 2020 के दंगों में उनकी भूमिका नहीं हो सकती, क्योंकि वे दंगों से पहले ही जेल में थे।
गुलफिशा फातिमा की 5 साल से ज़्यादा की हिरासत का मुद्दा
सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने बताया कि गुलफिशा को 5 साल से ज़्यादा हो चुके हैं और वह एकमात्र महिला आरोपी हैं जिन्हें अभी तक जमानत नहीं मिली, जबकि देवनागरी कालिता और नताशा नरवाल जैसी सह-आरोपी 2021 में ही जमानत पा चुकी हैं।
सिंघवी ने कहा कि “रेजीम चेंज” का आरोप न मुख्य चार्जशीट में है, न चार सप्लीमेंट्री चार्जशीट में—यह आरोप सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल काउंटर हलफनामे में सामने आया है, जिसका उद्देश्य कोर्ट को प्रभावित करना है।
उन्होंने यह भी बताया कि उनकी जमानत याचिका 90 बार लिस्ट हुई, पर अनेक बार बेंच उपलब्ध न होने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी। इसे उन्होंने “न्याय व्यवस्था का कैरिकेचर” कहा।
उमर खालिद की ओर से कपिल सिब्बल की दलील
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि उमर खालिद दिल्ली में थे ही नहीं जब दंगे हुए। जिस भाषण का हवाला दिया जा रहा है, वह अमरावती में दिया गया था, जिसमें उन्होंने CAA के खिलाफ गांधीवादी अहिंसक आंदोलन की बात की थी।
सिब्बल ने कहा:
“ये छात्र हैं, जो मुद्दों पर आंदोलन करते हैं। हमारे जमाने में भी हम आंदोलन करते थे… लेकिन क्या हर प्रदर्शन को जेल का आधार बनाया जा सकता है?”
उन्होंने कहा कि चक्का जाम, रेल रोको जैसे विरोध भारत में आम हैं और इन्हें UAPA के तहत 'आतंकी कृत्य' नहीं कहा जा सकता। उन्होंने किसानों के हालिया विरोध प्रदर्शनों में हाईवे ब्लॉकेड का उदाहरण भी दिया।
पूर्व के फैसलों का हवाला
सिब्बल और अन्य वकीलों ने वर्नॉन और शोमा सेन के फैसलों का हवाला दिया, जिनमें UAPA मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने उदार दृष्टिकोण अपनाकर जमानत दी थी।
सुप्रीम कोर्ट आगे भी दलीलें सुनेगा और दिल्ली दंगा साजिश मामले में इन आरोपियों की जमानत पर अपना अंतिम रुख स्पष्ट करेगा।

