सेंथिल बालाजी ट्रायल में बाधा डाल रहे हैं, तुच्छ आधार पर स्थगन की मांग कर रहे हैं: ED ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

Shahadat

14 Dec 2024 9:43 AM IST

  • सेंथिल बालाजी ट्रायल में बाधा डाल रहे हैं, तुच्छ आधार पर स्थगन की मांग कर रहे हैं: ED ने सुप्रीम कोर्ट से कहा

    प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शुक्रवार (13 दिसंबर) को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कथित कैश फॉर जॉब घोटाले में सेंथिल बालाजी के खिलाफ मुकदमे में बाधा डाली गई।

    मेहता ने कहा,

    "मुकदमे में बाधा डाली गई। मेरे पास अपना हलफनामा है।"

    जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मित्तल की खंडपीठ ने तमिलनाडु में कथित कैश फॉर जॉब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सेंथिल बालाजी को जमानत देने के अपने पहले के फैसले को वापस लेने की मांग करने वाली याचिका में ED को हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी।

    इस आधार पर वापस लेने की मांग की गई कि जमानत मिलने के तुरंत बाद बालाजी को तमिलनाडु में कैबिनेट मंत्री के रूप में नियुक्त किया जाना उनके खिलाफ गवाहों पर अनुचित दबाव डाल रहा है।

    हलफनामे में ED ने आरोप लगाया कि मुकदमे में तेजी लाने के सुप्रीम कोर्ट के पहले के निर्देश के बावजूद, बालाजी की हरकतें कार्यवाही में देरी करने का जानबूझकर किया गया प्रयास दिखाती हैं। हलफनामे में कहा गया कि महत्वपूर्ण वैज्ञानिक विशेषज्ञ पीडब्लू 4 को बार-बार बुलाया गया, जिरह की गई और स्थगित किया गया, जिसके परिणामस्वरूप मुकदमा लंबा चला।

    हलफनामा में लिखा,

    “इस माननीय न्यायालय द्वारा मुकदमे में तेजी लाने के निर्देश के बावजूद, मिस्टर वी सेंथिल बालाजी ने पीडब्लू-4 से क्रॉस एक्जामिनेशन को लगभग दो महीने तक किसी न किसी बहाने से खींचा है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की यह घोर अवहेलना मुकदमे की कार्यवाही को टालने और विलंबित करने का स्पष्ट प्रयास है। उपरोक्त के आलोक में यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि मिस्टर वी सेंथिल बालाजी ने गैर-मौजूद या तुच्छ आधारों पर स्थगन की मांग करके या ऊपर वर्णित मामलों के शीघ्र निपटान में बाधा उत्पन्न करके इस माननीय न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देश का उल्लंघन किया है।”

    सुनवाई के दौरान, जस्टिस ओक ने कहा कि मामले की सुनवाई उसी पीठ द्वारा की जानी चाहिए जिसने बालाजी को जमानत दी थी और कहा कि पीठ अगले सप्ताह उपलब्ध होगी।

    सॉलिसिटर जनरल ने हलफनामा दाखिल करने के लिए न्यायालय से अनुमति मांगी, क्योंकि मामले में अभी तक कोई नोटिस जारी नहीं किया गया है।

    जस्टिस ओक ने उनसे हलफनामे की प्रतियां सभी पक्षों को देने को कहा।

    अपने आदेश में खंडपीठ ने ED को हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी और मामले को 18 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    खंडपीठ ने कहा,

    "हम प्रवर्तन निदेशालय को आवेदन से निपटने के लिए हलफनामा दाखिल करने की अनुमति देते हैं।"

    केस टाइटल- के. विद्या कुमार बनाम उप निदेशक और अन्य।

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