Senior Designation System | सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा जयसिंह के फैसलों पर पुनर्विचार के मुद्दे पर सभी हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया
Shahadat
25 Feb 2025 12:26 PM

सुप्रीम कोर्ट 19 मार्च को इंदिरा जयसिंह के 2017 और 2023 के फैसलों पर पुनर्विचार के मुद्दे पर सुनवाई करेगा, जो वकील को सीनियर ए़डवोकेट का दर्जा देने की प्रक्रिया को नियंत्रित करते हैं।
जस्टिस अभय ओक, जस्टिस उज्जल भुयान और जस्टिस एसवीएन भट्टी की पीठ ने मामले पर विचार करते हुए सभी हाईकोर्ट और अन्य हितधारकों को नोटिस जारी किया, जिसमें पिछले सप्ताह दो जजों वाली पीठ (जितेंद्र @ कल्ला बनाम राज्य (सरकार) एनसीटी ऑफ दिल्ली और अन्य) ने इंदिरा जयसिंह मामलों में दो निर्णयों द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के बारे में कई चिंताएं जताईं।
न्यायालय ने कहा,
"हम रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश देते हैं कि वे इस आदेश की एक प्रति साथ ही जितेन्द्र कल्ला मामले में दिए गए आदेश की कॉपी सभी हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरलों को भेजें, जिससे उन्हें सूचित किया जा सके कि 19 मार्च की तिथि तय की गई और हाईकोर्ट अपने जवाब और सुझाव, यदि कोई हों, 7 मार्च को या उससे पहले प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्र हैं। यदि इंदिरा जयसिंह मामले में कोई अन्य पक्ष लिखित में जवाब दाखिल करना चाहता है तो उसे 6 मार्च को या उससे पहले प्रस्तुत करना होगा।"
चूंकि दोनों निर्णय तीन जजों की पीठ द्वारा पारित किए गए, इसलिए दो जजों की पीठ ने उचित संख्या वाली पीठ गठित करने के लिए मामले को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को संदर्भित किया, जिसके बाद वर्तमान पीठ का गठन किया गया।
न्यायालय ने सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह की इस दलील पर गौर किया कि यदि दोनों निर्णयों पर पुनर्विचार किया जाना है तो इसे और भी बड़ी पीठ द्वारा किया जाना चाहिए। साथ ही कहा कि इस मुद्दे पर उनके लिए प्रस्तुतियां देना खुला रहेगा।
न्यायालय ने कहा,
"इस स्तर पर हम उनकी इस दलील पर भी गौर कर सकते हैं कि यदि इंदिरा जयसिंह I और इंदिरा जयसिंह II पर पुनर्विचार किया जाना है तो इसे बड़ी संख्या में बड़ी पीठ द्वारा किया जाना चाहिए। हालांकि, इस मुद्दे पर उनके लिए बहस करना खुला रहेगा।"
न्यायालय ने इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट मामले में प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया, जिसमें 2017 का निर्णय पारित किया गया। चूंकि सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) के अध्यक्ष एडवोकेट विपिन नायर SCAORA की ओर से पेश हुए, इसलिए न्यायालय ने कहा कि उन्हें नोटिस देने की आवश्यकता नहीं है।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह भारत और भारत संघ के अटॉर्नी जनरल को सूचित करेंगे ताकि उनका प्रतिनिधित्व किया जा सके। न्यायालय ने शेष प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। न्यायालय ने आगे कहा कि अटॉर्नी जनरल, यदि उपस्थित होते हैं, तो उन्हें प्रस्तुतियां देने का पहला अवसर दिया जाएगा। उसके बाद सॉलिसिटर जनरल और इंदिरा जयसिंह और जितेन्द्र कल्ला मामलों में पक्षों का प्रतिनिधित्व करने वाले अन्य वकील को प्रस्तुतियां दी जाएंगी। सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह के पास अपनी दलीलें पेश करने का आखिरी मौका होगा।
पिछले सप्ताह के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया था कि व्यवस्था को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि केवल योग्य एडवोकेट ही डेजिग्नेशन प्राप्त करें, क्योंकि अयोग्य उम्मीदवारों को डेजिग्नेशन प्रदान करने से न्यायपालिका की प्रतिष्ठा प्रभावित हो सकती है।
अदालत द्वारा उठाई गई चिंताओं में यह भी शामिल है कि क्या कोई एडवोकेट डेजिग्नेशन की मांग कर सकता है, यह देखते हुए कि एडवोकेट एक्ट की धारा 16(2) में यह प्रावधान है कि डेजिग्नेशन सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट द्वारा प्रदान किया जाने वाला विशेषाधिकार है। अन्य चिंताओं में उम्मीदवार के व्यक्तित्व का आकलन करने के लिए संक्षिप्त इंटरव्यू की पर्याप्तता, उम्मीदवारों के मूल्यांकन के लिए अंक प्रणाली में ईमानदारी और निष्पक्षता को शामिल किया जा सकता है या नहीं। साथ ही सक्रिय भागीदारी पर विचार किए बिना केवल वर्षों के अभ्यास के आधार पर अंकों का यांत्रिक आवंटन शामिल है।
कोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि क्या इंटरव्यू प्रक्रिया अधिवक्ताओं की गरिमा को कम कर सकती है। डेजिग्नेशन प्रक्रिया को चयन प्रक्रिया में बदल सकती है। कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान प्रणाली ट्रायल कोर्ट में मेधावी वकीलों को अवसर नहीं देती है, क्योंकि वे 'रिपोर्ट किए गए निर्णयों' के तहत अंक हासिल नहीं कर सकते हैं।
केस टाइटल- जितेन्द्र @ कल्ला बनाम राज्य (सरकार) एनसीटी दिल्ली एवं अन्य।