Senior Advocate Designations : दिल्ली हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर

Shahadat

4 Dec 2025 6:00 PM IST

  • Senior Advocate Designations : दिल्ली हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर

    सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई, जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा 'सीनियर एडवोकेट्स' के तौर पर डेज़िग्नेशन के लिए एप्लीकेशन लेने में देरी का आरोप लगाया गया।

    याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 15 अप्रैल के ऑर्डर का पालन न करने का दावा किया गया, जिसे जस्टिस अभय एस. ओक और जस्टिस उज्जल भुयान की बेंच ने पास किया था। इस ऑर्डर में दिल्ली हाईकोर्ट को सीनियर डेज़िग्नेशन के लिए उन एप्लीकेशन पर नए सिरे से विचार करने का निर्देश दिया गया था, जिन्हें पिछले साल नवंबर में मौजूदा नियमों (द हाईकोर्ट ऑफ़ दिल्ली डेज़िग्नेशन्स ऑफ़ सीनियर एडवोकेट्स रूल्स 2024) के अनुसार टाल दिया गया था या रिजेक्ट कर दिया गया था।

    यह ऑर्डर उन रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पास किया गया था, जिनमें दिल्ली हाईकोर्ट के 29 नवंबर, 2024 को जारी नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी, जिसमें 70 एडवोकेट्स को सीनियर एडवोकेट्स डेज़िग्नेट किया गया और बाकी 67 को कथित गड़बड़ियों के आधार पर भविष्य में विचार के लिए "डेफर्ड लिस्ट" में रखा गया था।

    परमानेंट कमेटी के पूर्व सदस्य, सीनियर एडवोकेट सुधीर नंदराजोग ने यह आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया था कि डेजिग्नेटेड सीनियर एडवोकेट्स की फाइनल लिस्ट उनकी सहमति के बिना तैयार की गई। 24 फरवरी को उन्होंने बताया था कि कमेटी ने 19 नवंबर, 2024 को इंटरव्यू खत्म कर लिए और 25 नवंबर, 2024 को एक मीटिंग हुई, जिसके दौरान तत्कालीन चीफ जस्टिस ने कैंडिडेट्स की एक ड्राफ्ट लिस्ट सर्कुलेट की थी। नंदराजोग के अनुसार, यह सहमति बनी थी कि 2 दिसंबर, 2024 को एक अगली मीटिंग में लिस्ट का रिव्यू किया जाएगा। हालांकि, आगे कोई मीटिंग नहीं हुई।

    नंदराजोग के अलावा, हाईकोर्ट की परमानेंट कमेटी में तत्कालीन चीफ जस्टिस मनमोहन, जस्टिस विभु बाखरू, जस्टिस यशवंत वर्मा, एडिशनल सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा और सीनियर एडवोकेट मोहित माथुर शामिल थे।

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और नंदराजोग को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगा था और परमानेंट कमेटी की रिपोर्ट भी सीलबंद लिफाफे में मांगी थी। सीलबंद रिपोर्ट देखने पर कोर्ट ने पाया कि कमिटी ने सीनियर डेज़िग्नेशन के लिए नामों की सिफारिश की थी, जो उसके अधिकार क्षेत्र से बाहर था। 2017 के इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट ऑफ़ इंडिया के फैसले का ज़िक्र करते हुए जस्टिस ओक ने बताया कि कमिटी का काम सिर्फ़ उम्मीदवारों को ऑब्जेक्टिव क्राइटेरिया के आधार पर पॉइंट देने तक सीमित है और यह सिफारिशें करने तक नहीं है। उन्होंने हाल के जितेंद्र कल्ला फैसले का भी ज़िक्र किया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने फिर से कहा कि कमिटी का काम पॉइंट देने के साथ खत्म हो जाता है।

    यह कंटेम्प्ट याचिका एडवोकेट संजय दुबे (उन एप्लीकेंट्स में से एक, जिन्हें सीनियर डेज़िग्नेशन देने से मना कर दिया गया) ने एक रिट पिटीशन में दायर की है, जिसे रमन उर्फ ​​रमन गांधी बनाम रजिस्ट्रार जनरल, हाईकोर्ट ऑफ़ दिल्ली एंड अन्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत निपटा दिया गया, जिसमें 15 अप्रैल का ऑर्डर पास किया गया था। उन्होंने इसी तरह की एक और रिट याचिका दायर की थी, जिसे जनवरी में खारिज कर दिया गया।

    Case Details: SANJAY DUBEY v. THE FULL REFERENCE OF THE HON'BLE JUDGES OF THE HIGH COURT OF DELHI | Diary No. 60527/2025

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