चयनित आईएएस उम्मीदवारों को अपनी पसंद के कैडर या गृह राज्य में कैडर प्राप्त करने का अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

23 Oct 2021 6:21 AM GMT

  • चयनित आईएएस उम्मीदवारों को अपनी पसंद के कैडर या गृह राज्य में कैडर प्राप्त करने का अधिकार नहीं : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चयनित आईएएस उम्मीदवारों को अपनी पसंद के कैडर या गृह राज्य में कैडर प्राप्त करने का कोई अधिकार नहीं है।

    न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा कि कैडर का आवंटन अधिकार का मामला नहीं है और राज्य के पास अपनी मर्जी से कैडर के आवंटन का कोई विवेक नहीं है।

    अदालत ने यह भी देखा कि कैडर आवंटन के संबंध में भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 5(1) के तहत उस राज्य से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं है जिससे उम्मीदवार संबंधित है। भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम, 1954 के नियम 5(1) का अधिदेश (mandate) तब संतुष्ट हो जाता है, जब उस राज्य से परामर्श किया जाता है, जहां अधिकारी को कैडर दिया जाना है।

    अदालत ने 28.02.2017 को एर्नाकुलम में केरल हाईकोर्ट द्वारा जारी एक निर्देश के खिलाफ भारत संघ द्वारा दायर अपील को अनुमति दी, जिसके तहत एक सफल आईएएस उम्मीदवार को अखिल भारतीय सेवा के केरल कैडर में एक चयनित उम्मीदवार को आवंटित करने का निर्देश दिया गया था।

    एक सफल आईएएस उम्मीदवार ए शाइनामोल को हिमाचल प्रदेश कैडर आवंटित किया गया था। उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (Administrative Tribunal)की एर्नाकुलम पीठ के समक्ष प्रशासनिक न्यायाधिकरण अधिनियम, 1985 की धारा 19 (Section 19 of the Administrative Tribunals Act, 1985) के तहत एक मूल आवेदन दायर किया।

    ट्रिब्यूनल ने यूनियन ऑफ इंडिया को महाराष्ट्र कैडर में बाहरी ओबीसी रिक्ति में आवेदक को उसकी योग्यता के आधार पर महाराष्ट्र कैडर आवंटित करने का निर्देश दिया। उम्मीदवार और यूनियन ऑफ इंडिया ने इस आदेश को केरल हाईकोर्ट के समक्ष चुनौती दी। दोनों रिट याचिकाओं का निपटारा करते हुए हाईकोर्ट ने घोषणा की कि उम्मीदवार केरल कैडर प्राप्त करने की पात्र है।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष, केंद्र सरकार ने निम्नलिखित मुद्दे उठाए:

    (1) क्या कैडर के आवंटन के संबंध में उस राज्य से परामर्श की आवश्यकता है, जिस राज्य से उमीदवार संबंधित है या उस राज्य से परामर्श की आवश्यकता है, जहां उम्मीदवार को कैडर आवंटित किया जा रहा है।

    (2) क्या कैडर के आवंटन में उम्मीदवार की कोई भूमिका है।

    अदालत ने कहा कि अनारक्षित रिक्ति पर एक सामान्य योग्यता उम्मीदवार के रूप में चयनित एससी / एसटी या ओबीसी उम्मीदवार कैडर आवंटन के संबंध में शिकायत नहीं कर सकते, लेकिन यदि सेवा के चयन में सुधार होता है तो उन्हें आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार के रूप में सेवा लेने का अधिकार है।

    'परामर्श' के मुद्दे पर, अदालत ने इस प्रकार देखा:

    आवेदक को हिमाचल प्रदेश राज्य कैडर आवंटित किया गया था और उस राज्य को उसके आवंटन के लिए हिमाचल प्रदेश राज्य द्वारा विधिवत सहमति दी गई थी। वास्तव में केरल राज्य से आवेदक के संबंध में किसी परामर्श की आवश्यकता नहीं है, इसलिए, भारतीय प्रशासनिक सेवा (कैडर) नियम, 1954 के 5(1) का अधिदेश तब संतुष्ट होता है, जब उस राज्य से परामर्श किया जाता है जिसे उम्मीदवार को आवंटन किया गया है।

    यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य बनाम राजीव यादव, आईएएस के में फैसले का जिक्र करते हुए अदालत ने कहा कि कैडर का आवंटन अधिकार का मामला नहीं है।

    अदालत ने कहा,

    "यह माना गया था कि एक चयनित उम्मीदवार को आईएएस में नियुक्ति के लिए विचार करने का अधिकार है, लेकिन उसे अपनी पसंद के कैडर या अपने गृह राज्य में कैडर आवंटित करने का कोई अधिकार नहीं है। जैसा कि ऊपर कहा गया है, कैडर का आवंटन एक सेवा का मामला है।

    आवेदक ने अपनी खुली आंखों से अखिल भारतीय सेवा के लिए एक उम्मीदवार के रूप में देश में कहीं भी सेवा करने का विकल्प चुना है। एक बार एक आवेदक सेवा के लिए चुने जाने के बाद होम कैडर के लिए जद्दोजहद शुरू होती है। कैडर के आवंटन की प्रक्रिया एक यांत्रिक प्रक्रिया है और नियम 7(4) के संदर्भ में कोई अपवाद स्वीकार नहीं है, जिसे नियम 7(3) के क्लॉज़ के रूप में पढ़ा जाना है। राज्य के पास अपनी मर्जी और पसंद के आधार पर कैडर के आवंटन का कोई विवेक नहीं है।"

    अदालत ने कहा कि ट्रिब्यूनल या हाईकोर्ट को इस मामले में कैडर के आवंटन में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए था।

    अदालत ने यह भी नोट किया कि आवेदक ने एर्नाकुलम बेंच के समक्ष इस कारण से एक आवेदन दायर किया कि वह राज्य में स्थायी निवासी है या यह कारण से हो सकता है कि आवंटन का आदेश उसे केरल राज्य में प्राप्त हुआ हो।

    बेंच ने कहा कि ये दोनों कारण ट्रिब्यूनल के एर्नाकुलम बेंच के अधिकार क्षेत्र के भीतर उत्पन्न होने वाली कार्यवाही को प्रेरित नहीं करते।

    पीठ ने दोनों अपील को अनुमति दी और हाईकोर्ट और न्यायाधिकरण दोनों के आदेश रद्द कर दिये।

    केस का नाम : यूनियन ऑफ इंडिया बनाम ए. शाइनामोल, आईएएस एलएल 2021 एससी 584

    कोरम: जस्टिस हेमंत गुप्ता और वी. रामसुब्रमण्यम

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