सीआरपीसी की धारा 482 - अंतरिम राहत/जांच पर रोक केवल दुर्लभतम मामलों में ही लगाई जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

3 Aug 2022 11:16 AM IST

  • सीआरपीसी की धारा 482 - अंतरिम राहत/जांच पर रोक केवल दुर्लभतम मामलों में ही लगाई जा सकती है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कहा है कि कोई हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए, केवल दुर्लभतम मामलों में ही जांच या किसी अन्य अंतरिम राहत पर रोक लगा सकता है।

    पीठ ने इस प्रकार गुजरात हाईकोर्ट द्वारा पारित आदेशों को खारिज करते हुए संविधान के अनुच्छेद 226 के साथ पठित सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दायर याचिकाओं पर विचार के दौरान आगे की आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगाते हुए अंतरिम राहत प्रदान की और परिणामस्वरूप आगे की जांच पर रोक लगा दी।

    पीठ ने कहा कि आपराधिक कार्यवाही में, इसने हाईकोर्ट द्वारा पारित पहले के अंतरिम आदेशों को रद्द कर दिया था।

    कोर्ट ने कहा,

    "हाईकोर्ट द्वारा पारित पहले के अंतरिम आदेशों को रद्द करने और निरस्त करने के इस कोर्ट के पूर्व के आदेशों एवं फैसलों के बावजूद विद्वान एकल न्यायाधीश ने एक बार फिर वही अंतरिम प्रदान की है, जैसा कि यहां ऊपर देखा गया है, जो मैसर्स निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (सुप्रा) के मामले में हमारे पहले के फैसले और आदेश के विपरीत कहा जा सकता है। हम आगे कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं क्योंकि मूल रिट याचिकाकर्ताओं-अभियुक्तों की ओर से पेश हुए विद्वान वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने आगे कारण दर्शाते हुए कोई भी तार्किक आदेश पारित न करने की प्रार्थना की है।"

    पीठ ने 'निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र सरकार एवं अन्य, एआईआर 2021 एससी 1918' में दिये गये फैसले का जिक्र करते हुए इस प्रकार टिप्पणी की:

    "ऐसा लगता है कि विद्वान एकल न्यायाधीश की यह राय प्रतीत होती है कि कारण देने के बाद, हाईकोर्ट सीआरपीसी की धारा 482 के साथ पठित संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत दायर आपराधिक शिकायत को रद्द करने की मांग वाली याचिका में आगे की जांच पर अंतरिम रोक लगा सकता है। हाईकोर्ट ने मैसर्स निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड (सुप्रा) के मामले में इस कोर्ट द्वारा निर्धारित सिद्धांतों और कानून का उचित मूल्यांकन नहीं किया है। इस कोर्ट द्वारा मैसर्स निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के मामले में जिस बार पर जोर दिया गया है वह यह है कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्तियों का प्रयोग करते समय जांच और/या कोई अंतरिम राहत केवल दुर्लभतम मामलों में ही दी जाएगी। इस कोर्ट ने आपराधिक कार्यवाही की जांच करने के लिए जांच अधिकारी के अधिकार पर जोर दिया है।"

    मामले का विवरण

    सिद्धार्थ मुकेश भंडारी बनाम गुजरात सरकार, 2022 लाइव लॉ (एससी) 653 | सीआरए 1044-1046/2022 | 2 अगस्त 2022 | जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस बीवी नागरत्न

    हेडनोट्स

    दंड प्रक्रिया संहिता, 1973; धारा 482 - सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए जांच पर रोक और/या कोई अंतरिम राहत प्रदान करना दुर्लभ से दुर्लभतम मामलों में ही संभव होगा - निहारिका इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड बनाम महाराष्ट्र सरकार, एआईआर 2021 एससी 191 का संदर्भ। (पैरा 6)

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