धारा 313 के तहत आरोपी का बयान एनआई एक्ट की धारा 139 के तहत अनुमान को खारिज करने के लिए बचाव का ठोस सबूत नहीं है : सुप्रीम कोर्ट
LiveLaw News Network
10 March 2021 10:15 AM IST
आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 313 के तहत दर्ज किए गए अभियुक्तों का बयान निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 139 के तहत अनुमान को खारिज करने के लिए बचाव का एक ठोस सबूत नहीं है कि प्रतिफल के लिए चेक जारी किए गए थे।
इस मामले में, न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की पीठ हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें अभियुक्तों को निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट की धारा 138 के तहत दोषी ठहराया गया था।
अदालत ने उल्लेख किया कि अभियुक्त ने केवल संहिता की धारा 313 के तहत अपना बयान दर्ज किया है, और इस बात पर कोई सबूत नहीं जोड़ा है कि प्रतिफल के लिए चेक जारी किए गए थे। दूसरी ओर, शिकायतों को विधिवत दाखिल किया गया, उसके समर्थन में सभी दस्तावेजी सबूतों को दर्ज किया, और साबित करने के लिए तीन गवाहों की जांच की गई, और ये सबूत के बोझ को स्थापित करने और आरोपमुक्त करने में सक्षम थी।
अदालत ने आगे कहा कि अधिनियम के प्रावधानों के संदर्भ में प्रतिफल के अनुमान का एक जनादेश है और चेक के जारी करने पर आरोपी पर ये भार आ जाता है कि वो खंडन करे कि चेक एनआई एक्ट के तहत किसी ऋण को चुकाने के लिए या देनदारी के लिए जारी नहीं किया गया था।
अदालत ने कहा,
"यह अच्छी तरह से तय है कि अधिनियम की धारा 138 के तहत कार्यवाही प्रकृति में अर्ध आपराधिक है, और जो सिद्धांत अन्य आपराधिक मामलों में बरी करने के लिए लागू होते हैं, वे अधिनियम के तहत लगाए गए मामलों में लागू नहीं होते हैं। इसी तरह, अधिनियम की धारा 139 के तहत एक अनुमान लगाया जाता है कि चेक के धारक को पूरे या आंशिक रूप से, किसी ऋण या अन्य देयता से मुक्त के लिए चेक प्राप्त हुआ, तो आरोपी को इस मामले में खंडन करने के लिए संभावनाओं की प्रमुखता ( अपराधों के मामले की तरह उचित संदेह से परे नहीं), फिर साबित किया जाना चाहिए।"
पीठ ने कहा,
जब शिकायतकर्ता ने अपनी शिकायतों के समर्थन में इन सभी दस्तावेजों का प्रदर्शन किया और उसके समर्थन में तीन गवाहों के बयान दर्ज किए, तो आरोपी ने अपना बयान संहिता की धारा 313 के तहत दर्ज किया, लेकिन अधिनियम की धारा 139 के तहत उपलब्ध उसके बचाव के तहत इसके समर्थन में अनुमान लगाने या खंडन करने के सबूतों को दर्ज करने में विफल रही।"
अदालत ने अपील खारिज करते हुए कहा,
"संहिता की धारा 313 के तहत दर्ज अभियुक्तों का बयान बचाव का एक पुख्ता सबूत नहीं है, लेकिन अभियुक्तों के लिए अभियोजन पक्ष के मामले में दिखाई देने वाली परिस्थितियों को समझाने का केवल एक अवसर है। इसलिए, इसका खंडन करने के लिए कोई सबूत नहीं है कि चेक प्रतिफल के लिए जारी किए गए थे।"
मामला: सुमति विज बनाम पैरामाउंट टेक फैब इंडस्ट्रीज [सीआरए 292/ 2021]
पीठ : जस्टिस इंदु मल्होत्रा और जस्टिस अजय रस्तोगी
उद्धरण : LL 2021 SC 149
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