दूसरी अपील एक प्रतिवादी की मृत्यु पर तब समाप्त नहीं होती है, जब जीवित प्रतिवादी के खिलाफ मुकदमा करने का अधिकार जीवित रहता है: सुप्रीम कोर्ट
Avanish Pathak
31 Aug 2022 4:20 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक प्रतिवादी की मृत्यु पर दूसरी अपील तब समाप्त नहीं होती है, जब जीवित प्रतिवादी के खिलाफ मुकदमा करने का अधिकार जीवित रहता है। जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की पीठ ने कहा, समापन तभी होता है, जब कार्रवाई का कारण जीवित पक्ष पर या उसके खिलाफ जीवित नहीं रहता है।
अदालत बॉम्बे हाईकोर्ट के एक आदेश के खिलाफ अपील पर विचार कर रही थी, जिसमें एक प्रतिवादी की मृत्यु के कारण दूसरी अपील को खारिज कर दिया गया था। मामले के तथ्यात्मक पहलुओं पर गौर करने के बाद पीठ ने कहा,
"जब दो वादी एक साथ जुड़ते हैं और एक अचल संपत्ति की घोषणा और कब्जे की एक डिक्री प्राप्त करते हैं, तो डिक्री धारकों में से एक की मृत्यु दूसरी अपील को समाप्त नहीं करेगी..."।
अदालत ने तब सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश XXII नियम 2 और 11 का उल्लेख किया और देखा,
"उपरोक्त नियम यह स्पष्ट करता है कि जहां एक से अधिक प्रतिवादी हैं और उनमें से किसी की भी मृत्यु हो जाती है और जहां जीवित प्रतिवादी के खिलाफ मुकदमा करने का अधिकार जीवित रहता है, वहां मुकदमा जीवित प्रतिवादी के खिलाफ आगे बढ़ेगा। आदेश XXII नियम 11 में कहा गया है कि अपील के आदेश XXII के आवेदन में, "प्लैंटिफ" शब्द को एक अपीलकर्ता को शामिल करने के रूप में माना जाएगा, शब्द "डिफेंडेंट" प्रतिवादी है, और "सूट" शब्द एक अपील है...
इसलिए, यदि आदेश XXII नियम 2 में आने वाले शब्द "डिफेंडेंट" को "रिस्पॉन्डेंट" शब्द से बदल दिया जाता है, तो यह स्पष्ट होगा कि दूसरी अपील समाप्त नहीं हुई थी और जीवित प्रतिवादी के खिलाफ मुकदमा करने का अधिकार जीवित रहता है।"
अपील की अनुमति देते हुए, पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट द्वारा दूसरी अपील को इस आधार पर खारिज करना कि अपील को समाप्त कर दिया गया था, मामले के गुण-दोष में जाने के बिना कानून के अनुसार नहीं है।
केस डिटेलः सखाराम (डी) बनाम किशनराव | 2022 लाइव लॉ (एससी) 722 | CA 5067-5068 of 2022 | 3 अगस्त 2022 | जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम