निर्भया केस : दोषियों को अलग- अलग फांसी देने की याचिका पर SC शुक्रवार को सुनवाई करेगा, वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश एमिक्स नियुक्त

LiveLaw News Network

13 Feb 2020 6:45 AM GMT

  • निर्भया केस : दोषियों को अलग- अलग फांसी देने की याचिका पर SC शुक्रवार को सुनवाई करेगा, वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश एमिक्स नियुक्त

    निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में केंद्र और दिल्ली सरकार की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को जवाब देने के लिए एक और दिन का समय दे दिया है। जिसमें दोषियों को अलग- अलग फांसी देने का अनुरोध किया गया है।

    पीठ ने कहा कि वो शुक्रवार को इस मामले में अंतिम सुनवाई करेगी। इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।

    इसके साथ ही जस्टिस आर बानुमति, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस ए एस बोपन्ना की पीठ ने वरिष्ठ वकील अंजना प्रकाश को दोषी पवन की ओर से बहस करने के लिए एमिक्स क्यूरी के तौर पर नियुक्त किया है क्योंकि एपी सिंह अब पवन के वकील नहीं हैं।

    सुनवाई के दौरान दोषी मुकेश की ओर से पेश वृंदा ग्रोवर और विनय व अक्षय की ओर से एपी सिंह ने जवाब देने के लिए कुछ समय और मांगा था। इससे पहले पीठ ने ये साफ किया था कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित सुनवाई का ट्रायल कोर्ट द्वारा नया डेथ वारंट जारी करने के मामले में असर नहीं डालेगा।

    पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया था कि दिल्ली हाईकोर्ट ने एक सप्ताह के भीतर सारे कानूनी उपाय पूरे करने को कहा था लेकिन एक दोषी ने याचिका दाखिल नहीं की। दोषी देश के धैर्य का परीक्षण कर रहे हैं। सरकार कानून के जनादेश का पालन कर रही है ना कि वो अपनी खुशी के लिए फांसी देना चाहती है। चार में से तीन दोषियों के लिए सभी उपचार समाप्त हो गए हैं। पवन गुप्ता ने किसी भी उपाय का लाभ उठाने के लिए नहीं चुना है।

    न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने जवाब दिया था, "किसी को भी कानूनी उपाय का उपयोग करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें सभी संभव कानूनी उपायों का लाभ उठाने के लिए अब एक सप्ताह का समय दिया था लेकिन एक दोषी ने उपाय पूरे नहीं किए।"

    पीठ ने कहा था कि ऐसे में जेल प्रशासन ट्रायल कोर्ट में नया डेथ वारंट जारी करने को लेकर आवेदन दाखिल कर सकती है।

    दरअसल सुप्रीम कोर्ट केंद्र और दिल्ली सरकार की उस याचिका पर जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गया था जिसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषियों के अलग- अलग फांसी देने से इनकार कर दिया था। केंद्र और दिल्ली सरकार ने शाम को ही हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी।

    दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने चार फरवरी अहम फैसला सुनाते हुए कहा था कि दोषियों को अलग- अलग फांसी नहीं जी जा सकती। हाईकोर्ट ने केंद्र की मांग ठुकराते हुए निर्देश दिया था कि दोषी अपने सारे विकल्प एक सप्ताह के भीतर आजमा लें। इसके बाद उनकी मौत की सजा के लिए कार्रवाई शुरू होगी।

    जस्टिस कैत ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट तक उनकी मौत की सजा एक आदेश से आई है, इसलिए हमारी राय में अलग- अलग- अलग फांसी नहीं हो सकती।

    हालांकि पीठ ने दोषियों द्वारा खेले जा रहे सारे कानूनी दांव पेंचों पर नाराज़गी जताई थी और कहा कि वो जानबूझकर देरी कर रहे हैं और संविधान के अनुच्छेद 21 की आड़ ले रहे हैं।

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