यस बैंक घोटाला : वधावन ब्रदर्स को बॉम्बे हाईकोर्ट से मिली ज़मानत पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
LiveLaw News Network
6 Sept 2020 12:42 PM IST
यस बैंक घोटाले से संबंधित मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा डीएचएफएल के प्रमोटरों कपिल और धीरज वधावन को दी गई ज़मानत के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को रोक लगा दी।
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस अजय रस्तोगी और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने कहा कि वह वधावन की जमानत याचिका में शामिल कानूनी मुद्दों की जांच करेगी और इसी के साथ पीठ ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर 7 अक्टूबर तक रोक लगा दी, जिसमें वधावन भाइयों को ज़मानत दी गई थी। इसके साथ ही पीठ ने ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को भी नोटिस जारी किया।
प्रवर्तन निदेशालय ने यस बैंक घोटाले में धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दो वधावन भाइयों को बुक किया है।
यस बैंक के सामने उस समय गंभीर संकट उत्पन्न हुआ, जब 2018 में उसके पास डीएचएफएल, जेट एयरवेज और कैफे कॉफी डे जैसे कॉरपोरेट डिफॉल्टरों को लोन देने के बाद कई बेड लोन (डूबत ऋण) इकट्ठा हो गए।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 21 अगस्त को डीएचएफएल के प्रमोटरों कपिल वाधवान और धीरज वाधवान को प्रवर्तन निदेशालय में उनके खिलाफ दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जमानत दे दी थी क्योंकि एजेंसी रिमांड की तारीख से 60 दिनों में चार्जशीट दाखिल करने में विफल रही थी। हालांकि, वाधवान भाई ज़मानत के बावजूद जेल से रिहा नहीं हुए, क्योंकि सीबीआई के पास उनके खिलाफ एक और मामला दर्ज है।
जस्टिस भारती डांगरे ने यस बैंक धोखाधड़ी मामले में आरोपी बनाए गए भाइयों की जमानत याचिका पर सुनवाई की। दोनों आवेदकों को 7 मार्च, 2020 को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा पंजीकृत एक ही ईसीआईआर में अभियुक्त बनाया गया है।
सीबीआई द्वारा दर्ज उक्त मामले के संबंध में वे 10 मई से न्यायिक हिरासत में बंद हैं। 14 मई को आवेदकों को मुंबई में विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया और उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया गया। इसके बाद उन्होंने 13 जुलाई को डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए आवेदन किया और निचली अदालत के न्यायाधीश ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। ईडी ने आरोप पत्र 13 जुलाई को दाखिल किया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि जिस अवधि में जांच पूरी होनी थी, वह 15 मई से शुरू होगी, जिसका अर्थ है कि रिमांड के पहले दिन को शामिल नहीं किया जाएगा।
ज़मानत स्वीकार करते समय न्यायालय ने उल्लेख किया,
" सत्र न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश, जिसमें 60 दिनों की अवधि की गणना करते हुए रिमांड के पहले दिन को शामिल नहीं किया गया, वह बनाए रखने योग्य नहीं है और उसे पलटा जाता है। 13 जुलाई 2020 को रिमांड के दिन यानी 14 मई 2020 को छोड़कर ईडी द्वारा 60 दिनों के बाद आरोप पत्र दाखिल करना आवेदक को डिफ़ॉल्ट जमानत के लिए योग्य बनाते हैं। वे सीआरपीसी की धारा 167 (2) के तहत ज़मानत पर रिहा होने के हकदार हैं। "