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सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य सेवानिवृत किए गए न्यायिक अधिकारी को 20 लाख देने का आदेश दिया

LiveLaw News Network
9 Sep 2019 6:54 AM GMT
सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य सेवानिवृत किए गए न्यायिक अधिकारी को 20 लाख देने का आदेश दिया
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सुप्रीम कोर्ट ने अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त किए गए एक पूर्व न्यायिक अधिकारी को 20 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने का आदेश दिया है।

दे दी गयी थी अनिवार्य सेवानिवृत्ति दरअसल सिविल जज (JD) और JMFC, विसनगर के तौर पर कार्यरत योगेश एम. व्यास को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई थी। उनके खिलाफ अवैध रूप से जमानत देने और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए थे।

"सजा देने लायक नहीं बनता था कोई मामला"

इसके खिलाफ उन्होंने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की और यह पाया गया कि उनके खिलाफ सजा देने के लिए कोई मामला नहीं बनाया गया था। हालांकि इस आधार पर उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया गया था कि वह पहले से ही 8 साल से नौकरी से बाहर थे और उनकी उम्र लगभग 53 वर्ष थी। ऐसे में इतने लंबे समय के बाद उन्हें सेवा में वापस नहीं लाया जाना चाहिए।

उनके द्वारा दायर अपील में जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस दृष्टिकोण को अस्वीकार कर दिया और कहा:

हम उच्च न्यायालय के इस दृष्टिकोण से सहमत नहीं हैं। एक बार उच्च न्यायालय ने यह माना है कि अपीलकर्ता, जो न्यायिक अधिकारी थे, के खिलाफ आरोप साबित नहीं हुए हैं, इसलिए उनके सम्मान और गरिमा के लिए यह आवश्यकता थी कि उन्हें सेवा में वापस लाया जाए। हम मानते हैं कि अपीलकर्ता ने ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की है जिसके चलते न्यायिक अधिकारी के तौर पर उनको पद से हटाया जाए। दुर्भाग्य से, हम ऐसा नहीं कर सकते क्योंकि अब वह पहले से ही सेवानिवृत्ति की उम्र पार कर चुके हैं। इसलिए एकमात्र मुद्दा यह है कि राहत कैसे दी जाए? क्या उन्हें ब्याज सहित पूरी राशि दी जानी चाहिए या मुआवजे के रूप में एकमुश्त राशि दी जाए?

पीठ ने आगे यह निर्देश दिया कि उन्हें 6 महीने के भीतर एकमुश्त 20 लाख रुपये का भुगतान किया जाए।


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