COVID -19 : सुप्रीम कोर्ट ने होटलों को प्रवासी मजदूरों के लिए आवास बनाने वाली अर्जी का निपटारा किया

LiveLaw News Network

3 April 2020 3:16 PM IST

  • COVID -19 : सुप्रीम कोर्ट ने होटलों को प्रवासी मजदूरों के लिए आवास बनाने वाली अर्जी का निपटारा किया

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान होटल, रिसॉर्ट्स, गेस्टहाउस आदि को आश्रय गृह,क्वारंटीन कैंप और आइसोलेशन वार्ड में तब्दील करने का दिशा- निर्देश मांगा गया था।

    सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी, "सरकार ने पहले ही प्रक्रिया शुरू कर दी है।"

    जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने अवलोकन किया,

    "लोग लाखों विचारों के साथ आ रहे हैं, हर किसी को नहीं सुन सकते।"

    अर्जी में की गई प्रार्थना, वकील अलख आलोक श्रीवास्तव द्वारा पूर्व में दायर एक जनहित याचिका में मांगी गई राहत को पूरा करती थीं जिसमें शहरों से अपने गांवों में वापस जाने का प्रयास करने वाले प्रवासी श्रमिकों को बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है।

    सुविधाओं का उपयोग करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर देते हुए आवेदक ने कहा था कि अधिकारियों द्वारा इस तरह के परिसरों के अधिग्रहण और रूपांतरण की इस कार्रवाई से समय, धन और प्रयास की बचत होगी क्योंकि वहां पहले से ही आवश्यक चीजें मौजूद हैं जैसे कि बिजली बैकअप, बिस्तर,शौचालय, पानी की सप्लाई,रसोई एरिया, वेंटिलेशन, लिफ्ट, कार्यबल, सिक्योरिटी आदि।

    आवेदन में कहा गया,

    "देश भर की सरकारें स्टेडियम, रेलवे कोच और उन्हें क्वारंटीन सुविधाओं में परिवर्तित करने पर भारी मात्रा में खर्च करने की प्रक्रिया में हैं, जो आवश्यक नहीं है, पहले से तैयार आवासों को लेना चाहिए जो तैयार सुविधाएं हैं।"

    उन्होंने आगे कहा था कि उक्त कार्रवाई आपदा प्रबंधन अधिनियम और महामारी रोग अधिनियम, 1857 की धारा 65 से निकलती है, जिससे संबंधित अधिकारी "उपलब्ध संसाधनों" का उपयोग कर सकते हैं।

    "अधिनियम की धारा 65 अधिकारियों को महामारी के मद्देनजर संपत्तियों को अधिग्रहित करने / अधिग्रहित करने का अधिकार देती है और जो भी उपयुक्त है उसका उपयोग किया जा सकता है।"

    आवेदक का कहना था,

    " स्टेडियम, कोच आदि "स्व-सम्‍मिलित आवास द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं में सफाई आदि का इंतजाम नहीं होता, जो विशेष रूप से संक्रामक और जैविक गुणों को ध्‍यान में रखते हुए इनका इंतजाम करने की आवश्‍यकता है।इन आवासों में निरंतर बिजली और पानी की आपूर्ति होगी। "

    इसके अलावा, याचिका में कहा गया कि इन परिसरों को वरीयता देने से सरकारी खजाने का पैसा बचता है, जो वर्तमान में मेक-शिफ्ट व्यवस्था के निर्माण में खर्च किया जा रहा है, जिनमें से अधिकांश में खराब स्वच्छता व्यवस्था है।

    यह आवेदन मिठू जैन, अर्जुन स्याल औरविदिशा कुमार द्वारा तैयार किया गया था और इसे AOR मिठू जैन ने दायर किया था।

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