खुली अदालत में सुनवाई को फिर से शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता और पक्षकारों को संयुक्त सहमति देने को कहा

LiveLaw News Network

2 Jun 2020 7:18 PM IST

  • खुली अदालत में सुनवाई को फिर से शुरू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता और पक्षकारों को संयुक्त सहमति देने को कहा

    खुली अदालत में सुनवाई को फिर से शुरू करने के अनुरोधों का जायजा लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ताओं और पक्षकारों को अपनी लिखित रूप से संयुक्त सहमति देने के लिए कहा है। ऐसी सहमति मिलने पर ही खुली अदालत में सुनवाई के अनुरोध पर विचार किया जाएगा।

    अतिरिक्त रजिस्ट्रार के दस्तखत वाला सर्कुलर मंगलवार को जारी किया गया, जिसमें कहा गया है कि,

    "प्राप्त विभिन्न अनुरोध के मद्देनज़र खुली अदालत में अधिवक्ताओं की भौतिक उपस्थिति की व्यवहार्यता का पता लगाने के लिए, सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन करते हुए, यह सभी अधिवक्ताओं और पक्षकारों को सूचित किया गया है कि खुली अदालत में उपस्थित होने और बहस करने के लिए संयुक्त सहमति देनी होगी। सभी पक्षों की सहमति प्राप्त होने पर ही मामले को माननीय न्यायालय के समक्ष सूचीबद्ध करने पर विचार किया जाएगा, जो कि पीठ की उपलब्धता के अधीन होगा। "

    सर्कुलर ने आगे स्पष्ट किया है कि खुली अदालत की सुनवाई शुरू करने का आदेश केवल सक्षम प्राधिकारी के आदेश और अपेक्षित सामाजिक दूरी के मानदंडों के अधीन होगा।

    सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) ने आज मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे को एक पत्र लिखकर आग्रह किया था कि जुलाई, 2020 से अदालत में भौतिक रूप से खुली सुनवाई के काम को बहाल किया जाए। पत्र में कहा गया कि ओपन कोर्ट की सुनवाई भारतीय कानूनी प्रणाली की "रीढ़" है और वर्चुअल कोर्ट भौतिक पीठों का विकल्प नहीं हैं।

    इसमें वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ऑनलाइन फाइलिंग और मामलों की सुनवाई में "व्यावहारिक कठिनाइयों" की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है। यह कहा गया है कि वकीलों / वादियों को अक्सर एक वर्चुअल सेटिंग में अपने मामले का प्रभावी ढंग से उल्लेख करने के लिए विवश किया जाता है, जबकि तकनीकी कमी, अपर्याप्त सरंचना उपलब्धता, वित्तीय बाधाओं आदि जैसे कारक इसे मुश्किल बनाते हैं।

    इस प्रकार, SCAORA अध्यक्ष, शिवाजी एम जाधव ने, हजारों वकीलों की ओर से गर्मियों की छुट्टियों के बाद जुलाई 2020 में अदालत को फिर से खोलने और खुली अदालत में सुनवाई फिर से शुरू करने के लिए सीजेआई से आग्रह किया।

    इस साल की शुरुआत में, 28 अप्रैल को, बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने सीजेआई से ई-फाइलिंग और वर्चुअल सुनवाई की प्रणाली को लॉकडाउन के बाद को जारी नहीं रखने का अनुरोध किया था। काउंसिल ने कहा था कि अक्सर उम्र के अंतर के अनुसार व्यक्तियों के तकनीकी ज्ञान में अंतर होता है, और अक्सर शिक्षा के तौर तरीके और संसाधनों व प्रौद्योगिकी में अंतर होता है।

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