मणिपाल धोखाधड़ी मामलाःसुप्रीम कोर्ट ने पूर्व कर्मचारी संदीप गुरुराज को जमानत दी
LiveLaw News Network
19 Jan 2021 5:15 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपाल एजुकेशन एंड मेडिकल ग्रुप (एमईएमजी) के पूर्व उप महाप्रबंधक संदीप गुरुराज को कंपनी खातों से धन निकालने (कथित रूप से 62 करोड़) के मामले में जमानत दे दी है।
जमानत देते समय, अदालत ने कहा कि तात्कालिक मामला सार्वजनिक धन से संबंधित नहीं, बल्कि संबंधित कॉर्पोरेट संस्थाओं के पैसे का है।
जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने कहा कि,''हमने इस मामले पर विचार किया और पाया कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है व अनुपूरक चार्जशीट दायर की जा चुकी है, इसलिए हम अपीलकर्ता को कुछ शर्तों के तहत जमानत देने के इच्छुक हैं, जो पिछले दो साल से अधिक समय से हिरासत में है।''
संदीप, जब मणिपाल इंटीग्रेटेड सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के उप महाप्रबंधक के रूप में काम कर रहा था,उसने कथित तौर पर मणिपाल ग्रुप कंपनियों व मणिपाल ग्रुप कंपनियों के अध्यक्ष के व्यक्तिगत खाते से कुछ राशि को अन्य आरोपियों के पक्ष में डायवर्ट कर दिया था। उसे 26 दिसंबर 2018 को गिरफ्तार किया गया था।
उसकी पहली जमानत अर्जी को कर्नाटक हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था जिसकी पुष्टि पिछले साल मार्च में उच्चतम न्यायालय ने की थी। इसके बाद, उसने फिर से बदली हुई परिस्थितियों के आधार पर एक और जमानत अर्जी दायर की, परंतु उसे भी हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था।
सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष यह दलील दी गई थी कि सार्वजनिक मंच पर जिन्हें "पैराडाइज पेपर्स" कहा गया है, उनके संबंध में उसे एक बलि का बकरा बनाया जा रहा है, क्योंकि अपतटीय संस्थाओं के माध्यम से संसाधनों के एकत्रीकरण के संबंध में प्रबंधन के आचरण पर सवाल उठाए जा रहे थे। सॉलिसिटर जनरल ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अपीलकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है, विचाराधीन राशियों को अपीलकर्ता द्वारा वापस नहीं लाया गया है, सह-अभियुक्तों में से कुछ फरार हैं और अपीलकर्ता के न्याय से भागने की संभावना है क्योंकि देश के बाहर उसके मजबूत संबंध है।
अदालत ने ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए कुछ नियम और शर्तों पर जमानत देते हुए कहा कि,
''हमने इस मामले पर विचार किया और पाया कि मामले की जांच पूरी हो चुकी है व अनुपूरक चार्जशीट दायर की जा चुकी है। इसलिए हम अपीलकर्ता को कुछ शर्तों के तहत जमानत देने के इच्छुक हैं, जो पिछले दो साल से अधिक समय से हिरासत में है। हम विवाद के गुणों पर और टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे, क्योंकि इससे मुकदमे की सुनवाई हो सकती है। यह कहने के लिए पर्याप्त है कि अपीलकर्ता की देश में स्थित संपत्ति संलग्न हो चुकी हैं, उसका पासपोर्ट शिकायतकर्ता कंपनी के पास बताया गया है,जिसे अदालत में जमा करा दिया जाएगा और मामले में कोई सार्वजनिक धन शामिल नहीं है। तथ्य यह है कि आपराधिक अपराधों के लिए अपीलकर्ता को मुकदमे के लिए बुलाया जा रहा है, जो एक ऐसा मामला है जिस पर आपराधिक मुकदमे के दौरान ही निर्णय किया जाएगा और एकमात्र प्रयास यह सुनिश्चित करने के लिए हो सकता है कि अपीलकर्ता मुकदमे का सामना करने के लिए देश में ही रहे।''
केसः संदीप गुरुराज बनाम कर्नाटक राज्य [CRIMINAL APPEAL NO. 49 OF 2021]
कोरमः जस्टिस संजय किशन कौल,जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस हृषिकेश रॉय
वकीलः सीनियर एडवोकेट वी. मोहना, एसजी तुषार मेहता
उद्धरणः एलएल 2021 एससी 24
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