सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला मंदिर के आभूषणों की सूची तैयार करने के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज का पैनल बताया
LiveLaw News Network
7 Feb 2020 2:25 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमला में भगवान अय्यप्पा के पवित्र आभूषणों की एक विस्तृत सूची तैयार करने के लिए केरल हाईकोर्ट के सेवानिवृत जज जस्टिस सीएन रामचंद्रन नायर को नियुक्त किया है।
पीठ ने कहा है कि सेवानिवृत्त न्यायाधीश इस काम के लिए किसी जौहरी की मदद ले सकते हैं। पीठ ने न्यायाधीश को चार सप्ताह में आभूषणों की सूची सील कवर में दाखिल करने को कहा है।
पीठ ने कहा, "हम केवल गहनों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। सूची को हम सील कवर में रखेंगे।" शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि पद्मनाभस्वामी मंदिर की तरह अयप्पा के आभूषणों को भी खजाने में सुरक्षा के बीच रखा जा सकता है।
दरअसल न्यायमूर्ति एनवी रमना की अध्यक्षता वाली एक अन्य तीन जजों की पीठ भगवान अयप्पा के आभूषणों के स्वामित्व और संरक्षण पर सुनवाई कर रही है। बुधवार को पीठ मंदिर के प्रशासन के लिए एक अलग समिति के मुद्दे पर 2011 में दाखिल वरिष्ठतम पंडाल परिवार के सदस्य रेवती नाल पी रामावरमा राजा की अपील पर सुनवाई की।
"फिलहाल, गहने सुरक्षित हैं?" अपीलकर्ताओं के लिए वरिष्ठ वकील के राधाकृष्णन से न्यायमूर्ति रमना ने पूछा था।
"हां, इस समय वो हैं। एक सूची है, एक मजबूत कमरा है जो बंद है। और पुलिस भी है ... वे मंदिर और शाही परिवार के बीच का संबंध हैं," वरिष्ठ वकील ने जवाब दिया था।
"मंदिर एक वरिष्ठ अधिकारी को नियुक्त कर सकता है जिसकी कस्टडी में गहने हो सकते हैं? आप उन्हें गलत तरीके से नहीं दिखा सकते हैं, निश्चित रूप से ... वे भगवान के हैं।" न्यायमूर्ति रमना ने कहा था।
"हां ... लेकिन वे शाही परिवार के हैं, वे मंदिर के गहने नहीं हैं ... परिवार की एक शाखा कह रही है कि वे उनके हैं और दूसरी शाखा के नहीं हैं। हम कह रहे हैं कि वो पूरे परिवार की संपत्ति है और किसी विशेष कबीले के नहीं।" राधाकृष्णन ने परिवार के वरिष्ठ सदस्यों की कस्टडी में गहनों को रहने की प्रार्थना करते हुए कहा था।
"एक बार स्वामी को दिए जाने के बाद, यह सवाल कहां है? ये पुराने लोग हैं। कुछ वर्षों के बाद, हमें नहीं पता कि क्या होता है। इस मुकदमे को देखें। हमें मूल्यवान आभूषणों को किसी के हाथों में क्यों देना चाहिए?" जज ने पूछा था।
"यह प्रथा रही है कि वर्ष में एक बार राजा 'देवप्रसन्नम'के पहनने के लिए ये आभूषण देते हैं।" राधाकृष्णन ने कहा था।
"हम इन प्रथाओं का सम्मान करते हैं। हम किसी भी परंपरा को परेशान नहीं करना चाहते हैं। लेकिन आभूषणों के संरक्षण के लिए एक जिम्मेदार अधिकारी होने में समस्या कहां है? उन्हें बहुत समय पहले भगवान को दिया गया था।
आखिरकार, इन्हें देवता को देना होगा।शुभ दिन पर, उन्हें राजा से लिया जाता है और सजाया जाता है और फिर वापस दिया जाता है ..कस्टडी एकमात्र मुद्दा है। हम स्वामित्व पर नहीं हैं.. आपने कहा है कि उन्हें अध्यक्ष, सचिव आदि द्वारा नियुक्त किया जाएगा। (पंडालम महल प्रबंध समिति में, जो शाही परिवार की अन्य शाखा से संबंधित हैं)?" न्यायमूर्ति रमना ने सवाल किया।
जब राधाकृष्णन ने इस दावे से इनकार किया कि आभूषणों को गलत तरीके से बेचा जाएगा तो पीठ ने केरल राज्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता से कहा था कि वो राज्य सरकार से इस पर निर्देश लाएं कि अगर आभूषणों को केरल सरकार के राजकोष में रखा जाए तो आभूषणों की सुरक्षा कैसे होगी।