जज का रोस्टर बदलता है तो उसी FIR से संबंधित जमानत याचिकाओं को उसी बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने का नियम लागू नहीं होगा: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया
Shahadat
12 Feb 2025 4:32 AM

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अपने पिछले निर्णयों को स्पष्ट किया, जिसमें कहा गया कि रोस्टर में बदलाव के बाद उत्पन्न होने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए एक ही FIR से संबंधित जमानत याचिकाओं को उसी बेंच/जज के समक्ष रखा जाना चाहिए।
यदि रोस्टर में बदलाव के बाद पहले की जमानत याचिका पर सुनवाई करने वाला जज किसी खंडपीठ का हिस्सा बन जाता है तो उसी FIR में किसी अन्य आरोपी द्वारा बाद में दायर की गई जमानत याचिका को देरी से सूचीबद्ध किया जा सकता है, क्योंकि उक्त जज नियमित रूप से जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं कर रहा है।
ऐसी कठिनाइयों को देखते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने स्पष्ट किया कि रोस्टर में बदलाव के कारण पिछले जज द्वारा जमानत याचिकाओं पर सुनवाई नहीं किए जाने की स्थिति में एक ही जज के समक्ष जमानत याचिकाओं को सूचीबद्ध करने का नियम लागू नहीं होगा।
राजपाल बनाम राजस्थान राज्य 2023 लाइव लॉ (एससी) 1066 में सुप्रीम कोर्ट ने माना कि एक ही FIR से संबंधित जमानत याचिकाओं को स्पेशल बेंच के समक्ष सूचीबद्ध किया जाना चाहिए। यह निर्देश एक ही FIR के संबंध में विभिन्न पीठों द्वारा पारित विरोधाभासी आदेशों की स्थिति से बचने के लिए जारी किया गया।
हालांकि, चूंकि हाईकोर्ट रोस्टर प्रणाली का पालन करते हैं, इसलिए एक निश्चित अवधि के बाद जजों का कार्यभार बदल जाता है। यह भी संभव है कि एकल जज, जो पहले जमानत के मामलों का कार्यभार संभाल रहा था, बाद के रोस्टर में खंडपीठ का हिस्सा हो सकता है।
इसलिए खंडपीठ ने कहा कि यदि जमानत आवेदनों को एक ही पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने के निर्देश का सार्वभौमिक रूप से पालन किया जाता है तो इससे पीठों में व्यवधान और देरी हो सकती है।
खंडपीठ ने निम्नलिखित स्पष्टीकरण दिए:
"इसलिए हम स्पष्ट करते हैं कि यदि किसी स्पेशल हाईकोर्ट में जमानत आवेदनों को अलग-अलग एकल जज/पीठ को सौंपा जाता है तो उस स्थिति में एक ही FIR से उत्पन्न सभी आवेदनों को एक जज के समक्ष रखा जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि एक ही FIR से उत्पन्न विभिन्न जमानत आवेदनों में जज द्वारा लिए गए विचारों में एकरूपता है। हालांकि, यदि रोस्टर में परिवर्तन के कारण जमानत के मामलों को पहले देख रहे जज जमानत के मामलों को नहीं देख रहे हैं तो उपरोक्त निर्देश लागू नहीं होंगे।"
हालांकि न्यायालय ने यह भी कहा कि जमानत के लिए दायर बाद के आवेदनों की सुनवाई करने वाले जज उसी FIR से उत्पन्न जमानत आवेदनों पर विचार करने वाले पहले जज द्वारा लिए गए विचारों को उचित महत्व दे सकते हैं।
रजिस्ट्रार को आदेश की कॉपी सभी हाईकोर्ट को भेजने का निर्देश दिया गया।
केस टाइटल: शेखर प्रसाद महतो बनाम रजिस्ट्रार जनरल झारखंड हाईकोर्ट