एनडीटीवी, प्रणव रॉय और राधिका रॉय पर शेयरधारकों से सूचना छ‌िपाने के आरोप में 27 करोड़ रुपए का जुर्माना, एनडीटीवी ने आरोपों को खारिज किया

LiveLaw News Network

25 Dec 2020 8:51 AM GMT

  • एनडीटीवी, प्रणव रॉय और राधिका रॉय पर शेयरधारकों से सूचना छ‌िपाने के आरोप में 27 करोड़ रुपए का जुर्माना, एनडीटीवी ने आरोपों को खारिज किया

    भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एनडीटीवी के प्रमोटरों राधिका और प्रणय रॉय को प्रतिभूति बाजारों तक पहुंचने से रोकने से एक वर्ष बाद एनडीटीवी शेयरधारकों से मूल्य संवेदनशील जानकारी छुपाने के आरोप में राध‌िका और प्रणब रॉय और आरआरपीआर होल्डिंग्स प्राइवेट लिमिटेड पर 27 करोड़ का जुर्माना लगाया है।

    फर्म के तीन प्रमोटरों पर संयुक्त रूप से और गंभीर रूप से 25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है राधिका और प्रणब रॉय को एक-एक करोड़ रुपए का अलग भुगतान करना होगा। प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने कहा कि उन्होंने कभी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को कंपनी का नियंत्रण सम‌र्पित नहीं किया है।

    उन्होंने कहा कि वे प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल में आदेश और इसके आधारहीन निष्कर्षों के खिलाफ अपील करेंगे।

    बोर्ड ने पाया कि प्रमोटर, एनडीटीवी के शेयरधारकों को मूल्य संवेदनशील जानकारियों का खुलासा करने में विफल रहे, यह देखते हुए कि तीन प्रमोटर "ऋण समझौतों का अभिन्न अंग थे" और कंपनी इसके छोटे शेयरधारकों से जानबूझकर सामग्री और मूल्य संवेदनशील जानकारी छिपाने के आरोपों का सामना कर रहे थे।

    रॉय दं‌पति पर आरोप था कि उन्होंने आरआरपीआर होल्डिंग्स द्वारा आईसीआईसीआई बैंक और विश्वप्रधान वाणिज्यिक प्राइवेट लिमिटेड (वीसीपीएल) से लिए गए ऋण का खुलासा नहीं किया।

    आईसीआईसीआई बैंक ऋण की बाध्यकारी प्रतिबंधात्मक शर्तें थीं कि कंपनी को किसी भी पुनर्गठन से पहले बैंक के अनुमोदन की आवश्यकता होगी। प्रमोटर्स, एनडीटीवी को इस ऋण समझौते के बारे में जानकारी देने में विफल रहे। उनके खिलाफ लगाए गए मामले के अनुसार यह आरोप है कि उन्होंने इस तरह की जानकारी को जनता से छुपाया, जबकि वे अपने ऑफ मार्केट सौदों में आरपीपीआर होल्डिंग्स से एनडीटीवी के शेयर ट्रांसफर / प्राप्त कर रहे थे।

    निर्णयन अधिकारी अमित प्रधान द्वारा दिए गए आदेश में कहा गया है कि ऐसा करके रॉय दंपति ने कंपनी के छोटे शेयरधारकों के साथ प्रथम दृष्टया धोखाधड़ी की है। उन्होंने आगे कहा कि उन्होंने सेबी अधिनियम की धारा 12 ए और सेबी के संबंधित नियमों (प्रतिभूति बाजार से संबंधित धोखाधड़ी व्यापार प्रथाओं का निषेध) अधिनियम, 2003 (पीएफयूटीपी विनियम) का उल्लंघन करते हुए ऋण समझौतों से संबंधित जानकारी का खुलासा करने में असफल रहे।

    2009 और 2010 में वीसीपीएल के साथ ऋण समझौते 350 करोड़ और 50 करोड़ रुपए उधार के लिए किए गए थे। सेबी ने माना कि आईसीआईसीआई ऋण समझौते और वीसीपीएल ऋण समझौतों में क्लॉज और शर्तें शामिल थीं जो एनडीटीवी के कामकाज को काफी प्रभावित करती थीं।

    एनडीटीवी की प्रतिक्रिया

    एनडीटीवी के फाउंडरों और प्रमोटरों ने बार-बार कहा है कि उन्होंने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को कंपनी का नियंत्रण समर्पित नहीं किया है। उनके खिलाफ आज (24 दिसंबर) को जारी सेबी के आदेश, जिसमें कंपनी के नियंत्रण समर्पित करने का आरोप लगाया गया है, तथ्यों के गलत आकलन पर आधारित है।

    नियंत्रण के कथित समर्पण का मुख्य मुद्दा प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण में लंबित है, जिसने 2019 में, न्यायाधिकरण के मामले का फैसला करने तक एनडीटीवी के फाउंडरों के पक्ष में रहने की अनुमति दी थी।

    संस्थापकों के वकील प्रतिभूति अपीलीय ट्रिब्यूनल में आदेश और इसके आधारहीन निष्कर्षों के खिलाफ अपील करेंगे।

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