पीएमएलए अपराध संबंधी अग्रिम जमानत याचिका पर विचार करते समय पीएमएलए एक्ट की धारा 45 की कठोरता लागू होनी चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

7 Jan 2022 11:46 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि एक बार धन शोधन निवारण अधिनियम, Prevention of Money Laundering Act (पीएमएलए) के तहत अपराध के संबंध में अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना करने के बाद, पीएमएलए की धारा 45 में अंतर्निहित सिद्धांतों और कठोरता को लागू किया जाना चाहिए। हालांकि आवेदन आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत है।

    जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने कहा कि अदालत का यह कर्तव्य है कि वह पीएमएलए एक्ट की धारा 45 के जनादेश सहित अधिकार क्षेत्र के तथ्यों की जांच करे, जिसे ध्यान में रखा जाना चाहिए। उन्होंने तेलंगाना हाईकोर्ट द्वारा पारित एक आदेश को खारिज करते हुए कहा उक्‍त टिप्‍पण‌ियां की। तेलंगाना हाईकोर्ट ने धन शोधन निवारण अधिनियम संबंधित अपराध में आरोपी को अग्रिम जमानत दी थी।

    जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने राज्य की ओर से दायर अपील पर विचार करते हुए कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले पर इस प्रकार विचार किया मानो यह भारतीय दंड संहिता के तहत सामान्य अपराध के संबंध में अग्रिम जमानत की प्रार्थना पर विचार कर रहा हो।

    पीठ ने कहा,

    "वास्तव में, पीएमएलए एक्ट के तहत अपराध विधेय अपराध पर निर्भर है, जो भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों सहित सामान्य कानून के तहत होगा। इसका मतलब यह नहीं है कि पीएमएलए अपराध के संबंध में अग्रिम जमानत देने की प्रार्थना पर विचार करते समय, पीएमएलए एक्ट की धारा 45 का शासनादेश लागू नहीं होगा।"

    निकेश ताराचंद शाह बनाम यूनियन ऑफ इंडिया और अन्य (2018) 11 एससीसी 1 (प्रतिवादी आरोपी द्वारा संदर्भित) में किए गए कुछ टिप्पणियों का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा,

    उस मामले में की गई टिप्पणियों को प्रतिवादी ने गलत समझा है। यह कहना एक बात है कि पीएमएलए एक्ट की धारा 45 सामान्य कानून के तहत अपराधों के लिए आकर्षित नहीं होगी, लेकिन एक बार जब पीएमएलए एक्ट के तहत अपराध के संबंध में अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना की जाती है, तो पीएमएलए एक्ट की धारा 45 में निहित सिद्धांत और कठोरता को लागू होना चाहिए- हालांकि आवेदन दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 438 के तहत है।

    आदेश को रद्द करते हुए, पीठ ने अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका पर पुनर्विचार के लिए हाईकोर्ट वापस भेज दिया।

    केस शीर्षक: सहायक निदेशक प्रवर्तन निदेशालय बनाम डॉ वीसी मोहन

    सिटेशन: 2022 लाइवलॉ (एससी) 16

    केस नंबर और तारीख: सीआरए 21 ऑफ 2022| 4 जनवरी 2022

    कोरम: जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार

    प्रतिनिधित्व: अपीलकर्ता के लिए एएसजी केएम नटराज, प्रतिवादी के लिए अधिवक्ता दामा शेषाद्री नायडू

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