जबरन तेज़ाब पिलाने वाली पीड़ितों को कानूनी सुरक्षा देने पर केंद्र विचार करेगा: SG ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया
Praveen Mishra
12 Dec 2025 10:45 AM IST

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वासन दिया है कि वह उन महिलाओं को भी विकलांग अधिकार अधिनियम के अंतर्गत सुरक्षा देने के लिए आवश्यक विधायी कदमों पर विचार करेगी, जिन्हें जबरन तेज़ाब पिलाया गया और जिनके आंतरिक अंगों को गंभीर नुकसान पहुँचा है।
चीफ़ जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्य बाग्ची की खंडपीठ एसिड अटैक सर्वाइवर शहीन मलिक की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में कहा गया कि कानून में “acid attack victims” की परिभाषा सिर्फ उन मामलों तक सीमित है जहां तेज़ाब फेंके जाने से बाहरी विकृति दिखती है। जबकि तेज़ाब पीने के मामलों में अक्सर कोई बाहरी निशान नहीं होते, लेकिन भोजन नली और पेट को होने वाली चोटें आजीवन और बहुत गंभीर होती हैं।
CJI ने इस तरह की घटनाओं पर कड़ी नाराज़गी जताते हुए कहा कि महिलाओं को तेज़ाब पिलाने वाले पुरुष “जानवरों से भी बदतर” हैं और उन्हें सख्त सज़ा मिलनी चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी माना कि यह गंभीर मुद्दा है और तुरंत नीति बनाने की आवश्यकता है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि SG ने आश्वासन दिया है कि छह सप्ताह के भीतर इस विषय पर आवश्यक नीति और कदमों पर विचार किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि पहले दिए गए निर्देशों के अनुसार जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने एसिड अटैक मामलों की लंबित संख्या संबंधी अपनी रिपोर्ट दाखिल कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट से इन पाँच लंबित मामलों की सुनवाई को प्राथमिकता देने को कहा।
अदालत ने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस भी जारी किया है, जो 27 जनवरी 2026 को रिटर्नेबल होगा।
देशभर में ऐसे कई मामले सामने आते रहे हैं जहाँ महिलाओं को घरेलू हिंसा, दहेज विवाद या प्रताड़ना का विरोध करने पर बदले की भावना से जबरन तेज़ाब पिलाया जाता है। बाहरी निशान न होने के कारण ये हमले अक्सर आधिकारिक आँकड़ों में दर्ज नहीं होते, जबकि आंतरिक क्षति कहीं अधिक गंभीर और जीवनभर पीड़ादायक होती है।

