जम्मू-कश्मीर में वैधानिक पैनलों को फिर से खोलने पर उचित स्तर पर विचार किया जा रहा है: सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने कहा

Shahadat

18 Feb 2023 5:10 AM GMT

  • जम्मू-कश्मीर में वैधानिक पैनलों को फिर से खोलने पर उचित स्तर पर विचार किया जा रहा है: सुप्रीम कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल ने कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भारत के सॉलिसिटर जनरल का बयान दर्ज किया कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में वैधानिक पैनलों को फिर से खोलने की याचिका पर उचित स्तर पर विचार किया जा रहा है।

    कोर्ट ने याचिकाकर्ता को जनहित याचिका में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख को पक्षकार बनाने के लिए भी कहा। याचिका असीम सुहास सरोदे द्वारा दायर की गई है, जिसमें कहा गया कि राज्य सूचना आयोग, मानवाधिकार आयोग और जम्मू-कश्मीर में उपभोक्ता पैनल जैसे विभिन्न वैधानिक पैनल अब भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से काम नहीं कर रहे हैं।

    चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की खंडपीठ के समक्ष यह मामला सूचीबद्ध किया गया।

    पिछली सुनवाई में पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से मामले की वर्तमान स्थिति से पीठ को अवगत कराने को कहा था। शुक्रवार को एसजी तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि उन्हें जवाब देने के लिए तीन और सप्ताह की आवश्यकता होगी। उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एंड लद्दाख को मामले में पक्षकार के रूप में शामिल करने का भी अनुरोध किया।

    याचिकाकर्ता ने पहले डीओपीटी (कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग), राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और भारतीय विधि आयोग को जनहित याचिका में पक्षकार बनाया। हालांकि, सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख को भी मामले में पक्षकार के रूप में शामिल करने के लिए कहा। सॉलिसिटर जनरल को जवाब देने के लिए तीन सप्ताह का समय दिया गया।

    सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश लिखवाते हुए कहा,

    "जम्मू एंड कश्मीर एंड लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश को पक्षकार के रूप में जोड़ा जाएगा। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले पर उचित स्तर पर विचार किया जा रहा है और एक बयान देने के लिए तीन सप्ताह की अवधि की आवश्यकता हो सकती है। इस अदालत के समक्ष मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करें।

    केस टाइटल: असीम सुहास सरोदे बनाम भारत संघ और अन्य। डब्ल्यूपी(सी) नंबर 921/2020 पीआईएल

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