किसी और अपराध में किए गए डिस्‍क्लोज़र स्टेटमेंट के आधार पर रिकवरी: सुप्रीम कोर्ट ने हत्या मामले में आरोपी को बरी किया

LiveLaw News Network

16 Dec 2021 6:06 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (9 दिसंबर) को कहा कि साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत रिकवरी स्वीकार्य नहीं होगी यदि ड‌िस्‍क्लोज़र स्टेटमेंट ऐसे अपराध के संबंध में किया गया है, जिसका मुकदमा अलग चल रहा है, खासकर जब इस तरह का बयान ऐसे पुलिस अधिकारी को दिया गया है, जिसका अधिकार क्षेत्र नहीं है।

    जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें हाईकोर्ट ने हत्या के आरोप में दोषी ठहराए गए और आजीवन कारावास की सजा पाने वाले अपीलकर्ताओं को बरी कर दिया था।

    पृष्ठभूमि

    पश्चिम सिक्किम के डेंटम के पास किसी अज्ञात व्यक्ति का शव बरामद किया गया था। इसकी जानकारी टेलीफोन कॉल के जरिए मिली।

    मामले में कलुक थाना पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 174 के तहत रिपोर्ट दर्ज की और हत्या में चार अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया। नामची में सत्र न्यायालय, दक्षिण और पश्चिम सिक्किम द्वारा आईपीसी की धारा 302 सहप‌ठित धारा 34 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए उन पर मुकदमा चलाया गया। सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया।

    राज्य ने सिक्किम हाईकोर्ट के समक्ष केवल अपीलकर्ताओं (राकेश राय और तेनजिंग तमांग) को बरी करने को चुनौती दी, जिसने राज्य द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया और उन्हें अन्य बातों के साथ-साथ आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

    अभियोजन पक्ष का मामला

    बीना (एक अन्य मुकदमे से संबंधित मृतक) और सोनम हत्या के दिन और आसपास चारों आरोपियों के साथ पाए गए थे। एक मारुति कार जिसे एक अपीलकर्ता राकेश राय चला रहा था, उसे डेंटम ब्रिज पर देखा गया था। एक गेस्ट हाउस के मालिक जो अभियोजन पक्ष के गवाहों में से एक थे, उन्होंने बयान दिया था कि राकेश राय ने अपनी कंपनी की एक लड़की का झूठी पहचान के तहत उनके गेस्ट हाउस में रखा था। अभियोजन पक्ष ने राकेश राय द्वारा दिए गए ड‌िस्कलोज़र स्टेटमेंट पर भी बीना के शव की बरामदगी पर भरोसा किया।

    विश्लेषण

    अपीलकर्ता की ओर से पेश एडवोकेट सुश्री आशिमा मंडला और प्रतिवादी राज्य की ओर से पेश एडवोकेट श्री राघवेंद्र कुमार की सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा,

    -आरोपी व्यक्ति (ए1 और ए2), जो अभियोजन के अनुसार सोनम और बीना के साथ थे, को बरी कर दिया गया है और इसे राज्य द्वारा चुनौती नहीं दी गई है।

    -ऐसा कोई गवाह नहीं था जिसने यह बयान दिया हो कि अपीलकर्ताओं को उस दिन सोनम के साथ देखा गया था।

    -रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री दिखाती है कि एक लड़की राकेश राय की कंपनी में थी। लेकिन अभियोजन पक्ष उक्त लड़की की पहचान स्थापित नहीं कर सका।

    राकेश राय के खुलासे से बीना की खोज हुई, जो एक अलग ट्रायल का विषय है जो पहले से ही प्रगति पर है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस द्वारा दर्ज किया गया डिस्‍क्लोज़र स्टेटमेंट वर्तमान मामले के संबंध में नहीं था, बल्कि बीना की हत्या से संबंधित मामले में था, जो पूरी तरह से अलग मुकदमे का विषय है।

    इसके अलावा, कोर्ट ने डिस्‍क्लोज़र स्टेटमेंट को साक्ष्य अधिनियम की धारा 27 के तहत साक्ष्य में अस्वीकार्य पाया, क्योंकि इसे क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन के पुलिस अधिकारी द्वारा दर्ज नहीं किया गया था।

    शीर्षक: राकेश राय @ विशाल राय @ पूर्णा राय और अन्य बनाम सिक्किम राज्य, Criminal Appeal No. 172 of 2018]

    सिटेशन: LL 2021 SC 744


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