'नए आईटी नियमों को पढ़िए' : सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया में इस्लामोफोबिक सामग्री के खिलाफ कार्यवाही मांगने वाले याचिकाकर्ता को कहा

LiveLaw News Network

12 July 2021 7:28 AM GMT

  • नए आईटी नियमों को पढ़िए : सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया में इस्लामोफोबिक सामग्री के खिलाफ कार्यवाही मांगने वाले याचिकाकर्ता को कहा

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर चल रहे सांप्रदायिक 'हैशटैग' और इस्लामोफोबिक सामग्री के खिलाफ दायर एक याचिका को अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ता को नए आईटी नियम, 2021 (सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता, 2021) को पढ़ने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।

    याचिका ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैशटैग के मद्देनज़र दायर की गई थी, जिसने मार्च 2020 में दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज़ में हुई तब्लीगी जमात की बैठक को COVID के आलोक में ​​​सांप्रदायिक रूप दिया था।

    जब मामले की सुनवाई शुरू हुई तो सीजेआई ने पेटिशनर-इन-पर्सन के रूप में पेश हुए अधिवक्ता खाजा एजाजुद्दीन से पूछा,

    "पहले से ही लोग इन मुद्दों को भूल रहे हैं, आप उन्हें फिर से उठाना चाहते हैं? "

    सीजेआई ने याचिकाकर्ता से आगे पूछा कि क्या उन्होंने नए आईटी नियमों की जांच की है।

    सीजेआई ने कहा,

    "हालिया आईटी नियम 2021 इसका ख्याल रखते हैं।"

    याचिकाकर्ता ने जवाब दिया कि आईटी नियम सोशल मीडिया में सांप्रदायिक प्रचार के मुद्दे को संबोधित नहीं करते हैं।

    "कृपया हमें नवीनतम नियम दिखाएं और हमें दिखाएं कि यह वहां नहीं है। अपना होमवर्क करें," सीजेआई ने कहा।

    इसके अलावा, सीजेआई द्वारा कहा गया था कि इसी तरह के मुद्दों पर जमात उलमा-ए-हिंद द्वारा एक और याचिका दायर की गई थी, और याचिकाकर्ता के लिए उस याचिका में एक हस्तक्षेप आवेदन दायर करना विवेकपूर्ण होगा।

    हालांकि, एजाजुद्दीन ने अदालत को प्रस्तुत किया कि उनकी याचिका में उठाए गए मुद्दे अलग हैं और अलग से विचार करने की आवश्यकता है। पीठ ने याचिका पर विचार ना करने की इच्छा व्यक्त की और पूछा कि क्या उन्होंने भारत संघ के समक्ष कोई प्रतिवेदन दायर किया है।

    अंततः, मामले को अगले सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया गया। पीठ ने याचिकाकर्ता को नए आईटी नियमों का अध्ययन करने के लिए कहा।

    याचिकाकर्ता ने पहले तेलंगाना उच्च न्यायालय का रुख किया था, जिसने इस मामले पर विचार करने से इनकार कर दिया और उन्हें सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए कहा, जो इसी तरह की याचिका पर विचार कर रहा है।

    याचिकाकर्ता-अधिवक्ता खाजा एजाजुद्दीन ने कहा है कि #इस्लामिककोरोनावायरसजिहाद, # कोरोनाजिहाद, #निजामुद्दीनइडियट्स, #तब्लीगीजमातवायरस, आदि के रूप में स्टाइल किए गए ये पोस्ट "धर्म को महामारी की बीमारी से जोड़ रहे हैं जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी दिशानिर्देशों या एडवायजरी दिनांक 18.03.2020 के विपरीत है।"

    इसके अलावा,

    "यह भारत के क्षेत्राधिकार में प्रचलित कानूनों के विपरीत है, जिसमें धर्म का अपमान करने, समुदाय की भावनाओं को आहत करने और देश के सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने के लिए दंडात्मक कानूनों को लागू करने का आह्वान किया गया है।"

    याचिकाकर्ता ने केंद्र और तेलंगाना पुलिस को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर को "महामारी की बीमारी से धर्म को जोड़ने वाले अवैध ट्रैंड को रोकने" की आवश्यकता के लिए एक निर्देश के लिए प्रार्थना की है, क्योंकि यह "अत्यधिक अनुचित, अवैध और असंवैधानिक" है। इसके अलावा, यह मांग की गई है कि "ऑनलाइन सोशल मीडिया नेटवर्क या साइटों को किसी विशेष समुदाय की भावनाओं को आहत करने या अपमान करने वाले किसी भी संदेश को पोस्ट करने से रोका जाए।"

    गौरतलब है कि पहले ही इस्लामिक विद्वानों के एक अन्य संगठन - जमीयत- उलेमा-ए-हिंद द्वारा निज़ामुद्दीन में बैठक को सांप्रदायिक रंग देने के लिए मीडिया के कुछ वर्गों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर की जा चुकी है, और सुप्रीम कोर्ट ने प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को इसमें शामिल करने का निर्देश दिया है।

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