एक मार्च को डिफाल्ट हो चुके लोन पर भी लागू होगा आरबीआई का मोहलत का सुझाव
LiveLaw News Network
9 April 2020 2:43 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट ने माना है कि COVID-19 महामारी के मद्देनजर भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से ऋणों के संबंध में जारी की गई एडवाइजरी एक मार्च, 2020 तक डिफाल्ट हो चुके ऋणों पर भी लागू होती है।
इस आधार पर कोर्ट ने यस बैंक को एक लोन को नॉन परफार्मिंग एसेट के रूप में क्लासीफाई करने से रोक दिया। यह लोन एक जनवरी को डिफाल्ट हो चुका था। कोर्ट ने यस बैंक की इस दलील को खारिज कर दिया कि मोहलत केवल उन किश्तों पर लागू होती है जो एक मार्च के बाद आती हैं, न कि उस उधारकर्ता पर जो उस तारीख तक डिफाल्टर हो चुका है।
यह फैसला महत्वपूर्ण है, जिसका मतलब यह कि ऐसे उधारकर्ता जो एक या दो किस्तों अदा नहीं कर पाए हैं, वे भी मोहलत का लाभ उठा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि 27 मार्च को, आरबीआई गवर्नर ने घोषणा की थी कि सभी ऋण संस्थानों को एक मार्च, 2020 तक बकाया ऋण की किस्तों के भुगतान पर 3 महीने की मोहलत देने की अनुमति है।
कोर्ट ने कहा कि "RBI का इरादा उधारकर्ताओं के खातों के क्लासीफिकेशन के संबंध में यथास्थिति बनाए रखना है, क्योंकि वे एक मार्च, 2020 तक मौजूद थे।" कोर्ट ने यह आदेश "अनंत राज लिमिटेड" की ओर से दायर मामले में दिया है, जिसने अपने एकाउंट को यस बैंक द्वारा एनपीए के रूप में क्लासीफाई करने की कार्रवाई को चुनौती दी थी।
कपंनी की ऋण की किस्तें 1 जनवरी से बकाया थी। इसलिए, आरबीआई के क्लासीफिकेशन गाइडलाइंस के अनुसार, खाते को एक जनवरी के 30 दिन बाद "स्पेशल मेंशन-1 एकाउंट (SMA-1)" के रूप में क्लासीफाई किया गया था। 60 दिनों के बाद लोन को "स्पेशल मेंशन-2 एकाउंट (SMA-2)" के रूप में क्लासीफाई किया गया था।
27 मार्च को यस बैंक ने कंपनी को एक ईमेल भेजा, जिसमें 31 मार्च तक बकाया नहीं जमा करने की स्थिति में खाते को एनपीए के रूप में क्लासीफाई करने का प्रस्ताव दिया गया था। कंपनी ने येस बैंक की कार्रवाई को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिसमें आरबीआई की एडवाइजरी के लाभों का दावा किया।
बैंक ने तर्क दिया कि चूंकि 31 मार्च 2020 तक किस्त का भुगतान नहीं किया गया, इसलिए याचिकाकर्ता का खाते एनपीए के रूप में क्लासीफाई किए जाने योग्य था। बैंक ने दलील दी कि RBI पैकेज केवल उन किश्तों पर लागू होता है, जिनकी अदायगी की तारीख 01 मार्च 2020 है, और उन उधारकर्ताओं पर लागू होता है, 01 मार्च 2020 तक जिनका खाता सर्विस में था, और वो डिफाल्टर नहीं थे।
हालांकि इन दलीलों को खारिज करते हुए जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा:
"यदि नियामक पैकेज केवल स्टैंडर्ड एसेट एकाउंट पर लागू होता है, तो RBI के लिए यह आवश्यक नहीं था कि वह अपने नियामक पैकेज में किसी एकाउंट का क्लासीफिकेशन नॉन परफार्मिंग एसेट (NPA) के रूप में करे। RBI के लिए क्लासीफिकेशन को SMA कहना पर्याप्त होता।"
न्यायालय ने कहा कि किसी स्टैंडर्ड एकाउंट को एसएमए -1 और एसएमए -2 श्रेणियों में डाले बिना एनपीए के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है। इसलिए, आरबीआई ने 1 मार्च को एसएमए -1 और एसएमए -2 श्रेणियों में शामिल एकाउंट को भी आरबीआई की एडवाइजरी का लाभ देने का फैसला किया।
कोर्ट ने एक अंतरिम आदेश पारित किया, जिसमें यस बैंक को निर्देश दिया गया कि वह याचिकाकर्ता के लोन क्लासीफिकेशन के सबंध में 'यथास्थिति' बहाल करे।
न्यायालय ने हालांकि स्पष्ट किया कि यदि उधारकर्त मोहलत की अवधि के बाद भी बकाया नहीं दे पाया तो लोन को एनपीए के रूप में क्लासीफाई कर दिया जाएगा, तब तक ब्याज और जुर्माने में वृद्धि जारी रहेगी।
"इसका प्रभाव यह होगा कि तीन महीने के लिए किस्तों का भुगतान स्थगित हो जाएगा। हालांकि, निर्धारित ब्याज और दंड शुल्क, स्थगन अवधि में भी बकाया भुगतान पर लगते रहेंगे। स्थगन अवधि के बाद भी यदि उधारकर्ता उक्त किस्त का भुगतान करने में विफल रहता है तो आईआरएसी के दिशानिर्देशों के अनुसार वर्गीकरण स्वतः ही परिवर्तित हो जाएगा।"
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