जयपुर कैथोलिक वेलफेयर सोसायटी ने राजस्थान के धर्मांतरण विरोधी कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

Praveen Mishra

17 Nov 2025 4:23 PM IST

  • जयपुर कैथोलिक वेलफेयर सोसायटी ने राजस्थान के धर्मांतरण विरोधी कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी

    जयपुर कैथोलिक वेलफेयर सोसायटी ने सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान धार्मिक रूपांतरण निषेध अधिनियम, 2025 को दी चुनौती; कहा— संविधान का उल्लंघन

    जयपुर कैथोलिक वेलफेयर सोसायटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राजस्थान धार्मिक रूपांतरण निषेध अधिनियम, 2025 को असंवैधानिक बताते हुए रद्द करने की मांग की है। याचिका में कहा गया है कि यह कानून अनुच्छेद 14, 19(1)(a), 21, 25 और 300A का उल्लंघन करता है और धार्मिक स्वतंत्रता पर “चिलिंग इफेक्ट” डालता है।

    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने राज्य सरकार को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का नोटिस जारी किया।

    याचिका के मुख्य तर्क

    • सेक्शन 3 के तहत रूपांतरण रोकने के लिए निर्धारित “गलत सूचना”, “प्रलोभन”, “बल”, “ऑनलाइन सॉलिसिटेशन” जैसी परिभाषाएँ अस्पष्ट और अत्यधिक व्यापक हैं, जिससे वैध धार्मिक प्रचार भी अपराध बन सकता है।

    • “पूर्वजों के धर्म” में वापसी को रूपांतरण न मानना असंगत और भेदभावपूर्ण वर्गीकरण बताया गया है।

    • “समझाकर धर्म परिवर्तन” को अपराध मानना अनुच्छेद 19(1)(a) और 25 के अधिकारों का हनन है।

    • अंतर-धार्मिक विवाह को रूपांतरण मानने का प्रावधान भी चुनौती के दायरे में है।

    • सेक्शन 5 में 7 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा और भारी जुर्माने को मनमाना और असंतुलित बताया गया है।

    • रूपांतरण से पहले जिला मजिस्ट्रेट को पूर्व-घोषणा देने की बाध्यता निजता के अधिकार का उल्लंघन है और उत्पीड़न का मार्ग खोलती है।

    • संपत्ति जब्ती, खाते फ्रीज़ करने और 72 घंटे में ध्वस्तीकरण के प्रावधान अनुच्छेद 300A के खिलाफ बताए गए हैं।

    याचिका में कहा गया है कि राज्य यह साबित नहीं कर पाया कि धार्मिक रूपांतरण से सार्वजनिक व्यवस्था भंग होती है, इसलिए कानून को “लोक व्यवस्था” के नाम पर उचित नहीं ठहराया जा सकता।

    अंत में याचिकाकर्ता ने मांग की है कि अधिनियम को असंवैधानिक और शून्य घोषित किया जाए।

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