सावरकर मानहानि मामला: राहुल गांधी ने पुलिस रिपोर्ट पेश करने की मांग का किया विरोध

Praveen Mishra

11 Sept 2025 10:04 AM IST

  • सावरकर मानहानि मामला: राहुल गांधी ने पुलिस रिपोर्ट पेश करने की मांग का किया विरोध

    सावरकर पर अपने बयानों को लेकर चल रहे मानहानि मामले में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार (10 सितंबर) को उस आवेदन का विरोध किया, जिसमें पुणे पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे यू-ट्यूब (USA) से मांगी गई रिपोर्ट अदालत में पेश करें। यह रिपोर्ट उस भाषण से जुड़ी है, जिसे गांधी ने विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ लंदन में दिया था और बाद में अपने यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया था।

    ध्यान देने योग्य है कि शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर ने पिछले महीने विशेष एमपी/एमएलए अदालत में आवेदन दायर कर पुणे पुलिस से वह रिपोर्ट मंगाने का अनुरोध किया था, जो उसे यू-ट्यूब USA से चाहिए थी। साथ ही, उन्होंने अदालत से यह भी मांग की थी कि गांधी को लंदन भाषण वाला वीडियो डिलीट करने से रोका जाए।

    राहुल गांधी की ओर से पेश एडवोकेट मिलिंद पवार ने दलील दी कि पुणे पुलिस ने अदालत के आदेश पर 19 जनवरी 2024 को रिपोर्ट दाखिल कर दी थी। इस रिपोर्ट में भाषण का ट्रांसक्रिप्ट, ईमेल, सीडी, दो गवाहों के बयान और केस डायरी शामिल थी। इसी रिपोर्ट के आधार पर अदालत ने शिकायत पर संज्ञान लिया और गांधी को समन जारी किया।

    पवार ने आगे कहा कि जनवरी 2024 में ही सत्यकी ने अदालत में सीडी, भाषण की कॉपी, अखबार की कटिंग आदि प्रस्तुत करते हुए यह कहा था कि यू-ट्यूब से मिलने वाली जानकारी अप्रासंगिक होगी। अदालत ने भी इस बात को रिकॉर्ड में लिया था।

    गांधी की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया कि अब यह कहना कि पुलिस की तकनीकी रिपोर्ट निर्णायक सबूत होगी, पूर्णतः विरोधाभासी और असंगत है। यह साफ दर्शाता है कि शिकायतकर्ता दुर्भावनापूर्ण इरादों से दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

    पवार ने सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट किसी निजी शिकायत में पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने का आदेश नहीं दे सकता और न ही बार-बार नई रिपोर्ट मंगवा सकता है।

    जवाब में कहा गया कि जब मजिस्ट्रेट ने दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 202 के तहत रिपोर्ट पर संज्ञान ले लिया, तो उसके बाद जांच अधिकारी (IO) से दोबारा रिपोर्ट नहीं मंगाई जा सकती। संज्ञान लेने के बाद मामला समन ट्रायल में आगे बढ़ना चाहिए, जहां शिकायतकर्ता को सबूत पेश करने होते हैं। बार-बार रिपोर्ट मंगाना अवैध और अस्वीकार्य है।

    पवार ने आगे कहा कि चूंकि यह एक आपराधिक मामला है, न कि दीवानी वाद, इसलिए अदालत के पास गांधी को यूट्यूब वीडियो डिलीट करने से रोकने का कोई अधिकार नहीं है। इसलिए, इस याचिका को खारिज किया जाना चाहिए।

    अब मामले की सुनवाई 22 सितंबर तक के लिए टाल दी गई है।

    मामले की पृष्ठभूमि:

    मानहानि शिकायत में कहा गया है कि गांधी ने बार-बार सावरकर की छवि धूमिल करने वाले बयान दिए हैं। एक खास घटना 5 मार्च 2023 की बताई गई, जब गांधी ने लंदन में ओवरसीज़ कांग्रेस को संबोधित किया।

    शिकायतकर्ता सत्यकी सावरकर का आरोप है कि गांधी ने सावरकर के बारे में झूठे और बेबुनियाद आरोप लगाए, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचे और उनके परिवार को मानसिक पीड़ा हो। शिकायत में कहा गया कि भले ही यह भाषण इंग्लैंड में हुआ, लेकिन इसका असर पुणे और पूरे भारत में पड़ा क्योंकि यह प्रकाशित और प्रसारित हुआ।

    सत्यकी ने सबूत के रूप में कई समाचार रिपोर्टें और गांधी के भाषण का यूट्यूब लिंक अदालत में पेश किया है। उन्होंने दावा किया कि गांधी ने झूठा आरोप लगाया कि सावरकर ने एक किताब में मुस्लिम व्यक्ति को पीटने का जिक्र किया है, जबकि ऐसा कोई प्रसंग कभी लिखा ही नहीं गया।

    सत्यकी ने कहा कि गांधी ने यह सब जानबूझकर, दुर्भावनापूर्ण इरादे से और सावरकर की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाने के लिए कहा।

    शिकायत में अधिकतम सजा की मांग की गई है, जो भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 500 (मानहानि की सजा) के तहत मिलती है। साथ ही, CrPC की धारा 357 के तहत अधिकतम मुआवज़ा दिलाने की भी मांग की गई है।

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