प्रस्तावित अभियुक्त को सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत याचिका खारिज करने के खिलाफ दायर पुनरीक्षण में सुनवाई का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट

Avanish Pathak

25 May 2023 1:29 PM GMT

  • प्रस्तावित अभियुक्त को सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत याचिका खारिज करने के खिलाफ दायर पुनरीक्षण में सुनवाई का अधिकार है: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने संतकुमारी और अन्य बनाम तमिलनाडु और अन्य में दायर एक अपील में फैसला सुनाते हुए दोहराया कि प्रस्तावित अभियुक्त को दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 401 के तहत पुनरीक्षण कार्यवाही में सुनवाई का अधिकार है।

    खंडपीठ ने उस आदेश को निरस्त कर दिया है जिसमें धारा 156(3) के आवेदन को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया था और आरोपी को नोटिस जारी किए बिना आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। खंडपीठ में जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल थे।

    तथ्य

    शिकायतकर्ता (प्रतिवादी) ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 156(3) के तहत एक आवेदन दिया था, जिसमें भावी अभियुक्त (अपीलकर्ता) के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई थी। ट्रायल कोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी। शिकायतकर्ता ने ट्रायल कोर्ट द्वारा पारित अस्वीकृति के आदेश के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 401 के तहत हाईकोर्ट के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर की। संभावित अभियुक्त को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया।

    सीआरपीसी की धारा 401 हाईकोर्ट को पुनरीक्षण क्षेत्राधिकार प्रदान करती है और धारा 401(2) यह आदेश देती है कि आरोपी को ऐसी कार्यवाही में सुनवाई का अवसर दिया जाए। 18.11.2022 को हाईकोर्ट ने प्रस्तावित अभियुक्त (अपीलकर्ता) को सुनवाई का अवसर दिए बिना, अपीलकर्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।

    अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपील दायर की और तर्क दिया कि हाईकोर्ट को प्रस्तावित अभियुक्तों को सुनवाई का अवसर देना चाहिए था।

    फैसला

    खंडपीठ ने मनहरभाई मुलजीभाई कपाड़िया और अन्य बनाम शैलेशभाई मोहनभाई पटेल और अन्य, (2012) 10 एससीसी 517 के फैसले पर भरोसा किया।

    इसके बाद, बाल मनोहर जालान बनाम सुनील पासवान, (2014) 9 एससीसी 640 पर भरोसा किया गया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि सीआरपीसी की धारा 401 (2) में निहित प्रावधान के मद्देनजर एक आरोपी व्यक्ति को सुनवाई से वंचित नहीं किया जा सकता है।

    उपरोक्त उदाहरणों के मद्देनजर, खंडपीठ ने इस विचार से सहमति व्यक्त की कि सीआरपीसी की धारा 401 के तहत कार्यवाही में एक संभावित अभियुक्त को सुना जाना चाहिए।

    जिसके बाद खंडपीठ ने हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है जिसमें संभावित अभियुक्तों को सुने बिना पुनरीक्षण याचिका की अनुमति दी गई थी और इस मामले को नए सिरे से निर्णय लेने के लिए हाईकोर्ट को वापस भेज दिया।

    केस टाइटल: संतकुमारी व अन्य बनाम तमिलनाडु राज्य और अन्य।

    साइटेशन: 2023 लाइवलॉ (एससी) 465

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