PMC घोटाला : सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के HDIL की संपत्ति की नीलामी के फैसले पर रोक लगाई
LiveLaw News Network
7 Feb 2020 3:55 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश पर भी रोक लगा दी है जिसमें निर्देश दिया गया था कि हाउसिंग डेवेलमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की संपत्ति की नीलामी की जाए। ये आदेश भारतीय रिजर्व बैंक की याचिका पर आया है।
शुक्रवार को RBI की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ को बताया कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने संपत्ति की नीलामी के आदेश जारी करते समय उसका पक्ष नहीं सुना।
इससे पहले 16 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के उस फैसले पर भी रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि HDILके प्रमोटरों राकेश वधावन और उनके बेटे सारंग को आर्थर रोड जेल से चार गार्डों के साथ हाउस अरेस्ट के तहत रखा जाए ताकि वे रिकवरी की प्रक्रिया में साथ दे सकें।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी) की याचिका पर ये आदेश जारी किया था। हालांकि पीठ ने कहा था कि हाईकोर्ट का संपत्ति की नीलामी की प्रक्रिया जारी रखने का आदेश लागू रहेगा। ईडी ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ के समक्ष केस को मेंशन किया था और कहा कि हाईकोर्ट ने एक तरह से दोनों को जमानत दे दी है। इस पर तुरंत रोक लगाई जानी चाहिए।
दरअसल वित्तीय संकट से जूझ रही पंजाब और महाराष्ट्र सहकारी (PMC) बैंक के खाताधारकों को बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक बड़ी राहत दी थी।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरोज दमानिया द्वारा दायर एक जनहित याचिका को अनुमति दी थी जिसमें हाउसिंग डेवेलमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (HDIL) की उन सभी संपत्तियों की नीलामी की मांग की गई थी, जो PMC बैंक के पास गिरवी हैं या आर्थिक अपराध शाखा, मुंबई द्वारा ज़ब्त हैं।
न्यायमूर्ति रंजीत मोरे और न्यायमूर्ति एसपी तावड़े की पीठ ने HDIL की परिसंपत्तियों के त्वरित निपटान के लिए न्यायमूर्ति एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में 3 सदस्यीय समिति के गठन को मंजूरी दी थी और कहा था कि समिति 30 अप्रैल को या उससे पहले अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
पीठ ने पिछले साल दिसंबर में यह नोट करते हुए आदेश सुरक्षित रखा था कि पीएमसी बैंक को ऋण की अदायगी, बैंक के जमाकर्ताओं और ऋणदाताओं के हित में होगी।
दमानिया की जनहित याचिका में राशि के बरामद होने तक प्रतिवादी आरोपी व्यक्तियों (वधावन) के किसी भी ज़मानत आवेदन पर कार्रवाई करने से निचली अदालतों पर रोक लगाने की मांग की गई।
पीएमसी के जमाकर्ताओं द्वारा दायर एक अन्य जनहित याचिका में, आरबीआई ने 31 मार्च, 2018 को पीएमसी बैंक की अपनी निरीक्षण रिपोर्ट का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया है-
"बैंक ने नमूना जांच के लिए धोखाधड़ी से डेटा जमा किया, निरीक्षण के लिए चुने गए खातों के नमूने में अज्ञात HDIL संबंधित खाते नहीं थे। खुलासा किए गए HDIL खाते देखे गए थे और उनमें से अधिकांश का एनपीए के रूप में मूल्यांकन किया गया था। पीएमसी बैंक के चेयरमैन और एचडीआईएल के पूर्व प्रबंध निदेशक के रूप में वरियाम सिंह के हितों का टकराव भी रिपोर्ट में टिप्पणी के साथ-साथ बैंक द्वारा एचडीआईएल समूह के खुलासा खातों को मानक के रूप में नए ऋणों को मंजूरी देने के लिए मानक के रूप में दिखाने की कोशिश की गई थी।
IRAC मानदंडों पर 1 जुलाई, 2015 के आरबीआई मास्टर परिपत्र के गैर-पालन में पुराने एनपीए खाते हैं। नतीजतन, बैंक का मूल्यांकन किया हुआ एनपीए रिपोर्ट किए गए एनपीए की तुलना में काफी अधिक था।"
प्रवर्तकों ने अदालत से कहा था कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है यदि बैंक को देय धन की वसूली के लिए सभी संपत्तियों को बेच दिया जाता है।