सीपीसी की धारा 25 के तहत स्थानांतरण याचिका में प्रादेशिक क्षेत्राधिकार या उसके अभाव की याचिका पर विचार नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

Avanish Pathak

7 July 2022 11:31 AM IST

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीपीसी की धारा 25 के तहत उसके अधिकार क्षेत्र को कार्यवाही के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के प्रश्न को निर्धारित करने के लिए नहीं बढ़ाया जा सकता है।

    जस्टिस जेके माहेश्वरी ने कहा कि उसी न्यायालय के समक्ष अधिकार क्षेत्र या इसके अभाव की दलील दी जा सकती है, जिसमें कार्यवाही लंबित है।

    इस मामले में, नीलन इंटरनेशनल कंपनी लिमिटेड ने धारा 25 सीपीसी के तहत एक स्थानांतरण याचिका दायर की, जिसमें पावरिका लिमिटेड द्वारा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 34 के तहत LXXII अतिरिक्त शहर सिविल और सत्र न्यायाधीश (वाणिज्यिक न्यायालय) बेंगलुरु, कर्नाटक के समक्ष दायर याचिका को बॉम्बे हाईकोर्ट या मुंबई, महाराष्ट्र में सक्षम क्षेत्राधिकार के किसी अन्य न्यायालय में हस्तांतरण की मांग की गई।

    चूंकि याचिकाकर्ता ने आईसीसी नियम 2012 के तहत लंदन में आईसीसी इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन केस नंबर 19933 / टीओ में आर्बिटल ट्रिब्यूनल द्वारा पारित मध्यस्थ अवॉर्ड के प्रवर्तन के लिए अधिनियम की धारा 47 और 48 के तहत बॉम्बे हाईकोर्ट के समक्ष मध्यस्थता याचिका दायर की है, इस‌लिए उक्त मांग की गई।

    याचिकाकर्ता के अनुसार, बैंगलोर प्रिंसिपल सिटी सिविल कोर्ट के पास अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता में पारित एक अवॉर्ड पर विचार करने का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है। प्रतिवादी ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिका पर विचार करने के लिए बेंगलुरु कोर्ट के अधिकार क्षेत्र की कमी के संबंध में याचिका को स्थानांतरण याचिका में नहीं लिया जा सकता है। 'नैवेद्य एसोसिएट्स बनाम कीर्ति न्यूट्रिएंट्स लिमिटेड' में पारित एक आदेश पर भरोसा रखा गया था।

    इसलिए पीठ ने प्राथमिक मुद्दे पर विचार किया कि क्या इस न्यायालय द्वारा सीपीसी की धारा 25 के तहत क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र या उसके अभाव की याचिका पर विचार किया जा सकता है।

    "यह अब पूर्णतः नया और अछूता मामला (Res Integra)नहीं रह गया है कि सीपीसी की धारा 25 के तहत अपने अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करते हुए इस न्यायालय में सीमित दायरा निहित है और इसे इसके समक्ष कार्यवाही के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के प्रश्न को निर्धारित करने के लिए विस्तारित नहीं किया जा सकता है। क्षेत्राधिकार की याचिका या इसके अभाव को उस न्यायालय के समक्ष पेश किया जा सकता है जिसमें कार्यवाही लंबित है।"

    अदालत ने इसी टिप्पणी के साथ स्थानांतरण याचिका को खारिज कर दिया।

    केस टाइटलः नीलन इंटरनेशनल कंपनी लिमिटेड बनाम पॉवरिका लिमिटेड 2022 लाइव लॉ (SC) 566 |Tr Petn 32/2020 | 6 जुलाई 2022

    कोरम: जस्टिस जेके माहेश्वरी

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