बार काउंसिल वकीलों को सीमित कार्यों के लिए विज्ञापन देने की अनुमति दें, सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में मांग

LiveLaw News Network

24 May 2021 1:46 PM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    महामारी के कारण वकीलों को पेश आ रही परेशानियों के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। याचिका में बार काउंसिल ऑफ इंडिया और अन्य बार काउंसिलों को निर्देश देने की मांग की गई है कि अधिवक्ताओं को सेवा के कुछ क्षेत्रों में सीमित उद्देश्य के लिए विज्ञापन देने की अनुमति दी जाए।

    इस संबंध में एक आवेदन दायर किया गया है, जिसमें न्यायालय से यह घोषणा करने का अनुरोध किया गया है कि सेवा के कुछ क्षेत्रों के विज्ञापन को अधिवक्ताओं द्वारा विज्ञापन पर रोक से छूट दी जाए, जो बार काउंसिल के नियमों के तहत निषिद्ध है और अधिवक्ताओं को उक्त उद्देश्य के लिए विज्ञापन देने की अनुमति दी जाए।

    आवेदक ने स्पष्ट किया है कि उन क्षेत्रों के लिए अनुमति मांगी जा रही है, जहां कोर्ट अपीयरेंस का कार्य नहीं है, जहां 'पेशेवर प्रतिष्ठा या विशेषाधिकार के मामले' हैं।

    केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के वरिष्ठ स्थायी वकील एडवोकेट चरणजीत चंद्रपाल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पहले से लंबित याचिका, जिसे पिछले साल दायर किया गया था, में आवेदन दायर किया है। उक्त याचिका में बार काउंसिल ऑफ इंडिया को वकीलों के लिए मार्च 2021 तक विज्ञापनों के उपयोग की अनुमति देने के निर्देश देने की मांग की गई थी।

    याचिका में सार्वजनिक लिस्टिंग की अनुमति देने के लिए निर्देश देने की मांग की गई थी ताकि वकील महामारी की स्थिति को देखते हुए आजीविका कमाने के लिए अन्य पैरा-लीगल काम कर सके और जीविका के वैकल्पिक साधन हों।

    तत्‍कालीन चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एन सुभाष रेड्डी और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने 14 जुलाई को बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था।

    अधिवक्ता अनिल कुमार के माध्यम से दायर वर्तमान आवेदन में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद, बार काउंसिल ने वर्तमान मामले में अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।

    आवेदक में कहा गया है कि कई अन्य असंगठित क्षेत्र जैसे कंसल्टेंट, सीए आदि अधिवक्ताओं को कड़ी प्रतियोगता देते हैं क्योंकि वे मीडिया पर विज्ञापन देते हैं जबकि बार काउंसिल नियम वकीलों को ऐसा करने पर रोक लगाते हैं।

    आवेदन में निम्नलिखित क्षेत्रों में विज्ञापन के लिए अनुमति मांगी है, जहां यदि अनुमति दी जाती है, तो यह किसी भी तरह से पेशे की प्रतिष्ठा को कम नहीं करेगा, और समाज को लाभ होगा:

    - टैक्स कंसल्टेंसी, पैन कार्ड, जीएसटी पंजीकरण, रिटर्न फाइलिंग कार्य, आदि

    - विभिन्न संस्थाओं का ऑनलाइन पंजीकरण और वैधानिक फॉर्म भरने जैसी ऑनलाइन कानूनी औपचारिकताएं।

    - संपत्ति दस्तावेजीकरण, वाहन, कंपनी फॉर्मेशन, मिनट बुक राइटिंग, आदि।

    - ऋण मूल्यांकन और अनुमोदन, क्रेडिट रेटिंग, पासपोर्ट और आप्रवासन सेवा

    - सहकारी समिति प्रबंधन, विलेख और प्रलेखन।

    आवेदक का मत है कि यदि विज्ञापन देने की अनुमति दी जाती है, तो अधिवक्ता इस विषय पर काम करने और पेशे के मापदंडों के भीतर काम करने और एक अच्छी आजीविका अर्जित करने में सक्षम होंगे।

    इसके अलावा, यह दलील दी गई है कि इन क्षेत्रों में बहुत सारे काम वकीलों के बजाय अन्य लोगों के पास चले गए हैं, जो इन सेवाओं को प्रदान करने में अक्षम हैं, और ऐसा केवल प्रचार और विज्ञापन की कमी के कारण हुआ है।

    आवेदन में कहा गया है, "हालांकि, वे उन वकीलों के साथ अन्याय करते हैं, जिन्होंने खुद को योग्य बनाने में वर्षों बिताए हैं। यह एक अजीब तरह की असमानता है और निश्चित रूप से अदालतों के बंद होने के दौर में, अन्यथा भी, वकीलों को अनुचित प्रतिस्पर्धा देता है जो वकील के रूप में कार्य कर सकते हैं।"

    Next Story