सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ टिप्पणी के मामले में यति नरसिंहानंद के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग, एटॉर्नी जनरल को पत्र
LiveLaw News Network
15 Jan 2022 12:06 PM IST
विवादित हिंदुत्ववादी नेता यति नरसिंहानंद द्वारा कथित धर्म संसद में सुप्रीम कोर्ट और संविधान के खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणियों के मामले में अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए एक कार्यकर्ता ने एटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर अनुमति मांगी है।
शची नेल्ली नामक कार्यकर्ता ने अपने पत्र में कहा है कि नरसिंहानंद ने विशाल सिंह नामक एक युवक को दिए इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट और संविधान की अवमानना की है। यह इंटरव्यू 14 जनवरी को ट्विटर पर वायरल था। पत्र में नरसिंहानंद के बयान और संदर्भ का उल्लेख किया गया है।
Yati "We have no trust in the Supreme court & constitution. This constitution is book for the murder of 100 crore Hindus. Those who belive in it will be killed. Those who believe in this system, police, politicians and Army, They will die like a dog."#ArrestYatiNarasinghanand pic.twitter.com/RPtGd6zllQ
— Mohammed Zubair (@zoo_bear) January 14, 2022
पत्र में कहा गया है,
हरिद्वार हेट स्पीच मामले में अदालती कार्यवाही के बारे में पूछे जाने पर नरसिंहानंद ने कहा कि "हमें सुप्रीम कोर्ट और संविधान पर कोई भरोसा नहीं है। संविधान इस देश के 100 करोड़ हिंदुओं को खा जाएगा। जो इस संविधान को मानते हैं, वे मारे जाएंगे। जो इस सिस्टम पर, इन नेताओं पर, सुप्रीम कोर्ट, फौज पर पर भरोसा कर रहे हैं, वे सारे लोग कुत्ते की मौत मरने वाले हैं।"
पत्र में उसी बातचीत की एक अन्य क्लिप का उल्लेख किया गया है, जिसमें नरसिंहानंद से जब मामले में की गई गिरफ्तारी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "जब जितेंद्र सिंह त्यागी ने वसीम रिज़वी के नाम से किताब लिखी, तब न एक भी पुलिस वाले ने, इन 'हिजड़े' पुलिस वालों और नेताओं में से एक ने भी उन्हें गिरफ्तार करने की हिम्मत नहीं की।"
पत्र में कहा गया है कि नरसिंहानंद की टिप्पणियों ने सुप्रीम कोर्ट की सत्ता और महिमा को कमजोर करने की कोशिश की है, और और संविधान और कोर्ट की अखंडता पर अपमान भरी बयानबाजी और आधारहीन हमलों के जरिए न्याय की प्रक्रिया में हस्तक्षेप का अधम और स्पष्ट प्रयास है।
पत्र में कहा गया है,
"संस्था की महिमा को कमतर करने और न्यायालय में नागरिकों के भरोसे को कम करने के किसी भी प्रयास का नतीजा अराजकता और हंगामा हो सकता है। यह शायद इतिहास में सुप्रीम कोर्ट पर सबसे शातिर हमला है।"
पत्र में आगे कहा गया है कि टिप्पणियों की अनदेखी उन्हें सुप्रीम कोर्ट की सत्ता को कमतर करने प्रयास को सफल होने देगी, यह पूरी तरह से नहीं तो काफी हद तक..।
पत्र में कहा गया है, "सुप्रीम कोर्ट संविधान का संरक्षक और पहला व्याख्याकार है। देश के मूलभूत ढांचे के प्रति भरोसे की कमी और सरासर अवमानना भयावह है। न्यायालय और न्याय देने की इसकी क्षमता को कमजोर करने की मंशा स्पष्ट है।"
I have sought consent from the AG KK Venugopal to initiate contempt of court proceedings against Yati Narsinghanand for his abhorrent statements against the Constitution and the SC.
— Shachi Nelli (@nellipiercing) January 14, 2022
Any attempt to undermine the authority of India's institutions must be dealt with seriousness. https://t.co/cgquXOMBXG pic.twitter.com/szeYpKV4Vt