डिजिटल गवर्नेंस में उत्कृष्टता के लिए भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी प्लेटिनम अवार्ड से सम्मानित

LiveLaw News Network

31 Dec 2020 11:45 AM GMT

  • डिजिटल गवर्नेंस  में उत्कृष्टता के लिए  भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी प्लेटिनम अवार्ड से सम्मानित

    भारत के सर्वोच्च न्यायालय की ई-कमेटी को राष्ट्रपति ने डिजिटल गवर्नेंस में उत्कृष्टता के लिए प्लेटिनम अवार्ड से सम्मानित किया है।

    कमेटी,जिसके अध्यक्ष सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश माननीय डॉ न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड है और उपाध्यक्ष बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज न्यायमूर्ति आरसी चव्हाण है,ने COVID19 महामारी के दौरान न्याय तक पहुँचने के मौलिक अधिकार की अगुवाई की है।

    भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे कमेटी के पैट्रन-इन-चीफ हैं। इसके अतिरिक्त कमेटी के सदस्यों में महाराष्ट्र न्यायिक सेवा के जिला न्यायाधीश अतुल मधुकर कुरहेकर, तमिलनाडु न्यायिक सेवा के जिला न्यायाधीश ए.रमेश बाबू और मध्य प्रदेश से कुलदीप सिंह कुशवाह शामिल हैं।

    ई-कमेटी द्वारा कार्यान्वित ई-कोर्ट प्रोजेक्ट, भारत सरकार का एक मिशन मोड प्रोजेक्ट (एमएमपी) है। 14 दिसंबर, 2020 तक, इसमें 232,42,83,034 करोड़ का ई-ट्रैन्जैक्शन हुआ है, जिसमें 343 दिनों के लिए औसत ई-ट्रैन्जैक्शन 67.06 लाख प्रति दिन का है, जो एमएमपी श्रेणी में सबसे शीर्ष स्थान पर है।

    ई-कोर्ट का उद्देश्य कुशल और समयबद्ध नागरिक-केंद्रित सेवा वितरण प्रदान करना था, ताकि इसके हितधारकों को सूचना की पहुंच में पारदर्शिता प्रदान करने के लिए न्यायिक प्रक्रिया को स्वचालित बनाया जा सके,न्यायिक कार्यक्षमता में वृद्धि की जा सके और न्यायिक वितरण प्रणाली को सस्ती, सुलभ, लागत प्रभावी, पूर्वसूचनीय, विश्वसनीय और पारदर्शी बनाया जा सके।

    ई-कोर्ट के प्रमुख स्तंभों में से एक नागरिकों और वादियों को जिला और अधीनस्थ न्यायालय सेवाओं के साथ-साथ उच्च न्यायालय की सेवाएं उपलब्ध हैं,जिसमें केस की स्थिति, काॅज लिस्ट और आदेश/ आदि सेवाएं शामिल हैं। कुल 13.79 करोड़ मामले (लंबित और निपटाए गए) और 13.12 करोड़ आदेश और निर्णय अधीनस्थ न्यायालय स्तर पर उपलब्ध हैं और 2.54 करोड़ मामले (लंबित और निपटाए गए) और 48 लाख आदेश और निर्णय उच्च न्यायालय स्तर पर उपलब्ध हैं।

    केस इन्फॉर्मेशन सिस्टम (सीआईएस) एप्लिकेशन जो न्यायिक स्वचालन को पूरा करती है, 3293 जिला अदालत परिसरों और 25 उच्च न्यायालयों में लागू की गई है। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) ने न्यायपालिका और नागरिकों को देश में मामलों की पेंडेंसी को ट्रैक करने में सक्षम बनाया है, जिससे सिस्टम में पारदर्शिता सुनिश्चित होती है - इसमें वर्तमान में जिला और तालुका अदालतों से 13.23 करोड़ मामलों के आंकड़े शामिल हैं।

    ई-भुगतान सेवा भी लागू की गई है जो विभिन्न हितधारकों को अदालती शुल्क, जुर्माना,अर्थदंड और न्यायिक जमा का भुगतान करने की सुविधा देती है। नेशनल सर्विस एंड ट्रैकिंग ऑफ इलेक्ट्रॉनिक प्रोसेस (एनएसटीईपी) के नाम से एक इलेक्ट्रॉनिक तंत्र को प्रोजेक्ट के एक भाग के रूप में स्थापित किया गया है।

    इसके अलावा, डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स के बारे में जानकारी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट्स पोर्टल पर उपलब्ध है, इस समय 688 डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की वेबसाइट्स चालू हैं।

    उल्लंघनकर्ता या अधिवक्ताओं की भौतिक(फिजिकल) उपस्थिति को समाप्त करके अदालतों में आने वाले लोगों की संख्या को कम करने के लिए, वर्चुअल कोर्ट की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त ई-फाइलिंग उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों के समक्ष अपने मामलों को ऑनलाइन दर्ज करने के लिए अधिवक्ताओं और वादकारियों को एक प्लेटफाॅर्म प्रदान करती है। इसे जिला अदालत और उच्च न्यायालय स्तर पर सीआईएस एप्लीकेशन के साथ भी एकीकृत किया गया है।

    वर्चुअल हियरिंग के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग भी शुरू की गई, जिसके जरिए उच्च न्यायालयों द्वारा 15,90,918 मामलों की सुनवाई की गई और जिला न्यायालय द्वारा 39,56,840 मामलों की सुनवाई की गई। ई-सेवा केंद्रों की स्थापना 19 उच्च न्यायालयों और 219 जिला न्यायालय परिसरों में की गई है ताकि ऐसे लोगों की सहायता की जा सके जो तकनीक का व्यवहारिक ज्ञान नहीं रखते हैं।

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