दिव्यांग व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

28 Jun 2021 12:29 PM IST

  • दिव्यांग व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण का अधिकार : सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि दिव्यांग व्यक्तियों को भी पदोन्नति में आरक्षण का अधिकार है।

    जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस आर सुभाष रेड्डी की 2-न्यायाधीशों की पीठ ने केरल उच्च न्यायालय (केरल राज्य बनाम लीसम्मा जोसेफ) के फैसले के खिलाफ केरल राज्य द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला " कल्याणकारी" है और इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। फैसले की पूरी कॉपी का इंतजार है।

    इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने केरल सरकार को 3 महीने के भीतर दिव्यांगों के लिए पदोन्नति में आरक्षण लागू करने का निर्देश दिया।

    पीठ ने जनवरी 2020 में सिद्धाराजू बनाम कर्नाटक राज्य के मामले में 3-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा दिए गए एक फैसले का पालन किया, जिसमें कहा गया था कि इंद्रा साहनी मामले में पदोन्नति में कोई आरक्षण नहीं होने का नियम विकलांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) पर लागू नहीं होता है। सिद्धाराजू में, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की एक पीठ एक संदर्भ पर विचार कर रही थी जिसमें राजीव कुमार गुप्ता और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य - ( 2016) 6 SCALE 417 में लिए गए एक विचार पर संदेह जताया गया था। राजीव गुप्ता ने दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर, अधिकारों का संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995 के संदर्भ में उल्लेख किया था कि दिव्यांग व्यक्तियों के लिए पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ कोई निषेध नहीं है। राजीव गुप्ता की पीठ ने कहा कि इंद्रा साहनी और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य - (1992)Supp. 3 SCC 215 में सिद्धांत है कि पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ पीडब्ल्यूडी पर लागू नहीं होगा।

    सिद्धाराजू में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने राजीव गुप्ता में दिए गए विचार को बरकरार रखा कि दिव्यांग व्यक्तियों को आरक्षण में पदोन्नति का अधिकार है।

    सोमवार के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केरल सरकार ने राजीव गुप्ता के निर्देशों को लागू नहीं किया है। इसी के तहत सभी पदों पर 3 माह के भीतर दिशा-निर्देशों को लागू करने के निर्देश राज्य को दिए गए।

    केरल हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन की पीठ ने केरल प्रशासनिक न्यायाधिकरण के उस फैसले को रद्द करने के लिए सिद्धाराजू का अनुसरण किया, जिसने दिव्यांग व्यक्ति के रूप में पदोन्नति में आरक्षण के याचिकाकर्ता के दावे को खारिज कर दिया था।

    हाईकोर्ट ने दिया था आदेश:

    "आवेदक पर उस समय दिव्यांग होने के आधार पर पदोन्नति के लिए विचार किया जाना चाहिए जब उसका दावा मूल रूप से उत्पन्न हुआ था; इस तरह के आरक्षण के हकदार होने व अन्य शारीरिक रूप से दिव्यांग उम्मीदवारों के संदर्भ में उसकी वरिष्ठता के अधीन। उसे भी उसकी पदोन्नति का कुल लाभ उसी तारीख से दिया जाना चाहिए जिस तारीख से वह हकदार पाई जाती है। यदि याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त नहीं हुई है, तो उसे आज से एक महीने के भीतर पदोन्नति दी जाएगी और उसके सभी मौद्रिक लाभ भी उस तारीख से मिलेंगे और अगर पदोन्नत नहीं किया गया है तो आज से एक महीने की समाप्ति की तारीख से उसे दिए जाएंगे। यदि याचिकाकर्ता पहले ही सेवानिवृत्त हो चुकी है, तो काल्पनिक वेतन के आधार पर, उसके अंतिम आहरित वेतन की गणना की जाएगी और उसकी पेंशन उसी के अनुसार तय की जाएगी।"

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