'इस अदालत का सब्र अब कमजोर पड़ रहा है', राजस्व मामलों में मुकदमे की निगरानी के लिए प्रस्ताव जमा नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को फटकार लगाई

LiveLaw News Network

9 Aug 2021 11:06 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को राजस्व मामलों के मुकदमे की निगरानी के लिए एक ठोस कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में तीखी‌ टिप्पणी करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा कोई ठोस प्रतिक्रिया पेश करने में विफलता से इस न्यायालय का धैर्य अब कमजोर पड़ रहा है।

    जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने कहा कि सभी स्तरों पर राजस्व कार्यवाही और मुकदमों की निगरानी के लिए प्रौद्योगिकी आधारित समाधान अपनाने का प्रस्ताव अंततः राजस्व के वैध हितों को प्रभावित करेगा।

    10 फरवरी को, राजस्व विभाग द्वारा दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर विचार करते हुए, अदालत ने कहा कि अप्रत्यक्ष कराधान से जुड़े राजस्व मामलों में अपीलें बहुत विलंब से दायर की जा रही हैं। इस संबंध में अदालत ने केंद्र को इस संबंध में उठाए जाने वाले कदमों से अवगत कराने का निर्देश दिया। राजस्व विभाग में केंद्र सरकार को इस स्थिति का जवाब यह सुनिश्चित करके खोजना चाहिए कि जिन मामलों पर मुकदमा चलाने की आवश्यकता है, उन पर सभी आवश्यक ड‌िस्पैच के साथ मुकदमा चलाया जाए और जिन मामलों में मुकदमे की आवश्यकता नहीं है, उन्हें ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए।

    15 फरवरी को सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट के समक्ष एक नोट प्रस्तुत किया था। उस दिन सुनवाई के दौरान, पीठ ने राजस्व से जुड़े मुकदमे की निगरानी की प्रक्रिया में तकनीकी नवाचारों को शामिल करने की आवश्यकता पर भी चर्चा की। पीठ ने केंद्र को एक समेकित प्रस्ताव प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिसमें तकनीकी तौर-तरीकों को शामिल करते हुए लिस्टिंग की अगली तारीख को अदालत के समक्ष रखने के ‌लिए कहा गया। इसके बाद, 15 मार्च 2021, 18 मार्च 2021, 23 मार्च 2021, 13 अप्रैल 2021 और 20 अप्रैल 2021 को कार्यवाही स्थगित कर दी गई क्योंकि केंद्र ने बार-बार प्रस्ताव प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा।

    पिछले हफ्ते जब मामला सामने आया, तो पीठ ने कहा कि राजस्व विभाग में वित्त मंत्रालय की ओर से अनिच्छा अस्वीकार्य है। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट को जवाब देने में देरी समझ से परे है।

    कोर्ट ने कहा, "इससे पहले कि हम अवमानना ​​नोटिस जारी करने के लिए अगला कदम उठाएं, हम केंद्र सरकार को इस मुद्दे को सुलझाने और परिपत्रों से परे एक ठोस कार्य योजना के साथ इस न्यायालय के सामने आने का अंतिम अवसर देते हैं। हम स्पष्ट करते हैं कि यदि अगली तारीख पर ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया तो अदालत इसमें शामिल अधिकारियों के खिलाफ कानून कार्यवाई करने के के लिए बाध्य होगी।"

    इन अपीलों पर अब 20 अगस्त 2021 को विचार किया जाएगा।

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