पालघर मॉब लिंचिंग | सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा सीबीआई जांच के लिए सहमत होने पर मामले का निस्तारण किया जा सकता है

Shahadat

21 March 2023 10:07 AM IST

  • पालघर मॉब लिंचिंग | सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि महाराष्ट्र सरकार द्वारा सीबीआई जांच के लिए सहमत होने पर मामले का निस्तारण किया जा सकता है

    सुप्रीम कोर्ट में पालघर मॉब लिंचिंग मामले में सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका में याचिकाकर्ताओं ने बताया कि चूंकि महाराष्ट्र सरकार मामले में सीबीआई जांच के लिए सहमत हो गई है, इसलिए याचिका का निस्तारण किया जा सकता है।

    चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि इस मामले को सूचीबद्ध किया जाएगा।

    याचिकाकर्ता के वकील ने मामले का जिक्र करते हुए कहा,

    "हमने पालघर हत्याकांड में सीबीआई जांच के लिए यह दायर किया। राज्य ने भी सीबीआई जांच के लिए सहमति जताते हुए हलफनामा दायर किया। हमारे अनुसार इसे शुक्रवार या सोमवार को निपटाया जा सकता है।"

    तदनुसार, पीठ ने कहा कि वह मामले को सूचीबद्ध करेगी।

    पालघर में अप्रैल 2020 में उन्मादी भीड़ ने महाराज कल्पवृक्ष गिरि @ चिकना बाबा और सुशील गिरि महाराज नाम के दो हिंदू साधुओं की हत्या कर दी।

    दोनों साधू मुंबई से सूरत की यात्रा कर रहे थे, जब उनकी कार को 200 से अधिक लोगों की भीड़ ने रोक लिया। यह भीड़ तब कार को पलटने के लिए आगे बढ़ी और उस पर पथराव किया, जिसके परिणामस्वरूप दोनों साधुओं के साथ-साथ कार के चालक की भी मौत हो गई।

    जून 2020 में पंच दशबन जूना अखाड़ा के हिंदू साधुओं और दो मृतक साधुओं के रिश्तेदारों ने मामले की जांच कर रहे राज्य के अधिकारियों द्वारा पक्षपात का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

    उन्होंने मामले में सीबीआई/एनआईए जांच की मांग की। तदनुसार, महाराष्ट्र सरकार, महाराष्ट्र डीजीपी, केंद्र सरकार, एनआईए और सीबीआई को नोटिस जारी किए गए।

    गौरतलब है कि महाराष्ट्र सरकार ने पहले याचिका का विरोध किया था और 28 अगस्त, 2020 को इस मामले में चार्जशीट दायर की थी। इसने विभागीय जांच के माध्यम से दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई भी की।

    अपना रुख बदलते हुए डीजीपी मुंबई के कार्यालय ने 11 अक्टूबर 2022 के हलफनामे में कहा,

    "महाराष्ट्र राज्य सीआर नंबर 76/2020 और सीआर नंबर 77/2020 की जांच सीबीआई को सौंपने के लिए तैयार और इच्छुक है। इसके लिए उन्हें कोई आपत्ति नहीं होगी।"

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