राष्ट्रीय लोक अदालतों की दूसरी तिमाही में 95 लाख से अधिक मामलों का निपटारा

Sharafat

29 Jun 2022 1:24 PM GMT

  • राष्ट्रीय लोक अदालतों की दूसरी तिमाही में 95 लाख से अधिक मामलों का निपटारा

    राष्‍ट्रीय विधि सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority (NALSA) के तत्वावधान में आयोजित की गई इस साल की दूसरी राष्ट्रीय लोक अदालत में 20 लाख से अधिक मामलों का रिकॉर्ड निपटान हुआ। ये राष्ट्रीय लोक अदालत 25 जून और 26 जून को नौ राज्यों में आयोजित 2022 की गई।

    नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष, जस्टिस, यू.यू. ललित, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के निर्देशन में राष्ट्रीय लोक अदालत 7 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों, महाराष्ट्र, केरल, गोवा, अंडमान और निकोबार, आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, पुडुचेरी, तमिलनाडु और तेलंगाना में आयोजिय हुई।

    इस दौरान कुल 20,96,854, मामले निपटाए गए जिनमें 14,26,751 लंबित मामले और 6,70,103 मामले पूर्व-मुकदमे के चरण में निपटाए गए।.

    उक्त लोक अदालत में 3534.59 करोड़ रुपए की राशि के मामले निपटाए गए। 14 मई को शेष 24 राज्यों और 6 केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मई और जून 2022 में आयोजित लोक अदालत की इस दूसरी तिमाही का आंकड़ा 95,75,743 है, जिसमें 28,71,919 लाख लंबित मामले और 67,03,824 लाख पूर्व-मुकदमे के मामले शामिल हैं। निपटान राशि का कुल मूल्य रु. 9413.62 करोड़ रुपए रहा।

    मार्च में आयोजित 2022 की पहली लोक अदालत में 40 लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया गया। कर्नाटक के धारवाड़ जिले में बसे एक मामले में जब लगभग 50 वर्ष के अलगाव के बाद पक्षकार फिर से एकजुट हुए। यह मार्मिक दृश्य था। सुलह, बातचीत और मध्यस्थता की सफलता की कहानी उत्तर प्रदेश में एक अन्य मामले में दोहराई गई जहां 43 साल से अधिक समय से लंबित संपत्ति के विभाजन के संबंध में एक मुकदमे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया गया।

    नालसा के अध्यक्ष जस्टिस ललित द्वारा की गई पहलों ने लोक अदालतों में मामलों के निपटान की रिकॉर्ड संख्या दर्ज की है।

    राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम'1987 के अधिदेश के अनुसार वादियों और समाज के सबसे गरीब वर्ग को न्याय तक आसान, किफायती, अनौपचारिक पहुंच प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण तिमाही राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन करता है।

    लोक अदालत तलाक के मामलों को छोड़कर लंबित सिविल केस कंपाउंडेबल आपराधिक मामलों और वैवाहिक मामलों को उठाती है। नेशनल ज्यूडिशियल डेटा ग्राइंड (NJDG) वर्तमान में भारत में अधीनस्थ न्यायालयों में 10913881 दीवानी मामले और 30780208 आपराधिक मामले लंबित होना दर्शाता है।

    इस प्रकार, ऐसे समय में जब न्यायालयों के डॉकेट भरे हुए हैं, लोक अदालत के माध्यम से वैकल्पिक निपटान के तरीके न्याय तक सस्ती पहुंच प्रदान कर रहे हैं और लंबित मामलों के साथ-साथ पूर्व-मुकदमेबाजी के मामलों को भी हल करके नियमित न्यायालय पर बोझ को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

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