ऑर्डर VII रूल 11 सीपीसी| वाद के कथनों में विसंगतियां वाद को खारिज करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Avanish Pathak

17 April 2023 5:37 PM IST

  • ऑर्डर VII रूल 11 सीपीसी| वाद के कथनों में विसंगतियां वाद को खारिज करने के लिए पर्याप्त कारण नहीं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑर्डर VII रूल 11 सीपीसी के तहत किसी वाद को केवल इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है क्योंकि वाद में कुछ असंगत बयान हैं।

    जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने कहा कि ऑर्डर VII रूल 11 सीपीसी के तहत एक आवेदन को निस्तार‌ित करने के लिए केवल वाद में दिए गए कथनों और वादपत्र के साथ प्रस्तुत दस्तावेजों को देखने की आवश्यकता है।

    मामले में वादी ने बंगलौर में सिटी सिविल कोर्ट में स्वाम‌ित्व की घोषणा और स्थायी निषेधाज्ञा के लिए दावा दायर किया था। प्रतिवादियों की ओर से दायर आवेदन की अनुमति देते हुए, वाद को ट्रायल कोर्ट ने इस आधार पर खारिज कर दिया था कि वादी ने कार्रवाई के कारण का खुलासा नहीं किया है। इस आदेश को हाईकोर्ट ने भी बरकरार रखा था।

    सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक अपील में, तर्क दिया गया कि न्यायालयों ने वादपत्र में किए गए असंगत बयानों को रेखांकित की वादपत्र में दिए गए बयानों की शुद्धता के प्रश्न पर विचार किया।

    इस संबंध में, पीठ ने कहा,

    "ऑर्डर VII रूल 11 सीपीसी के तहत एक आवेदन को निस्तारित करने के लिए केवल वाद में किए गए अभिकथनों और वादपत्र के साथ प्रस्तुत दस्तावेजों को देखने की आवश्यकता होती है। प्रतिवादियों के बचाव को भी नहीं देखा जा सकता है। जब वाद की अस्वीकृति का आधार कार्रवाई के कारण की अनुपस्थिति को बताया जाता है तो न्यायालय को वाद की जांच करनी चाहिए और यह देखना चाहिए कि वाद में किसी भी कार्रवाई के कारण का खुलासा किया गया है या नहीं।"

    अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट ने वादपत्र में दिए गए असंगत बयानों को रेखांकित कर वादपत्र में किए गए प्रकथनों की सत्यता पर सवाल उठाया है।

    अदालत ने अपील की अनुमति देते हुए और मुकदमे को बहाल करते हुए कहा,

    "कथित कार्रवाई के कारण को बनाने वालें तथ्यों को भी पैराग्राफ 17 में शामिल किया गया है। हमारा विचार है कि केवल इसलिए कि वादपत्र में कुछ असंगत अभिकथन थे, यह इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पर्याप्त नहीं था कि वाद में कार्रवाई के कारण का खुलासा नहीं किया गया था। सवाल यह था कि क्या वाद कार्रवाई के कारण का खुलासा करता है। जैसा कि पहले देखा गया है, वाद कार्रवाई के कारण का खुलासा करता है। अपीलकर्ता अंततः सफल होंगे या नहीं, यह एक और मामला है।"

    केस टाइटलः जी नागराज बनाम बीपी मृत्युंजयन्ना | 2023 लाइवलॉ (SC) 311 | सीए 2737/2023| 11 अप्रैल 2023 | जस्टिस अभय एस ओका और राजेश बिंदल


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