सेवारत भारतीय महिला सैन्य अधिकारियों की रिहाई पर रोक लगाने का आदेश उन अधिकारियों पर लागू होगा जिनके मामले SC/HC/AFT के समक्ष लंबित हैं: सुप्रीम कोर्ट

Shahadat

20 May 2025 6:16 PM IST

  • सेवारत भारतीय महिला सैन्य अधिकारियों की रिहाई पर रोक लगाने का आदेश उन अधिकारियों पर लागू होगा जिनके मामले SC/HC/AFT के समक्ष लंबित हैं: सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना की सेवारत महिला अधिकारियों की रिहाई पर रोक लगाने के अपने अंतरिम आदेश को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह उन सभी अधिकारियों पर लागू होगा, जिनके मामले सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट या सशस्त्र बल न्यायाधिकरणों (SC/HC/AFT) के समक्ष लंबित हैं।

    जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की खंडपीठ ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी (संघ की ओर से) द्वारा एक आवेदन के उल्लेख के अनुसरण में यह आदेश पारित किया।

    आदेश में इस प्रकार कहा गया:

    "दिनांक 09.05.2025 के आदेश को इस आशय से स्पष्ट किया जाता है कि:

    (i) अंतरिम संरक्षण उन सभी अधिकारियों पर लागू होगा जिनके मामले सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।

    (ii) ऐसा संरक्षण उन अधिकारियों पर भी लागू होगा, जिनके मामले सशस्त्र बल न्यायाधिकरण या हाईकोर्ट के समक्ष विचाराधीन हैं।"

    अदालत ने आगे स्पष्ट किया कि पारगमन व्यवस्था पक्षों के अधिकारों के प्रति पूर्वाग्रह के बिना अगली तारीख तक जारी रहेगी। मुख्य मामले की सुनवाई 6 अगस्त को होगी और इसमें कोई स्थगन नहीं दिया जाएगा।

    संक्षेप में मामला

    9 मई को सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय सेना की महिला अधिकारियों की रिहाई पर रोक लगा दी, जो वर्तमान में सेवा में हैं, अगली सुनवाई की तारीख तक।

    अदालत ने कहा,

    "उनके पक्ष में कोई समानता बनाए बिना यह निर्देश दिया जाता है कि सेवा में सभी अधिकारियों को अगली तारीख तक कार्यमुक्त नहीं किया जाए।"

    जस्टिस कांत ने विशेष रूप से भारतीय सेना के प्रयासों की सराहना की, जबकि इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा स्थिति (पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक तनाव का संदर्भ) प्रत्येक नागरिक से सेना के साथ खड़े होने और उसका मनोबल बढ़ाने का आह्वान करती है।

    जज ने आगे संकेत दिया कि मामलों की सुनवाई की जाएगी और गुण-दोष के आधार पर निर्णय लिया जाएगा, लेकिन इस बीच सेना अधिकारियों की सेवाओं का उपयोग कर सकती है।

    Case Title: LT. COL. POOJA PAL AND ORS. Versus UNION OF INDIA AND ORS., C.A. No. 9747-9757/2024 (and connected cases)

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