अगर प्रत्यक्ष साक्ष्य मौजूद हों तो हथियार की बरामदगी जरूरी नहीं: सुप्रीम कोर्ट ने हत्या की सजा बरकरार रखी
Praveen Mishra
29 Oct 2025 10:57 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने 28 अक्टूबर को दोहरे हत्याकांड मामले में चार दोषियों की सजा बरकरार रखते हुए 2011 से लंबित आपराधिक अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि भले ही एफआईआर दर्ज करने में देरी हुई हो और हथियार बरामद न हुए हों, लेकिन अभियोजन पक्ष का मामला प्रत्यक्षदर्शियों की सुसंगत गवाही और मेडिकल साक्ष्य पर आधारित है, जिससे साबित होता है कि आरोपियों ने जानबूझकर और इरादतन शिकायतकर्ता पक्ष पर घातक हथियारों से हमला किया।
जस्टिस संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की खंडपीठ ने Nankaunoo बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2016) के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा “इससे कोई संदेह नहीं रह जाता कि अभियुक्तों ने साझा मंशा से अवैध जमावड़ा बनाकर हमला किया। इंच्छा और धर्मवीर घातक धारदार हथियारों से लैस थे और उन्होंने ब्रह्म सिंह व दिले राम की हत्या की। उन्होंने बंगाल सिंह पर भी ऐसी चोटें पहुंचाईं जो जानलेवा थीं, और अगर उसकी मृत्यु हो जाती तो उन्हें हत्या का दोषी माना जाता।”
कोर्ट ने कहा कि जब मौखिक और चिकित्सीय साक्ष्य विश्वसनीय हों, तो हत्या का हथियार न मिलना अभियोजन के मामले को कमजोर नहीं करता। जांच अधिकारी की लापरवाही से अभियोजन का मामला प्रभावित नहीं होना चाहिए, अन्यथा लोगों का न्याय प्रणाली से भरोसा डगमगा जाएगा।
कोर्ट ने दोषियों को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया और उनकी जमानत रद्द कर दी। साथ ही कहा कि यदि वे दया याचिका या सजा माफी की मांग करते हैं तो राज्य की नीति के अनुसार विचार किया जाएगा।
मामले की पृष्ठभूमि:
1988 में भूमि सीमा विवाद को लेकर खेत की मेड़ तोड़ने पर दोनों पक्षों में झगड़ा हुआ। दो लोगों की मौत हो गई और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हुआ। इस घटना पर दो एफआईआर दर्ज हुईं — एक में सात लोग (मोलहर, कांटू, ओमपाल, नरेंद्र, रणवीर, इंच्छा राम और धर्मवीर) धारा 302/149 और 307/149 आईपीसी के तहत दोषी पाए गए। उन्हें आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा मिली। दूसरी एफआईआर में सभी आरोपी बरी हुए।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:
एफआईआर में देरी और हथियार की बरामदगी न होना घातक नहीं:
कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में देरी उचित रूप से समझाई गई — मृतक का बेटा पहले घायलों को इलाज के लिए ले गया था। ऐसे मामलों में अगर देरी का कारण संतोषजनक हो, तो यह अभियोजन के खिलाफ नहीं जाता।
घायल प्रत्यक्षदर्शी की गवाही सबसे विश्वसनीय:
कोर्ट ने कहा कि घायल प्रत्यक्षदर्शी की गवाही को विशेष महत्व दिया जाना चाहिए क्योंकि उसकी उपस्थिति घटना स्थल पर सुनिश्चित होती है। उसने बताया कि आरोपी फावड़े लेकर आए थे जबकि शिकायतकर्ता पक्ष के पास लाठी थी।
हत्या का इरादा परिस्थितियों से स्पष्ट:
कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने पहले से हथियार लेकर हमला किया और सिर पर गंभीर वार किए, जिससे यह साबित होता है कि हत्या जानबूझकर की गई।
“चिकित्सीय साक्ष्य से स्पष्ट है कि मृतकों की मृत्यु जानबूझकर पहुंचाई गई चोटों से हुई। फावड़ों और धारदार हथियारों का प्रयोग सिर पर वार करने के लिए किया गया, जिससे स्पष्ट है कि आरोपियों का उद्देश्य उन्हें स्थायी रूप से खत्म करना था।”
इस तरह सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की सजा बरकरार रखी और कहा कि मामले के सभी साक्ष्य यह साबित करते हैं कि हत्या योजनाबद्ध और इरादतन थी।

