'एनटीए कार्यालय में कोई छेड़छाड़ नहीं': सुप्रीम कोर्ट ने नीट-यूजी स्कोर में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाली याचिका खारिज की
LiveLaw News Network
10 Jan 2022 9:08 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छह छात्रों की एक रिट याचिका को खारिज कर दिया। याचिका में उन्होंने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा अपने नीट-यूजी ओएमआर स्कोरकार्ड में छेड़छाड़ का आरोप लगाया था।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उत्तर कुंजी और अंतिम परिणामों के आधार पर गणना किए गए अंकों में भारी अंतर है।
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना की पीठ ने रिट याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि एनटीए ने उम्मीदवारों को ओएमआर शीट दिखाई थी। एनटीए के वकील रूपेश कुमार ने पीठ को बताया कि उम्मीदवारों को एनटीए के कार्यालय में आमंत्रित किया गया था और उन्हें ओएमआर शीट का निरीक्षण करने की अनुमति दी गई थी। ओएमआर की स्कैन की गई प्रतियां उम्मीदवारों के ईमेल आईडी पर भी भेजी गई थीं।
अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की बताया गया था कि ओएमआर आंसर शीट पर उनके मूल लेखन के साथ उनके और पर्यवेक्षक के हस्ताक्षर मौजूद हैं। पीठ ने याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि "प्रथम दृष्टया यह सुझाव नहीं दिया जा सकता है कि एनटीए के बैक ऑफिस में छेड़छाड़ या हेरफेर का कोई कार्य था।"
पीठ ने यह भी कहा कि नीट-यूजी परीक्षा में बैठने वाले 15.44 लाख उम्मीदवारों में से केवल 6 ने ही यह शिकायत की है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज स्वरूप ने प्रस्तुत किया कि उन्हें ओएमआर शीट को शारीरिक रूप से छूने की अनुमति नहीं थी, क्योंकि बीच में एक कांच की दीवार थी।
उन्होंने कहा, "ओएमआर शीट को केवल छूकर ही सत्यापित किया जा सकता है।"
जिस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी की, "यह काफी दूर की कौड़ी है ... नहीं श्री स्वरूप, उन्होंने आपको मूल प्रति दिखाई थी।",
याचिकाकर्ताओं के वकील का तर्क था कि परीक्षा से संबंधित पूरे डेटाबेस को एक बाहरी एजेंसी को स्थानांतरित कर दिया गया था, और इसमें छेड़छाड़ की संभावना थी। हालांकि, एनटीए ने कहा कि डेटा एनआईसी के सर्वर में होस्ट किया गया था।
याचिका का विवरण
यह तर्क दिया गया था कि एनटीए द्वारा प्रकाशित उत्तर कुंजी और 1 नवंबर, 2021 को उनके द्वारा घोषित अंतिम अंकों के आधार पर याचिकाकर्ताओं द्वारा गणना किए गए अंकों में बहुत बड़ा अंतर था।
याचिकाकर्ताओं में से एक ने आरोप लगाया कि उत्तर कुंजी के अनुसार उसका स्कोर 584 था लेकिन अंतिम परिणाम 164 दिखा। एक अन्य याचिकाकर्ता के अनुसार, उत्तर कुंजी के आधार पर उसका स्कोर 675 था लेकिन अंतिम परिणाम में 52 अंक थे। एक अन्य याचिकाकर्ता का अंतिम अंक शून्य था, हालांकि उत्तर कुंजी के अनुसार उसका अनुमान 545 अंक था।
अंकों के तुलनात्मक सारणीकरण का हवाला देते हुए, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह स्पष्ट है कि उनके द्वारा प्राप्त अंकों में भारी अंतर रहा है।
यह भी कहा गया था कि एनटीए की ओर से कुछ पूरी तरह से गलत हैं, जिसे प्राधिकरण के खिलाफ जांच शुरू करके संबोधित करने की आवश्यकता है।
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में प्रश्न पत्र के लीक होने और परीक्षा की निष्पक्ष प्रक्रिया को बाधित करने के लिए आपराधिक साजिश रचने की खबरों का हवाला दिया है, जिसके संबंध में भारत में विभिन्न स्थानों पर कई एफआईआर दर्ज की गई थी।
याचिका में कहा गया है कि,
"ऐसी कदाचार और भ्रष्ट प्रथाएं हैं जो उन स्तरों पर चल रही हैं जिनकी निर्दोष, योग्य और मेधावी याचिकाकर्ता कल्पना नहीं कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मेधावी उम्मीदवारों के साथ मनमानी और अस्वीकृति हुई है और इस तरह यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत उनके अधिकारों का उल्लंघन है।।"
याचिका एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड राजन कुमार सिंह के माध्यम से दायर की गई थी ।
केस टाइटल: प्रभनूर सिंह बनाम एनटीए | डब्ल्यूपी (सी) 1286/2021