पहले के वर्षों में की गई सेवाओं के नियमितीकरण के आधार पर किसी समानता का दावा नहीं किया जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

LiveLaw News Network

19 March 2022 10:06 AM GMT

  • सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली

    सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस तारीख से सेवाओं का नियमितीकरण किया जाना है, वह नियोक्ता का विशेषाधिकार है और पिछले वर्षों के संबंध में किए गए नियमितीकरण के आधार पर किसी समानता का दावा नहीं किया जा सकता है।

    अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के कुछ कर्मचारियों ने राजस्थान हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर 01.04.1989 के बजाय 01.04.1983 से नियमित वेतनमान की मांग करते हुए कहा था कि उन्हें उन कर्मचारियों के बराबर लाया जाना चाहिए जिन्हें नियमित वेतनमान दिया गया था। हाईकोर्ट ने इस रिट याचिका को अनुमति दी, जिसके खिलाफ नियोक्ता ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    जस्टिस एस अब्दुल नजीर और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने कहा कि नियमितीकरण और वेतनमान की तारीख नियोक्ता/स्क्रीनिंग समिति का विशेषाधिकार है और विभिन्न वर्षों में नियमितीकरण के मामले में किसी समानता का दावा नहीं किया जा सकता है।

    जोधपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड बनाम नानू राम एवं अन्य का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा,

    यह तय स्थिति है कि जिस तारीख से नियमितीकरण दिया जाना है वह नियोक्ता द्वारा काम की प्रकृति, खाली पड़े पदों की संख्या, नियोक्ता की वित्तीय स्थिति, अतिरिक्त वित्तीय बोझ, काम के लिए कामगार की उपयुक्तता, जिस तरीके और कारण के लिए प्रारंभिक नियुक्तियां की गईं आद‌ि जैसे कई कारकों को ध्यान में रखते हुए तय किया जाना है। उक्त निर्णय प्रत्येक वर्ष के तथ्यों पर निर्भर करेगा और पिछले वर्षों के संबंध में नियमितीकरण के आधार पर किसी समानता का दावा नहीं किया जा सकता है।

    पीठ ने अपील की अनुमति देते हुए कहा कि बकाया के भुगतान का निर्देश देने और नियमित वेतनमान के अनुदान को निर्धारित करने में हाईकोर्ट उचित नहीं था।

    सेवा कानून - नियमितीकरण - जिस तारीख से नियमितीकरण दिया जाना है, वह नियोक्ता द्वारा काम की प्रकृति, रिक्त पड़े पदों की संख्या, नियोक्ता की वित्तीय स्थिति, अतिरिक्त वित्तीय बोझ, काम के लिए कामगार की उपयुक्तता, जिस तरीके और कारण के लिए प्रारंभिक नियुक्तियां की गईं आदि कई कारकों को ध्यान में रखते हुए तय किया जाना है।

    उक्त निर्णय प्रत्येक वर्ष के तथ्यों पर निर्भर करेगा और पिछले वर्षों में किए गए नियमितीकरण के आधार पर किसी समानता का दावा नहीं किया जा सकता है। (पैरा 9-12)

    मामले का विवरण

    प्रबंध निदेशक, अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड, अजमेर बनाम छिगन लाल | 2022 लाइव लॉ (SC) 296 | CA 1875 of 2022 | 7 मार्च 2022


    कोरम: जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर और कृष्ण मुरारी

    Next Story