कंपनी के राजस्व और पर्यावरण क्षति के लिए जुर्माने की राशि के बीच कोई संबंध नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने NGT के दृष्टिकोण को अस्वीकार किया

Shahadat

30 Nov 2024 7:31 PM IST

  • कंपनी के राजस्व और पर्यावरण क्षति के लिए जुर्माने की राशि के बीच कोई संबंध नहीं : सुप्रीम कोर्ट ने NGT के दृष्टिकोण को अस्वीकार किया

    सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा पारित आदेश अस्वीकार किया, जिसमें कंपनी पर उसके राजस्व के आधार पर पर्यावरण क्षति के लिए जुर्माना लगाया गया था।

    कोर्ट ने पाया कि कंपनी के राजस्व सृजन और पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन के लिए जुर्माने के निर्धारण के बीच कोई संबंध नहीं है।

    कोर्ट NGT के उस आदेश के खिलाफ कंपनी द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उस पर 25 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया। NGT ने यह आदेश इस तर्क के आधार पर पारित किया कि कंपनी का राजस्व 100 करोड़ से 500 करोड़ रुपये के बीच है।

    इस आदेश को खारिज करते हुए जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की खंडपीठ ने NGT के दृष्टिकोण में तीन मुख्य कमियों को चिह्नित किया। सबसे पहले, 100 करोड़ रुपये और 500 करोड़ रुपये के बीच बहुत बड़ा अंतर है। दूसरे, NGT ने कहा कि उसने यह जानकारी सार्वजनिक डोमेन से ली है और तब भी कोई सटीक आंकड़ा नहीं मिला। तीसरे, न्यायालय ने कहा कि कंपनी का राजस्व जुर्माना तय करने के लिए प्रासंगिक विचार नहीं था। इसके अलावा, जुर्माना कंपनी को बिना किसी सूचना के लगाया गया।

    न्यायालय ने कहा,

    "किसी भी मामले में राजस्व सृजन का पर्यावरणीय क्षति के लिए निर्धारित किए जाने वाले जुर्माने की राशि से कोई संबंध नहीं होगा। गहरी पीड़ा के साथ हमें यह कहना पड़ रहा है कि जुर्माना लगाने के लिए NGT द्वारा अपनाई गई कार्यप्रणाली कानून के सिद्धांतों से पूरी तरह अनजान है।"

    न्यायालय ने यह भी कहा कि यह NGT का तीसरा आदेश था, जो उस दिन उसके सामने आया, जिसे प्राकृतिक न्याय और उचित विचार के सिद्धांतों का पालन किए बिना पारित किया गया।

    तथ्यों के आधार पर भी न्यायालय ने पाया कि अपीलकर्ता की ओर से कोई उल्लंघन नहीं किया गया।

    केस टाइटल: बेंजो केम इंडस्ट्रियल प्राइवेट लिमिटेड बनाम अरविंद मनोहर महाजन और अन्य।

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