ऐसा कोई सख्त नियम नहीं कि दोषी को निलंबन की मांग से पहले सजा की एक विशेष अवधि से गुजरना होगा: सुप्रीम कोर्ट
Avanish Pathak
6 Nov 2023 5:51 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्पष्ट किया कि ऐसा कोई सख्त नियम नहीं है कि किसी दोषी की ओर से सजा निलंबित करने के लिए दिए गए आवेदन पर विचार करने से पहले उसे एक विशेष अवधि के लिए सजा काटनी होगी।
जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ सजा को निलंबित करने से इनकार करने के गुजरात हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ दायर एक विशेष अनुमति याचिका पर विचार कर रही थी।
हाईकोर्ट ने दो दोषियों कारावास की सजा को निलंबित करने की उनकी याचिका पर विचार करते समय उनकी सजा के बाद की जेल अवधि को ही सजा की अवधि के रूप में गिना था।
हाईकोर्ट के दृष्टिकोण को गलत बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा,
"हाईकोर्ट के समक्ष, आश्चर्यजनक रूप से राज्य की ओर से एक निवेदन किया गया था कि केवल दोषसिद्धि के बाद दी गई सजा पर विचार किया जाना चाहिए...हाईकोर्ट ने उक्त अनुरोध को स्वीकार कर लिया है... इस तथ्य के अलावा कि उक्त दृष्टिकोण गलत है, हम यहां ध्यान दे सकते हैं कि ऐसा कोई सख्त नियम नहीं है जिसके लिए किसी अभियुक्त को सजा के निलंबन के लिए उसकी प्रार्थना पर विचार करने से पहले एक विशेष अवधि के लिए सजा भुगतनी पड़े।''
इस मामले में, अपीलकर्ताओं को, जिन्हें गैर इरादतन हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था, चार साल की सजा हुई थी। अधिकतम मूल सजा 10 वर्ष का कठोर कारावास था। मामले में अपील वर्ष 2023 में की गई थी, जिस पर अपीलकर्ताओं की सजा की पूरी अवधि समाप्त होने से पहले सुनवाई होने की संभावना नहीं है।
इस पृष्ठभूमि में, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट को दोषियों के आवेदन पर अनुकूलता से विचार करना चाहिए था, क्योंकि उनके पास कोई इतिहास नहीं था और वे अपने अपराध के लिए अधिकतम सजा का 40 प्रतिशत से अधिक कारावास भुगत चुके थे।
इस प्रकार अपील स्वीकार कर ली गई। आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के लिए एक सप्ताह के भीतर निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया।
केस टाइटल: विष्णुभाई गणपतभाई पटेल और अन्य बनाम गुजरात राज्य।
साइटेशन: 2023 लाइव लॉ (एससी) 955