एनजीटी ने राज्य पीसीबी और सीपीसीबी द्वारा ई-कचरा प्रबंधन नियमों के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए
LiveLaw News Network
19 Jan 2021 5:08 PM IST
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की प्रिंसिपल बेंच ने हाल ही में ई-वेस्ट (मैनेजमेंट) रूल्स, 2016 को लागू करने के लिए निर्देश जारी किए, जिसमें कहा गया कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड्स और स्थानीय प्राधिकरणों के बीच अनुपालन में भारी अंतर है, जिससे प्रदूषण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करने उनके दायित्व का उल्लंघन होता है।
ट्रिब्यूनल ने यह देखते हुए कि उच्च अधिकारी नागरिकों की दुर्दशा के संबंध में पर्याप्त रूप से चिंतित नहीं है, जिसका नतीजा यह है कि गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो रही हैं, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को आड़े हाथों लिया। ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि पर्यावरणीय अपराध उतने ही गंभीर अपराध हैं जितने कि हमले। ई-कचरे के अवैज्ञानिक निस्तारण के खिलाफ सुधारात्मक कार्रवाई के लिए एनजीटी में दायर तीन आवेदनों पर उक्त निर्देश दिए गए।
मामले की पृष्ठभूमि
एनजीटी तीन अलग-अलग मामलों पर विचार कर रही थी, जिनमें विचार का मुद्दा एक ही था यानी "ई-कचरे के अवैज्ञानिक निस्तारण के खिलाफ सुधारात्मक कार्रवाई" जिसके परिणामस्वरूप मिट्टी दूषित हो रही है और भूजल का अम्लीकरण हो रहा है।
ई-कचरे के संग्रह, भंडारण और प्रसंस्करण को नियंत्रित करने के लिए नियम, ई-वेस्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 के तहत लागू किए गए हैं। पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत उक्त नियम बनाए गए हैं।
ये नियम अनुसूची-I के तहत सूचीबद्ध ई-कचरे या किसी भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण या स्पेयर पार्ट्स के प्रत्येक निर्माता, उत्पादनकर्ता, उपभोक्ता, संग्रह केंद्रों, डीलरों आदि पर लागू होते हैं। इसके अलावा, ये नियम ई-कचरा प्रबंधन के प्राधिकरण और भंडारण की प्रक्रिया, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के निर्माण में खतरनाक पदार्थों के उपयोग को कम करने की प्रक्रिया भी प्रदान करते हैं।
एनजीटी में दायर तीनों आवेदनों में यह फैसला करना था कि क्या नियम के तहत विस्तारित निर्माता जिम्मेदारी (ईपीआर) के सिद्धांत और अन्य प्रक्रियााओं जैसे प्राधिकरण, संग्रह, निराकरण और ई-कचरा प्रबंधन से संबंधित अन्य औपचारिकताओं का उचित प्रवर्तन?
मामला संख्या एक: शैलेश सिंह बनाम यूपी राज्य और अन्य O.A.No. 512/2018
एनजीटी के सामने यह मामला पहली बार आया था। यह नदियों के किनारे और सड़क के किनारे ई-कचरे और अन्य ठोस अपशिष्टों के अनाधिकृत पुनर्चक्रण, संग्रह, जलाने और बेचने पर केंद्रित था।
एनजीटी ने 4 जून 2018 को हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित एक रिपोर्ट, जिसका शीर्षक था, "ई-कचरे का क्या होता है: आपके जंक गैजेट्स जहरीले धुएं के रूप में आपके पास वापस आते हैं", पर विचार करते हुए पर्यावरण मंत्रालय, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को ई-कचरे का प्रवर्तन सुनिश्चित करने के लिए एक कार्य योजना तैयार करने का निर्देश दिया और अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।
14 दिसंबर 2018 को दाखिल अनुपालन रिपोर्ट के अनुसार, यह पाया गया कि "भारत 2016 में दो मिलियन टन ई-कचरे का उत्पादन करता था। सबसे बड़े ई-कचरा उत्पादक शहर मुंबई, दिल्ली, बैंगलोर, चेन्नई और कोलकाता हैं। 95% ई-कचरे का पुनर्नवीनीकरण अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा किया जाता है और केवल 5% औपचारिक क्षेत्र द्वारा किया जाता है।"
एनजीटी ने रिपोर्ट और कार्य योजना पर विचार करने के बाद सीपीसीबी को निर्देश दिया कि उपयुक्त सॉफ्टवेयर विकसित करके समीक्षा और कार्यप्रणाली के मापदंडों को स्पष्ट रूप से पेश करें।
इसके बाद, उत्पादकों की पहचान के संबंध में एक समीक्षा प्रदर्शन रिपोर्ट दायर की गई, जिन्होंने ईपीआर प्राधिकरण नहीं प्राप्त किया था, ई-कचरे की मात्रा का सत्यापन नहीं कराया था और इसकी प्रक्रियाओं की प्रणाली का सत्यापन नहीं कराया था। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया था कि सॉफ्टवेयर विकसित किया गया था, जिसमें सभी राज्य पीसीबी को प्रगति प्रदान करने के लिए उपयोगकर्ता आईडी दी गई थी।
मामला संख्या दो: इन रिप्लाई: समाचार आईटम-इंडियन एक्सप्रेस - राजधानी में 5,000 अवैध ई-कचरा इकाइयां चल रही हैं
ट्रिब्यूनल द्वारा दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC), पूर्व और उत्तर पूर्व दिल्ली के डीएम, यूपी राज्य पीसीबी और गाजियाबाद के डीएम से आरोपों पर रिपोर्ट मांगी गई थी कि लगभग 5000 अवैध ई-कचरा प्रसंस्करण इकाइयां दिल्ली में और उसके आसपास चल रही हैं।
इसके बाद, 19 दिसंबर 2019 को डीपीसीसी द्वारा एक रिपोर्ट दायर की गई थी, जिसमें यह बताया गया था कि लगभग 130 परिसरों का निरीक्षण किया गया था, जिसमें से 104 ई-कचरे का भंडारण करते पाए गए थे। इसके बाद, समिति ने अवैध ई-कचरा हैंडलिंग इकाइयों के खिलाफ मुकदमे की कार्रवाई की, जो तत्काल प्रभाव से बंद कर दी गईं।
दूसरी ओर, 18 फरवरी 2020 को यूपीपीसीबी द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि 2019 के बाद से लगभग 315 अवैध इकाइयों की पहचान की गई और ऐसी इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। रिपोर्ट में सिफारिश की गई थी कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध इकाइयों और उनके मालिकों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ ही लोनी दिल्ली की सीमा पर चेक पोस्ट की स्थापना की जाए।
मामला संख्या तीन: महेंद्र पांडे बनाम यूओआई. और अन्य OA No.621/2018
एनजीटी ने यूपी में रामगंगा नदी के तट पर ई-कचरे के निस्तारण के लिए मानदंडों के उल्लंघन के मुद्दे पर विचार किया। यूपीपीसीबी द्वारा एक स्टेटस रिपोर्ट दायर की गई थी, जिसमें कहा गया था कि राज्य द्वारा ई-कचरे के निपटान के लिए एक कार्य योजना तैयार की गई थी...।
ट्रिब्यूनल के निर्देश
तीन मामलों में सभी रिपोर्टों पर विचार करने के बाद ट्रिब्यूनल ने कहा,
"नियमों के अनुपालन में भारी कमी हैं...जो उन अधिकारियों को खराब रोशनी में पेश करता है, जिन पर प्रदूषण मुक्त वातावरण सुनिश्चित करने का दायित्व है। विषय पर स्पष्ट शासन का अभाव हैं और उच्च अधिकारी इस प्रकार गंभीर उल्लंघनों के कारण नागरिकों की दुर्दशा के संबंध में पर्याप्त रूप से चिंतित नहीं हैं। पर्यावरण के अपराध उतने ही गंभीर हैं, अगर अधिक नहीं, जितने की हमले, लेकिन कोई पर्याप्त कार्रवाई नहीं है। "
ट्रिब्यूनल ने यह भी कहा कि ई-कचरे के खतरे से निपटने के लिए एक समन्वित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हालांकि, यह उद्देश्य तब तक पूरा नहीं हो सकता था जब तक कि उच्च स्तर पर निगरानी नहीं की जाती है। पीठ के अनुसार, "पर्यावरण कानून का मुद्दा अधिकारियों की प्राथमिकता नहीं है"।
रिपोर्टों पर विचार करने के बाद ट्रिब्यूनल ने निम्नलिखित निर्देश जारी किए:
-सीपीसीबी और यूपी साइट कमेटी द्वारा दायर रिपोर्टों के आलोक में ई-वेस्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 के वैज्ञानिक प्रवर्तन के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। जिन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने की आवश्यकता है वे हैं, नियमों का प्रवर्तन, प्राधिकार का कार्यान्वयन, संग्रह लक्ष्य और संग्रह के बीच का अंतर, निरंतर सतर्कता और निगरानी आदि।
-सीपीसीबी को 6 महीने में कम से कम एक बार स्थिति को अद्यतन करने और प्राप्त रिपोर्टों पर उचित निर्देश जारी करने की आवश्यकता है।
-सीपीसीबी विद्युत उपकरणों और स्पेयर पार्ट्स के निर्माण में खतरनाक पदार्थों के उपयोग में कमी के अनुपालन के लिए कदमों पर विचार कर सकता है।
-आवासीय क्षेत्रों में दुर्घटना संभावित हॉटस्पॉट क्षेत्रों में निरंतर सतर्कता सुनिश्चित करने के लिए सीपीसीबी 3 महीने में ई-कचरे के मानदंडों की समीक्षा और उन्हें अद्यतन करे।
-यूपीपीसीबी, TSPCF की स्थापना सुनिश्चित करे, जिसे सीपीसीबी दिशानिर्देशों के अनुसार संचालित किया जाए।
-रामगंगा नदी के किनारे के ई-कचरे को पर्यावरण अनुकूल तरीके से स्थानांतरित किया जाना चाहिए।
-डीपीसीसी दिल्ली पुलिस और पूर्वी दिल्ली नगर निगम के समन्वय में प्रयास जारी रखे। डिस्मेंटलर्स और रिसाइक्लर्स अनुरूप क्षेत्रों में स्थापित किया जा सकता है और उन्हें उचित बुनियादी सुविधाओं के साथ प्रदान की जानी चाहिए।
-सभी राज्य पीसीबी हॉटस्पॉट क्षेत्रों की पहचान करें और निरंतर निगरानी सुनिश्चित करें। पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को नुकसान रोकने और कानून के शासन के सार्थक प्रवर्तन के लिए स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ समन्वय होना चाहिए।