न्यूज़ चैनल और अखबार अब फैक्ट्स को ठीक से रिपोर्ट नहीं करते, ऑब्जेक्टिविटी को तिलांजलि दी जा रही है: सुप्रीम कोर्ट ने दुख जताया

Shahadat

9 Dec 2025 9:07 PM IST

  • न्यूज़ चैनल और अखबार अब फैक्ट्स को ठीक से रिपोर्ट नहीं करते, ऑब्जेक्टिविटी को तिलांजलि दी जा रही है: सुप्रीम कोर्ट ने दुख जताया

    सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टिंग की मौजूदा हालत की आलोचना की। यह बात साक्षी टीवी के उस आरोप पर सुनवाई के दौरान कही गई, जिसमें कहा गया कि राज्य सरकार के कहने पर पूरे आंध्र प्रदेश में उसका ब्रॉडकास्ट रोक दिया गया।

    जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने कहा,

    “यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, वे दिन गए जब न्यूज़ चैनल और अखबार फैक्ट्स को ठीक से रिपोर्ट करते थे। कोई भी फैक्ट्स रिपोर्ट नहीं करता। इसलिए जो रिपोर्ट होता है, वह एकतरफा फैक्ट होता है। आप एक अखबार उठाइए, आपको एक नजरिया मिलेगा, दूसरा अखबार उठाइए, आपको दूसरा नजरिया मिलेगा। हमने ऑब्जेक्टिव फैक्ट को पूरी तरह से तिलांजलि दे दी है। किसी देश की सबसे कीमती संपत्ति ऑब्जेक्टिव फैक्ट होती है। पहले, हम कोई भी अखबार पढ़ते थे, फैक्ट्स वही होते थे। अब आपको कहीं भी एक जैसा फैक्ट नहीं मिलेगा। यह न्यूज़ चैनलों का दुखद हिस्सा है जहां फैक्ट्स की ऑब्जेक्टिविटी को तिलांजलि दी जाती है। हमने हमेशा न्यूज़ रिपोर्ट्स को फिल्टर करने और उसे इस संदर्भ में समझने की क्षमता हासिल कर ली है कि किस अखबार ने क्या दिया है। यह असल में उस स्थिति को दिखाता है जिसमें हम हैं।”

    जस्टिस नरसिम्हा ने यह बात तब कही जब चैनल के वकील ने कहा कि न्यूज़ चैनलों को किसी-न-किसी सरकार का फेवर करने वाला माना जाता है।

    जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस अतुल चंदुरकर की बेंच चैनल की रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि आंध्र प्रदेश में मल्टी सिस्टम ऑपरेटर्स (MSOs) ने 2024 के असेंबली इलेक्शन रिजल्ट्स के बाद उसका सिग्नल भेजना बंद कर दिया। याचिका में 3 जून, 2024 की तरह बुके बेसिस पर ट्रांसमिशन बहाल करने और दूसरी राहतें मांगी गई, जिसमें यह ऐलान भी शामिल है कि MSOs के खिलाफ कथित डिस्कनेक्शन और दबाव डालने वाले उपाय गैर-संवैधानिक हैं।

    कोर्ट ने आखिरकार साक्षी टीवी को टेलीकॉम डिस्प्यूट्स सेटलमेंट एंड अपीलेट ट्रिब्यूनल (TDSAT) से अपने केस की सुनवाई आगे बढ़ाने की रिक्वेस्ट करने की इजाज़त दी।

    कोर्ट ने आदेश दिया,

    “याचिकाकर्ता के वकील की तरफ से जताई गई अर्जेंसी को देखते हुए हम निर्देश देते हैं कि पिटीशनर के सही रिक्वेस्ट करने पर ट्रिब्यूनल सुनवाई आगे बढ़ा सकता है और एप्लीकेशन का जल्दी से निपटारा कर सकता है।”

    कथित ब्लैकआउट पर राज्य ने कहा कि यह मामला प्राइवेट है और सरकार की तरफ से कनेक्शन काटने का कोई ऑर्डर नहीं है।

    बेंच ने पूछा,

    “अगर कोई ऑर्डर नहीं है तो हम कैसे दखल दे सकते हैं?”

    याचिकाकर्ता के सीनियर एडवोकेट निरंजन रेड्डी ने जवाब दिया कि हालांकि कोई ऑफिशियल ऑर्डर नहीं है। हालांकि, MSOs ने राज्य सरकार के कहने पर ट्रांसमिशन बंद कर दिया। उन्होंने बताया कि चैनल आमतौर पर बुके के तौर पर ट्रांसमिट होते हैं और साक्षी टीवी का राज्य सरकार बदलने तक बड़े पैमाने पर डिस्ट्रीब्यूशन था, जिसके बाद इसे अचानक बंद कर दिया गया।

    जस्टिस नरसिम्हा ने बताया कि ऐसे झगड़े रेगुलर तौर पर TDSAT के सामने आते हैं।

    उन्होंने कहा,

    “ये आम तरह के मामले हैं जो ट्रिब्यूनल में होते हैं। अगर आपने ब्रॉडकास्ट शुरू कर दिया है तो ओरल ऑर्डर के बावजूद आपके हक में पूरा हक है। लेकिन अगर आर्टिकल 32 के तहत कोई बहुत साफ मामला है तो हम फिर भी दखल देंगे।”

    याचिकाकर्ता की तरफ से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कहा कि चैनल पहले ही MSOs के खिलाफ TDSAT के सामने जा चुका है। ट्रिब्यूनल ने रिकॉर्ड किया कि आंध्र प्रदेश स्टेट फाइबरनेट, जो सरकारी डिस्ट्रीब्यूशन प्लेटफॉर्म है, “पूरी तरह झूठ बोल रहा है।” उन्होंने कहा कि चैनल पूरी तरह से ब्लैकआउट है।

    जस्टिस नरसिम्हा ने कहा कि सीनियर एडवोकेट निरंजन रेड्डी ने कोर्ट को बताया कि साक्षी टीवी अब आ ला कार्टे बेसिस पर ऑफर किया जा रहा है। रेड्डी ने साफ किया कि यह मौजूदा याचिका में नोटिस जारी होने के बाद ही हुआ।

    रोहतगी ने आगे कहा कि चैनल अभी अवेलेबल नहीं है।

    उन्होंने कहा,

    “जब हम यहां आए तो पूरा ब्लैकआउट था। आज भी पूरा ब्लैकआउट है, कोई आ ला कार्टे नहीं, कुछ भी नहीं।”

    जब बेंच ने बताया कि पिटीशनर के अनुसार भी राज्य की तरफ से कोई फॉर्मल डायरेक्टिव नहीं है, तो रोहतगी ने जवाब दिया,

    “मैं सहमत हूं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं हो सकता कि मेरे पास (आर्टिकल 19(1)(a) के तहत) कोई अधिकार नहीं है।”

    उन्होंने कहा कि TDSAT के ऑर्डर का पालन नहीं किया गया।

    उन्होंने एक कस्टमर केयर कॉल का ज़िक्र किया, जिसमें AP फाइबरनेट के एक रिप्रेजेंटेटिव ने कथित तौर पर कहा कि साक्षी टीवी पूरी तरह से बंद हो गया। उन्होंने कहा कि चैनल को जून, 2024 में अपनी जगह पर वापस लाया जाना चाहिए।

    उन्होंने कहा,

    "फाइबरनेट कुछ भी नहीं दे रहा है, यहां तक ​​कि आ ला कार्टे भी नहीं।"

    रोहतगी ने कहा कि ट्रिब्यूनल की कार्रवाई धीरे-धीरे आगे बढ़ी है।

    उन्होंने कहा,

    "यह ट्रिब्यूनल में था, वे (राज्य) ट्रिब्यूनल की बिल्कुल परवाह नहीं कर रहे हैं। अक्टूबर, 2024 के बाद अब हम दिसंबर, 2025 में हैं। ट्रिब्यूनल के पास सुप्रीम कोर्ट की शक्तियां नहीं हो सकतीं...यह ट्रिब्यूनल के लिए बहुत गंभीर मामला है।"

    आगे कहा कि TDSAT के पास कंटेम्प्ट जूरिस्डिक्शन नहीं है और ब्लैकआउट तब तक बना रहेगा जब तक मामला 2 मार्च, 2026 को वहां लिस्टेड है।

    आखिरकार, कोर्ट ने मामले को टाल दिया, जिससे साक्षी टीवी को जल्दी निपटारे के लिए TDSAT के सामने एडवांस हियरिंग की मांग करने की इजाजत मिल गई।

    Case Title – M/S. Indira Television Limited & Anr. v. State of Andhra Pradesh & Ors.

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